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फाइव ईयर लॉ कोर्स में प्रवेश के लिए एंट्रेंस टेस्ट न करवाने पर अड़ा पीयू

पीयू के इस जवाब पर जस्टिस एजी मसीह एवं जस्टिस अनिल क्षेत्रपाल की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को 23 अक्तूबर तक अपना पक्ष रखने का निर्देश देते हुए सुनवाई 26 अक्तूबर के लिए स्थगित कर दी है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 21 Oct 2020 10:53 PM (IST)Updated: Thu, 22 Oct 2020 05:05 AM (IST)
फाइव ईयर लॉ कोर्स में प्रवेश के लिए एंट्रेंस टेस्ट न करवाने पर अड़ा पीयू
फाइव ईयर लॉ कोर्स में प्रवेश के लिए एंट्रेंस टेस्ट न करवाने पर अड़ा पीयू

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़ : पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़  की ओर से पांच साल के ईयर लॉ कोर्स में दाखिले के  लिए एंट्रेंस टेस्ट नहीं करवाए जाने के पंजाब यूनिवर्सिटी  के निर्णय के खिलाफ दायर याचिका पर बुधवार को पीयू ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि फिलहाल कोविड के चलते यह एंट्रेंस एग्जाम आयोजित नहीं करवाया जा सकता है और न ही इसके लिए बार काउंसिल ऑफ इंडिया का कोई निर्देश है। पीयू के इस जवाब पर जस्टिस एजी मसीह एवं जस्टिस अनिल क्षेत्रपाल की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को 23 अक्तूबर तक अपना पक्ष रखने का निर्देश देते हुए सुनवाई 26 अक्तूबर के लिए स्थगित कर दी है।

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मामले को लेकर चिराग मल्ली ने एडवोकेट अभिनव गुप्ता के जरिए हाई कोर्ट में याचिका दायर कर बताया है कि पंजाब यूनिवर्सिटी ने पांच साल के लॉ का एंट्रेंस टेस्ट नहीं करवाए जाने का निर्णय लिया था। इसके खिलाफ उन्होंने पहले भी हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। तब हाई कोर्ट ने पंजाब यूनिवर्सिटी को कहा था कि जब देश भर में कई परीक्षाएं आयोजित की जा रही हैं तो पंजाब यूनिवर्सिटी को इस कोर्स के एंट्रेंस टेस्ट करवाए जाने में क्या आपत्ति है। लिहाजा हाई कोर्ट ने पंजाब यूनिवर्सिटी को इस निर्णय पर दोबारा गौर कर नए सिरे से निर्णय लिए जाने के आदेश देते हुए याचिका का निपटारा कर दिया था। हाई कोर्ट के इन आदेशों के बाद पंजाब यूनिवर्सिटी ने फिर इस कोर्स के एंट्रेंस टेस्ट नहीं करवाए जाने और बाहरवीं के अंकों के आधार पर दाखिले किए जाने का निर्णय ले लिया था। पीयू के निर्णय को याचिकाकर्ता ने फिर हाई कोर्ट में याचिका दायर कर चुनौती दे दी थी। 29 सितंबर को चीफ जस्टिस की खंडपीठ ने फिर एक बार इस याचिका का निपटारा करते हुए यूनिवर्सिटी को एक बार फिर इस निर्णय पर पुनर्विचार किए जाने के आदेश दे दिए थे। हाई कोर्ट के इन आदेशों के बाद यूनिवर्सिटी फिर अपने निर्णय पर कायम रहा और दोबारा एंट्रेंस टेस्ट नहीं करवाए जाने का निर्णय ले लिया। अब फिर याचिकाकर्ता ने पंजाब यूनिवर्सिटी के इस निर्णय को हाई कोर्ट में चुनौती दे दी है। जिस पर हाई कोर्ट ने पंजाब यूनिवर्सिटी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। 


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