पीजीआइ के लिए खर्चे 40 लाख, अब मांगी मौत, जाने क्या है मामला...
रिटायर अधिकारी डॉ. जेसी मेहता हजारों लोगों की मदद के लिए हॉस्पिटल इंजीनियरिंग इंस्टीट्यूट बनवाना चाहते हैं। उन्होंने इसके लिए पैसे भी दिए। लेकिन यह नहीं बना।
चंडीगढ़ [डॉ. रविंद्र मलिक]। 11 वर्षों के इंतजार और 40 लाख रुपये जेब से देने के बावजूद पीजीआइ में हॉस्पिटल इंजीनियरिंग इंस्टीट्यूट नहीं बनने से खफा डॉ. जेसी मेहता ने इच्छा मृत्यु मांगी है। पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिख उन्होंने कहा कि पीजीआइ की मेडिकल सुविधाओं में बढ़ोतरी और लाखों लोगों के फायदे के लिए वह इंस्टीट्यूट बनवाना चाहते हैं। इसके लिए उन्होंने अपनी जिंदगी का एक दशक कुर्बान कर दिया। खुद से 40 लाख भी खर्चे। पर बार-बार सिर्फ आश्वासन ही मिला। इस पत्र के बाद पीएमओ ने भी संज्ञान लिया है। उन्होंने पीजीआइ को पत्र लिखकर पूछा है कि मंजूरी के बावजूद इंस्टीट्यूट क्यों नहीं बनाया जा रहा।
पीजीआइ के इंजीनियरिंग विभाग से रिटायर हो चुके डॉ. जेसी मेहता ने तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री, स्वास्थ्य सचिव से लेकर वर्तमान स्वास्थ्य मंत्री और उच्चाधिकारियों का दरवाजा भी खटखटा चुके हैं, लेकिन सब जगह उनको निराशा हाथ लगी। मामले को लेकर वो पीजीआइ डायरेक्टर से भी मुलाकात कर चुके हैं। एक कमेटी बनी थी, जिसके चेयरमैन वीएम कटौच थे। उन्होंने भी इसको मंजूरी दे दी थी। डॉ. मेहता अब वर्षों से चक्कर काट रहे हैं।
पीजीआइ के डीन समेत सभी दे चुके हैं मंजूरी
डॉ. मेहता ने बताया कि 2007 में इसे बनाने को लेकर ऑल इंडिया काउंसिल ऑफ टेक्निकल एजुकेशन की रिपोर्ट पीजीआइ को दी गई थी। इसके बाद फाइनल मंजूरी 2011 में दी गई, लेकिन उसके बाद से काम ठप पड़ा है। रिटायर होने से पूर्व डीन रिसर्च प्रो. डी बेहरा भी हॉस्पिटल इंजीनियरिंग इंस्टीट्यूट की जरूरत बता चुके हैं। उन्होंने भी मामले को लेकर सकारात्मक रिपोर्ट दी थी, लेकिन परिणाम शून्य ही रहा है।
पीजीआइ को केवल देनी है लैब सुविधा
पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज (पेक) ने संस्थान शुरू करने के लिए हर सुविधा देने को कहा है। इंस्टीट्यूट के लिए अलग से इमारत की जरूरत भी नहीं है और पेक की फैकल्टी ही वहां आकर पढ़ाएगी। पीजीआइ को केवल लैब मुहैया करवानी है। इस इंस्टीट्यूट में पीजीआइ स्तर पर दो कोर्स शुरू होंगे। हॉस्पिटल इंजीनियरिंग में 60 से ज्यादा सेवाएं हैं, जो पेशेंट केयर, आगजनी से सुरक्षा, साफ-सफाई व प्रशासनिक कामों में काम आती हैं।
- मामले को लेकर मैंने पीएम को डेथ विश के बारे में लिखा है। यह मेरा व्यक्तिगत फैसला है। सालों की मेहनत के बाद पीजीआइ ने कुछ नहीं किया। यह बनता तो सबका भला होता।
-डॉ. जेसी मेहता, शिकायतकर्ता।
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- मामला मेरे संज्ञान में है और गंभीरता से मामले पर विचार हो रहा है। पीजी व पीएचडी कोर्स शुरु करने पर विचार किया जा रहा है। मामले को लेकर हम पूरी तरह से पॉजिटीव हैं। जगह की कमी भी आड़े आ रही है।
प्रो जगत राम, पीजीआइ डायरेक्टर।
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