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137 करोड़ खर्चने और 500 पेड़ कटने के बाद बनेगा फ्लाईओवर, जाम से फिर भी नहीं मिलेगी निजात

फ्लाईओवर का अधूरा प्लान बढ़ाएगा और मुश्किलें जीरकपुर फ्लाईओवर से कनेक्ट होता तो भीड़ होती कम।

By Edited By: Published: Mon, 11 Nov 2019 08:54 PM (IST)Updated: Wed, 13 Nov 2019 09:57 AM (IST)
137 करोड़ खर्चने और 500 पेड़ कटने के बाद बनेगा फ्लाईओवर, जाम से फिर भी नहीं मिलेगी निजात
137 करोड़ खर्चने और 500 पेड़ कटने के बाद बनेगा फ्लाईओवर, जाम से फिर भी नहीं मिलेगी निजात

चंडीगढ़, जेएनएन। ट्रिब्यून चौक पर बनने वाले फ्लाईओवर को बनाने में 137 करोड़ रुपये खर्च होंगे और करीब 500 पेड़ों को काटा जाएगा। लेकिन इसका कोई फायदा होने वाला नहीं है। इतनी मोटी रकम खर्च करने और सैकड़ों पुराने पेड़ों की बली देने के बाद भी शहर को जाम से निजात मिलने वाली नहीं है। अभी जैसे हालात हैं फ्लाईओवर बनने के बाद भी ये सुधरने वाले नहीं हैं।

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इसका मुख्य कारण फ्लाईओवर का डिजाइन है। जो फ्लाईओवर बनाया जा रहा है, वह अधूरा है। अगर इसे जीरकपुर के फ्लाईओवर से कनेक्ट किया जाता तो जाम की समस्या तुरंत खत्म हो जाती। लेकिन अब ट्रैफिक के जो हालात ट्रिब्यून चौक फ्लाईओवर पर रहते हैं, इसके बनने के बाद हल्लोमाजरा फ्लाईओवर पर क्योस होने वाला है।

जीरकपुर, दिल्ली की तरफ आने वाला ट्रैफिक फ्लाईओवर की वजह से तेजी से शहर से निकलेगा। लेकिन ट्रिब्यून चौक क्रॉस करते ही यह हल्लोमाजरा चौक पर फिर से नीचे से गुजरने वाले ट्रैफिक से मिलेगा। जिससे यहां पर जाम लग जाएगा। अभी भी यहां जाम रहता है। इस फ्लाईओवर के लिए कुल 472 पेड़ों को काटा जाएगा। जिनमें से 150 को ही रीट्रांसप्लांट किया जा सकेगा।

अब फ्लाईओवर की लंबाई केवल 1.6 किलोमीटर होगी। जबकि पहले जो डिजाइन तैयार किया गया था, उसमें फ्लाईओवर की लंबाई 6.5 किलोमीटर रखी गई थी। जिसमें इसका बजट भी 390 करोड़ से अधिक बन रहा था। पहली डीपीआर में हल्लोमाजरा चौक पर अंडरपास और ट्रिब्यून राउंडअबाउट पर एलिवेटेड कॉरिडोर और एलिवेटेड रोटरी बनाने का प्लान भी था जिसे रीवाइज्ड डीपीआर में हटा दिया गया था।

बजट की अप्रूवल नहीं मिलने की वजह से ही फ्लाईओवर को छोटा कर महज डेढ़ किलोमीटर का कर दिया गया। पुराने डिजाइन से ऐसे मिलती राहत अब ट्रिब्यून चौक पर तो जाम नहीं लगेगा। यहां अंडरपास भी बनाया जा रहा है। लेकिन हल्लोमाजरा चौक से जीरकपुर तक ऐसे ही हालात रहेंगे जैसे अब हैं। अगर फ्लाईओवर पहले तैयार किए गए डिजाइन के हिसाब से बनता तो यह दो हिस्सों में बनता। इसका दूसरा एलिवेटेड पार्ट रेलवे लाइन क्रॉस करने के बाद शुरू होकर सीधे जीरकपुर फ्लाईओवर से कनेक्ट हो जाता। जिससे हरियाणा, डेराबस्सी की तरफ का ट्रैफिक ऊपर से ही निकल जाता। जनवरी 2020 से निर्माण होगा शुरू इस फ्लाईओवर के लिए टेक्निकल बिड को मंजूरी मिल चुकी है। इस बिड में चार कंपनियों ने आवेदन किया था। प्रशासन अब इसकी फाइनेंशियल बिड खोलने की तैयारी कर रहा है।

सबसे कम बिड देने वाली कंपनी को काम अलॉट होगा। दावा किया जा रहा है कि जनवरी 2020 से फ्लाईओवर निर्माण का काम शुरू हो जाएगा। इस प्रोजेक्ट का शिलान्यास प्रशासक वीपी सिंह बदनौर और सांसद किरण खेर ने तीन मार्च 2019 को चुनाव से ठीक पहले किया था। सांसद किरण खेर ने ट्रिब्यून चौक पर रोजाना लगने वाले जाम की समस्या से निपटने के लिए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को चिट्ठी लिखकर फ्लाईओवर की मांग रखी थी। इसके बाद गडकरी ने पांच जून, 2016 को चंडीगढ़ इंटरनेशनल एयरपोर्ट पहुंचने पर सांसद किरण खेर की मौजूदगी में मीडिया से बात करते हुए ट्रिब्यून चौक पर फ्लाईओवर या क्लोवरलीफ बनाए जाने को मंजूरी दे दी थी।

एक्सपर्ट व्यू सॉल्यूशन नहीं प्रॉब्लम को कर रहे शिफ्ट

जिस डीपीआर के आधार पर फ्लाईओवर बनाया जा रहा है, उससे ट्रैफिक जाम का सॉल्यूशन नहीं होगा बल्कि प्रॉब्लम को एक चौक से दूसरे चौक पर शिफ्ट करने वाली बात है। ट्रिब्यून चौक से तो गाड़ियां तेजी से निकल जाएंगी लेकिन अगले ही चौक से फिर लंबा जाम होगा। इसका ओवरऑल प्लान तैयार कर निर्माण होना चाहिए। बीमारी को पकड़कर ठीक करने के बजाय उसे आगे बढ़ाया जा रहा है। कई देशों में फ्लाईओवर बनाकर पछताया जा रहा है उन्हें तोड़ा जा रहा है।

शहर सिर्फ गाड़ियों के लिए नहीं है, यह पैदल और साइकिलिस्ट के लिए भी है। इसलिए उनका ध्यान रखना भी जरूरी है। जब तक 80 प्रतिशत राइडरशिप पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल नहीं करते समस्या बनी रहेगी। स्मार्ट सिटी में रियल टाइम ट्रैफिक मॉनीटरिंग सिस्टम इंस्टाल होना चाहिए। इससे जिस रोड पर ट्रैफिक ज्यादा होगी उसे दूसरी जगह डायवर्ट कर सकते हैं। -सुमित कौर, पूर्व चीफ आर्किटेक्ट, चंडीगढ़


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