सूरत हादसे से प्रशासन ने नहीं सीखा सबक, सरकारी इमारतों में आग बुझाने के उपाय नहीं Chandigarh News
सूरत में घटी घटना के बाद जिले में सभी प्राइवेट स्कूलों इंस्टीट्यूट फैक्ट्रियों की चेकिंग की गई और नोटिस दिए गए हैं।
जेएनएन, मोहाली। सूरत में घटी घटना के बाद जिले में सभी प्राइवेट स्कूलों, इंस्टीट्यूट, फैक्ट्रियों की चेकिंग की गई और नोटिस दिए गए हैं। इस दौरान ये बात सामने आई कि सरकारी विभागों व निजी संस्थानों में आग से निपटने के यंत्र नहीं है। जहां तक की फायर विभाग से एनओसी भी नहीं रखी। रिपोर्ट आए दो माह हो गए हैं, लेकिन अभी तक न तो फायर विभाग ने कोई कार्रवाई की और न प्रशासन ने। हालांकि डेराबस्सी में केमिकल फैक्टरी की आग के बाद औद्योगिक इकाइयों के फायर ऑडिट के निर्देश दे दिए गए। इसकी रिपोर्ट पंद्रह दिन में देनी है, जोकि जल्द आने वाली है। लेकिन पहले की रिपोर्ट्स पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
यही कारण कि जिले में किसी भी सरकारी इमारत चाहे फेज-6 सिविल अस्पताल हो, पुलिस स्टेशन हो, फेज-3बी1 का गर्वमेंट मॉडल सीनियर सेकेंडरी स्कूल हो या फिर नाइपर हो। इन सबको फायर डिपार्टमेंट की तरफ से नोटिस दिए जा चुके हैं। एक बार नहीं बल्कि कई बार लेकिन कभी भी इनका नोटिस का जवाब नहीं आया। डीसी गिरिश दयालन ने यह रिपोर्ट तैयार करने को कहा कि कितने प्राइवेट व सरकारी फैक्ट्रियों आदी में किस किस के पास अपने प्राइवेट वॉटर बूजर है। कितनों में फिक्स फायर सिस्टम लगा रखे हैं ओर उनमें से कितने वर्किंग है, जो समयानुसार यूज में आ सके।
यह डिपार्टमेंट जिन्होंने कभी नोटिस का जवाब नहीं दिया
गवर्नमेंट कॉलेज फेज-6, फेज-6 सिविल अस्पताल , मार्कफेड, पंजाब स्कूल एजुकेशन बोर्ड, वेरका प्लांट, नाइपर, आईसर, विजिलेंस इमारत, एनआइईएफटी, पंजाबी यूनिवर्सिटी फेज-7 ऑफिस औरखरड़ सिविल अस्पताल।
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