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Captain Vs Sidhu: पांच बिंदुओं में समझिए कैप्टन अमरिंदर सिंह कहां पड़े कमजोर और नवजोत सिंह सिद्धू भारी

Captain Vs Sidhu नवजोत सिंह सिद्धू आखिरकार कैप्टन अमरिंदर सिंह पर भारी पड़े। कैप्टन अमरिंदर सिंह जैसे दिग्गज नेता को मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा। आइए जानते हैं कैप्टन अमरिंदर सिंह कहां कमजोर पड़े और सिद्धू कहां भारी रहे।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sat, 18 Sep 2021 09:00 PM (IST)Updated: Sun, 19 Sep 2021 12:28 PM (IST)
Captain Vs Sidhu: पांच बिंदुओं में समझिए कैप्टन अमरिंदर सिंह कहां पड़े कमजोर और नवजोत सिंह सिद्धू भारी
कैप्टन अमरिंदर सिंह व नवजोत सिंह सिद्धू की फाइल फोटो।

जेएनएन, चंडीगढ़। Captain Vs Sidhu: पिछले लगभग पांच वर्ष में पंजाब कांग्रेस में बहुत कुछ बदल गया। नवजोत सिंह सिद्धू कैप्टन अमरिंदर सिंह की इच्छा के विपरीत पिछले विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस में आए थे। पिछला चुनाव कैप्टन के नेतृत्व में ही लड़ा गया और पार्टी ने प्रचंड बहुमत हासिल किया। पार्टी ने इसका पूरा श्रेय कैप्टन अमरिंदर सिंह को दिया। नवजोत सिंह सिद्धू कैप्टन की कैबिनेट में शामिल हुए और स्थानीय निकाय मंत्री रहे, लेकिन कुछ समय बाद ही सिद्धू कैप्टन के लिए चुनौती बनने लगे।

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कैप्टन अमरिंदर सिंह ने मंत्रियों के विभाग में फेरबदल किया तो सिद्धू को स्थानीय निकाय विभाग के बदले ऊर्जा विभाग दे दिया, लेकिन सिद्धू इसके लिए राजी नहीं हुए। काफी दिनों की जिद्दोजहद के बाद सिद्ध ने कैप्टन मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया। यहीं से कैप्टन व सिद्धू के बीच आर-पार की लड़ाई शुरू हुई। इसके बाद लंबे समय तक नवजोत सिंह सिद्धू ने चुप्पी साधे रखी, लेकिन इस वर्ष की शुरुआत में अचानक नवजोत सिंह सिद्धू ने सक्रियता बढ़ा दी। इसके बाद कैप्टन की इच्छा के विपरीत हाईकमान ने सिद्धू को पंजाब कांग्रेस की कमान सौंप दी। इसके बाद सिद्धू कैप्टन सरकार पर और आक्रामक हो गए। उन्होंने कई मुद्दों पर कैप्टन को घेरा। आखिरकार नवजोत सिंह सिद्धू कैप्टन को घेरने में पूरी तरह सफल रहे। कैप्टन जैसे दिग्गज नेता को मुख्यमंत्री का पद छोड़ना पड़ा। आइए जानते हैं कैप्टन कहां कमजोर रहे और सिद्धू कहां भारी पड़े।

 यहां कमजोर रहे गए कैप्टन

  1. कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अफसरों पर ज्यादा भरोसा किया। जिसकी वजह से पार्टी के विधायक नाराज रहते थे।
  2. कैप्टन ने सिसवां फार्म हाउस को अपना अपना सरकारी आवास बना लिया था। वहां तक सबकी पहुंच नहीं थी। इसी कारण मंत्रियों, विधायकों और मुख्यमंत्री के बीच दूरी बढ़ती गई।
  3. पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ और कैप्टन के राजनीतिक सलाहकार कैप्टन संदीप संधू सरकार व पार्टी के बीच पुल का काम करते थे। यह पुल टूट गया।
  4. कैप्टन के पास राजनीतिक मामलों को संभालने के लिए कोई नेता नहीं बचा था।
  5. पार्टी हाईकमान ने एक साल पहले ही कैप्टन को हटाने की योजना बना ली थी। परंतु वह हाईकमान की मंशा को पहचानने में नाकाम रहे।

सिद्धू पड़े कैप्टन पर भारी

  1. मंत्री रहते हुए नवजोत सिद्धू पंजाब के पहले ऐसे नेता थे जिन्होंने कैप्टन के खिलाफ बगावत की। आंध्रप्रदेश में चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने कहा था कि मेरे कैप्टन राहुल गांधी हैं, कैप्टन तो पंजाब के कैप्टन है।
  2. 2019 के लोकसभा चुनाव में सिद्धू ने कैप्टन पर फिर हमला किया। बठिंडा में उन्होंने कैप्टन की तरफ इशारा करते हुए कहा कि सरकार 75:25 की हिस्सेदारी से चल रही है।
  3. 2019 के लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद कैप्टन ने मंत्रियों के विभाग बदले। सिद्धू से स्थानीय निकाय विभाग वापस लेकर ऊर्जा विभाग दिया लेकिन सिद्धू ने मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया।
  4. कैप्टन के विरोध के बावजूद सिद्धू पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की ताजपोशी समारोह में शामिल होने के लिए पाकिस्तान गए।
  5. कैप्टन के विरोध के बावजूद कांग्रेस हाईकमान ने नवजोत सिंह सिद्धू को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाया। 

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