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गैंगस्टर विक्‍की गौंडर का उसके 'हथियार' से ही पुलिस ने किया ढ़ेर

गैंगस्‍टर विक्‍की गौंडर ने साेशल मीडिया को अपना हथियार बना रखा था और इससे वह पुलिस को चुनौती देता रहता था। पुलिस ने इसी हथियार का सहारा लेकर उसे और उसके साथी को मार गिराया।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sun, 28 Jan 2018 01:02 PM (IST)Updated: Sun, 28 Jan 2018 01:05 PM (IST)
गैंगस्टर विक्‍की गौंडर का उसके 'हथियार' से ही पुलिस ने किया ढ़ेर
गैंगस्टर विक्‍की गौंडर का उसके 'हथियार' से ही पुलिस ने किया ढ़ेर

चंडीगढ़/बठिंडा, [मनोज त्रिपाठी/गुरप्रेम लहरी]। पंजाब भर में सोशल मीडिया और जेलों में फोन की मदद से अपराध फैलाने वाले गैंगस्टरों का सफाया करने में पुलिस ने उनके ही इस 'हथियार' से उनका सफाया किया। मोस्‍टवांटेज गैंगस्‍टर विक्‍की गौंडर और प्रेमा लाहौरिया को पुलिस ने सोशल मीडिया व हाईटेक तरीके से फोन कॉल्स  ट्रैक कर मार गिराने में सफलता हासिल की। विक्‍की ने सोशल मीडिया काे अपना हथियार बना रखा था और इसके माध्‍यम से पंजाब पुलिस काे चुनौती दे रहा था।

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आइजी ओसीसीयू नीलाभ किशोर ने बताया कि ए-कैटेगरी के मोस्टवांटेड विक्की गौंडर की तलाश में पंजाब पुलिस 14 महीनों से जुटी थी। उन्होंने बताया कि गौंडर तक पहुंचने के लिए पुलिस ने सोशल मीडिया व गौंडर के संपर्क में रहे गैंगेस्टरों के फोन ट्रैप से मदद ली।

सोशल मीडिया और मोबाइल लोकेशन की मदद से 14 महीने बाद अपराधियों तक पहुंची पुलिस 

डीजीपी  इंटीलिसेंज दिनकर गुप्ता ने बताया कि गौंडर सोशल मीडिया को अपराध की दुनिया में अपना दबदबा बनाने के लिए इस्तेमाल करता था। सोशल मीडिया पर उसके चार से पांच फालोअर्स भी हैं। गौंडर ने एक दर्जन से सोशल मीडिया पर एक दर्जन से ज्यादा अकाउंट बना रखे थे। गौंडर पर पंजाब व राजस्थान की पुलिस ने करीब 10 लाख रुपये के इनाम की घोषणा की थी। इसमें पंजाब पुलिस की तरफ से सात रुपये घोषित किए गए थे। गौंडर के सोशल मीडिया अकाउंट्स को खाड़ी देशों के अलावा जर्मनी व साइप्रस से भी आपरेट किया जाता था।

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आइएसआइ के संपर्क में भी था गौंडर

पुलिस ने पुष्टि की है कि गौंडर आइएसआइ के संपर्क में भी था। डीजीपी ने कहा कि इसकी भी जांच की जा रही है कि कौन-कौन से अन्य आतंकी संगठनों के साथ गौंडर के संबंध थे। हाल ही में उसे पाकिस्तान से एक ऑटोमेटिक एसॉल्ट राइफल भी उससे करीबी रमनजीत सिंह उर्फ रोमी (हांगकांग) ने उपलब्ध करवाई थी। रोमी पंजाब में हुई टारगेट किलिंग में भी पुलिस को वांछित है।

जानकारी के अभाव में पुलिस ने राजस्थान में किया ऑपरेशन

डीजीपी सुरेश अरोड़ा ने बताया कि पुलिस टीम को इसकी जानकारी नहीं थी कि जिस स्थान पर गैंगस्टर मौजूद हैं वह राजस्थान में हैं। पड़ताल के लिए पुलिस ने गूगल मैप से नक्शा निकालकर पूरे इलाके की पड़ताल भी की थी। ऑपरेशन खत्‍म होने के बाद पुलिस को पता चला कि जिस घर में गैंगेस्टर मौजूद थे, वह राजस्थान के श्रीगंगानगर के हिंदूमलकोट थाने के पक्की गांव में आता है। यह गांव पंजाब की सीमा से 50 मीटर की दूरी पर स्थित है। इसी लिए ऑपरेशन के बाद श्रीगंगानगर पुलिस को इसकी सूचना दी गई और पोस्टमार्टम भी वहीं करवाया जा रहा है।

युवा क्राइम की तरफ न जाएं: डीजीपी

डीजीपी ने पंजाब के युवाओं से अपील की है कि वह क्राइम का रास्ता न अपनाएं। क्राइम के रास्ते पर चलकर कुछ हासिल नहीं होता है। एक दिन क्राइम का सहारा लेकर नाम कमाने की कोशिशें करने वालों का हस्र गौंडर जैसा ही होता है।

गौंडर के परिवार के आरोपों को गलत बताया

डीजीपी अरोड़ा ने गौंडर के परिवार के आरोपों को गलत बताते हुए कहा कि गौंडर को कई मौके दिए गए थे मुख्य धारा में शामिल होने के लिए। इसके बाद भी वह अपराध की दुनिया छोडऩे को तैयार नहीं था। नतीजतन एनकाउंटर में वह मारा गया।

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एसपी व आइजी के बयान में अंतर

एनकाउंटर के बाद दी सूचना: एसपी

श्रीगंगानगर के एसएपी हरिंदर महावर ने घटनास्थल पर मीडिया से बातचीत में कहा कि उन्हें पंजाब पुलिस ने एनकाउंटर के बाद सूचना दी। पंजाब पुलिस के पास गौंडर और उसके साथियों के छिपे होने की जानकारी थी।

पहले से संपर्क में थे: आइजी

राजस्थान के आइजी वीके पांडे का कहना है कि उन्हें इस मामले की पहले ही जानकारी थी। वे लगातार पंजाब पुलिस के संपर्क में थे। यह ऑपरेशन सिर्फ पंजाब पुलिस ने किया है।

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बिना डॉक्टर किसने किया मृतक घोषित

बठिडा जिला बार एसोसिएशन के पूर्व सचिव एडवोकेट गुरविंदर सिंह का कहना है कि डॉक्टर के बिना किसी को भी मृत घोषित नहीं किया जा सकता। अगर पुलिस दोनों को अस्पताल लेकर नहीं गई तो इससे पुलिस की मंशा जाहिर होती है।

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