पूर्व सांसद रंजीत सिंह ब्रह्मपुरा, पूर्व विधायक वडाली साथियों सहित अकाली दल में फिर हुए शामिल
अकाली दल को छोड़कर गए पूर्व सांसद रंजीत सिंह ब्रह्मपुरा फिर से शिअद में शामिल हो गए हैं। उन्हें मनाने के लिए खुद पूर्व सीएम प्रकाश सिंह बादल आज उनके आवास पर पहुंचे और फिर से पार्टी ज्वाइन कराई।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। माझा के जरनैल कहे जाने वाले और प्रकाश सिंह बादल के बाद दूसरे सबसे वयोवृद्ध नेता रंजीत सिंह ब्रह्मपुरा फिर से पार्टी में लौट आए हैं। उनके साथ पूर्व विधायक उजागर सिंह वडाली व पूर्व विधायक रविंदर सिंह ब्रह्मपुरा व कई अन्य नेता भी शामिल थे। घर वापसी को लेकर ब्रह्मपुरा ने इतनी शर्त अवश्य रखी कि उन्हें पार्टी में शामिल करने के लिए प्रकाश सिंह बादल उनके घर पर आएं। वह पार्टी आफिस में जाकर पार्टी में शामिल नहीं होंगे, जिसे प्रकाश सिंह बादल ने भी सहर्ष स्वीकार कर लिया और लंबे समय बाद पहली बार प्रकाश सिंह बादल लंबी हलके से बाहर निकले हैं।
चंडीगढ़ में ब्रह्मपुरा के निवास पर खडूर साहिब हलके से कई कार्यकर्ता और नेता पहुंचे हुए थे। इस दौरान सुखबीर बादल ने पंथक राजनीतिक को मजबूत करने का हवाला देते हुए कहा कि सभी पंथक संगठनों को अकाली दल में शामिल होकर उसे सशक्त करना चाहिए। सुखबीर ने कहा कि पंथ पर सभी सरकारें हमला कर रही हैं और चूंकि अकाली दल पंथक पार्टी है, इसलिए उसका मजबूत होना जरूरी है। अगर हमारी सियासी ताकत मजबूत होगी तभी धर्म भी बचेगा। उन्होंने कहा कि श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ने भी सभी पंथक संगठनों की एकता की अपील की है।
छुट्टी गया था, रेजिमेंट में लौट आया
रंजीत सिंह ब्रह्मपुरा ने इस मौके पर कहा कि उनका अकाली दल से जाना ऐसा था कि जैसे कोई सैनिक छुट्टी पर चला जाता है और बाद में लौट आता है। उन्होंने प्रकाश सिंह बादल को बाबा बोहड़ बताते हुए कहा कि अब पार्टी में दूसरे नंबर का वट् वृक्ष तो मैं भी हूं। उन्होंने कहा कि कहीं मेरे से गलती हो गई हो तो मुझे माफ करें। प्रकाश सिंह बादल ने सुखबीर बादल से कहा कि ब्रह्मपुरा के हर आदेश को इलाही हुक्म समझा करें। इन्होंने जीवनभर मेरा साथ दिया है और खुद भी बहुत जेलें काटी हैं और यातनाएं सही हैं।
बादल ने सुखदेव सिंह ढींडसा का नाम लिए बगैर कहा कि बाकी के सभी नेता भी पार्टी में लौट आएं और इसे मजबूत करें। सुखबीर बादल ने भी एक सवाल के जवाब में कहा कि सुखदेव सिंह ढींडसा समेत सभी पंथक संगठनों से मैंने अपील की है कि वह अकाली दल में लौट आएं और अपनी पंथक पार्टी को मजबूत करें। उन्होंने रंजीत सिंह ब्रह्मपुरा को पार्टी का उप-सरपरस्त बनाने का भी ऐलान किया, लेकिन ब्रह्मपुरा ने बादल के सम्मान में यह स्वीकार नहीं किया।
आ जाओ बादल साहिब, फिर पता नहीं हम एक-दूसरे से मिल भी सकें कि नहीं
रंजीत सिंह ब्रह्मपुरा ने दोबारा पार्टी में शामिल होने के लिए केवल इतना कहा कि प्रकाश सिंह बादल उनके घर आएं। उन्होंने फोन पर भी प्रकाश सिंह बादल से यही अपील की जिस पर बादल ने कहा कि उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता। घुटनों पर सूजन है। ब्रह्मपुरा ने कहा, बादल साहिब मैं कौन सा घोड़ी पर चढ़ा हुआ हूं। मेरी भी यही हालत है। इस उम्र में तो ऐसा ही होता है। पता नहीं, फिर हम एक-दूसरे को मिल सकें या न, आप एक बार आ जाओ। बताते हैं कि ब्रह्मपुरा की इतनी बात सुनकर बादल उन्हें इन्कार नहीं कर सके। यही नहीं, प्रेस कांफ्रेंस के दौरान भी दोनों एक-दूसरे से माफी मांगते रहे और माहौल बड़ा भावुक हो गया। प्रकाश सिंह बादल के लिए यह दूसरा मौका था जब इस तरह कोई करीबी साथी उन्हें फिर से मिला हो। इससे पहले 2003 में जत्थेदार गुरचरण सिंह टोहरा के दोबारा पार्टी में शामिल होने पर ऐसा ही भावुक माहौल बन गया था।