Chandigarh नगर निगम के पास कर्मचारियों के वेतन का भुगतान करने के लिए नहीं फंड
नगर निगम चंडीगढ़ ने कर्मचारियों के वेतन भुगतान करने के मामले में हाथ खड़े कर दिए हैं।अब प्रशासन नगर निगम को हर माह 30 करोड़ की ग्रांट ही दे सकेगा।
चंडीगढ़, जेएनएन। नगर निगम ने कर्मचारियों के वेतन भुगतान करने के मामले में हाथ खड़े कर दिए हैं। नगर निगम का कहना है कि उनके पास इतना फंड नहीं है कि वे सभी कर्मचारियों को अगले माह से वेतन का भुगतान कर सकें। शुक्रवार को नगर निगम की वित्तीय संकट दूर करने और आय के साधन बढ़ाने के लिए गठित कमेटी की बैठक हुई। जिसमें अतिरिक्त कमिश्नर अनिल गर्ग और चीफ इंजीनियर शैलेंद्र सिंह ने भी भाग लिया।
बैठक में अतिरिक्त कमिश्नर अनिल गर्ग ने सदस्यों को साफ कहा कि एमसी के पास अपने कर्मचारियों को वेतन देने के लिए फंड नहीं है। अब प्रशासन नगर निगम को हर माह 30 करोड़ की ग्राट इन एड ही देगा। इससे नगर निगम के सभी जरूरी काम भी नहीं हो पाएंगे। मालूम हो कि नगर निगम को हर माह 45 करोड़ रुपये की राशि जरूरी कामों के लिए चाहिए। जिसमें कर्मचारियों का वेतन भी शामिल है। इसके बिना नगर निगम नहीं चल सकता।
कालिया ने कहा : कांग्रेसी इस्तीफा दें
सतीश कैंथ की भाजपा के सदस्यों के साथ जमकर बहस भी हुई। काग्रेस पार्षद कैंथ ने कहा कि ऐसे में नगर निगम को बंद कर देना चाहिए और नगर निगम चलाने के लिए प्रशासन को सौंप देना चाहिए। भाजपा पार्षद राजेश कालिया ने सतीश कैंथ को कहा कि उनकी पार्टी के सभी पांच पार्षद इस्तीफा दे दें। ऐसे में प्रशासन पर अतिरिक्त फंड जारी करने का दबाव बन जाएगा। सतीश कैंथ ने कहा कि शहर में सासद भाजपा का है, केंद्र में सरकार भाजपा की है। ऐसे में नगर निगम को पूरी ग्राट दिलाने की जिम्मेदारी भाजपा की है। भाजपा पार्षदों को केंद्रीय वित्त मंत्री पर दबाव डालना चाहिए। बैठक में अतिरिक्त कमिश्नर अनिल गर्ग ने यहा तक कहा कि कजौली वाटर पार्क के पाचवें और छठे फेज से जो एमजीडी सप्लाई है। उससे नगर निगम का हर माह दो करोड़ का बिजली खर्च बढ़ गया है।
फंड की कमी, अतिरिक्त सप्लाई हो बंद
अधिकारियों ने कहा कि जो अतिरिक्त पानी की सप्लाई आ रही है, उसे फंड की कमी के कारण बंद कर देना चाहिए। चीफ इंजीनियर शैलेंद्र सिंह ने भी इस पर निर्णय लेने के लिए कहा तो कमेटी के अन्य सदस्यों ने कहा कि ऐसा नहीं होना चाहिए। अधिकारियों ने कहा कि पहले भी इन दोनों फेज से पानी न आने के कारण शहर की सप्लाई चल ही रही थी। पूर्व मेयर देवेश मोदगिल ने कहा कि दिल्ली फाइनेंस कमीशन की चौथी सिफारिश के अनुसार नगर निगम को ग्राट मिलनी चाहिए।
रजिस्ट्री पर टैक्स लगाने की मांग
बैठक में इस प्रस्ताव पर भी विचार किया गया कि जो शहर में प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री हो रही है, उस पर टैक्स लगा देना चाहिए ताकि कमाई बढ़ सके। पार्षदों ने अधिकारियों से प्रशासन की ओर से केंद्र सरकार को दिल्ली फाइनेंस कमीशन की चौथी सिफारिश के अनुसार ग्राट देने की माग का स्टेटस भी पूछा। अधिकारियों को इस माग का स्टेटस अगली बैठक में लाने के लिए कहा गया है। अब अगली बैठक 24 जुलाई को बुलाई गई है।