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ड्राफ्ट नोटिफिकेशन पर पहला सुझाव हेलमेट सभी महिलाओं के लिए हो अनिवार्य

भारत के संविधान में किसी भी धर्म, जाति या संप्रदाय के नाम पर किसी भी तरह का भेदभाव नहीं किया जाता है और न ही किसी को इसके आधार पर टोका जा सकता है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 20 Oct 2018 12:40 AM (IST)Updated: Sat, 20 Oct 2018 12:40 AM (IST)
ड्राफ्ट नोटिफिकेशन पर पहला सुझाव हेलमेट सभी महिलाओं के लिए हो अनिवार्य

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : भारत के संविधान में किसी भी धर्म, जाति या संप्रदाय के नाम पर किसी भी तरह का भेदभाव नहीं किया जाता है और न ही किसी को इसके आधार पर टोका जा सकता है। ऐसे में धर्म से ऊपर उठकर सुरक्षा के लिहाज से हेलमेट सभी महिलाओं के लिए अनिवार्य होना चाहिए। सीनियर सिटीजन एसोसिएशन (सिया) ने अपनी रिप्रेजेंटेशन में प्रशासन को यह सुझाव दिया है।

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सिया के प्रेजिडेंट आरके गर्ग ने असिस्टेंट सेक्रेटरी ट्रांसपोर्ट अमित तलवार को भेजे सुझाव में यह बात कही है। गर्ग ने कहा कि जब महिलाओं के लिए हेलमेट पहनने की पॉलिसी को लागू किया गया तो सिया ने इसका जोरदार समर्थन किया। धर्म को परे रख सभी महिलाओं के लिए हेलमेट होना चाहिए। हालांकि वह सभी धर्मो का सम्मान करते हैं। अगर हेलमेट को सिख महिलाओं के लिए ऑप्शनल किया जाता है तो इसका उद्देश्य ही खत्म हो जाएगा। ट्रैफिक पुलिस के लिए सिख महिलाओं की पहचान करना मुश्किल हो जाएगा। साथ ही वह किसी महिला को रोक कर उसका धर्म नहीं पूछ सकते। वैकल्पिक होने पर सभी महिलाएं ट्रैफिक पुलिस की इसी पहचान नहीं कर पाने की कमी का लाभ लेंगी और कोई भी हेलमेट नहीं पहनेगी।

उन्होंने कहा कि भारत में धर्म के आधार पर दो तरह के नियम नहीं हो सकते। संविधान इसकी मंजूरी नहीं देता। यह सिर्फ महिलाओं की सुरक्षा का मुद्दा है, किसी की धार्मिक भावनाओं का नहीं। कोई भी दुर्घटना होने से पहले धर्म नहीं देखती वह सीधे घट जाती है। गर्ग ने कहा कि सुरक्षा को देखते हुए हेलमेट सभी महिलाओं के लिए अनिवार्य होना चाहिए। धार्मिक भावना को देखते हुए भारत सरकार को रिसर्च कर अन्य सामग्री खोजनी चाहिए, जिससे ऐसा हेलमेट बनाए जा सके, जो विश्वभर में मान्य हो। किसी भी कानून को लागू करने में राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए। इसको लेकर हितधारकों की मीटिंग बुलाई जा सकती है। सिख महिलाओं को दी जा रही छूट

मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स की एडवाइजरी के बाद यूटी प्रशासन ने दिल्ली की तर्ज पर सिख महिलाओं के लिए हेलमेट अनिवार्य करने पर लोगों से सुझाव और शिकायतें मांगी हैं। इससे पहले हाईकोर्ट के निर्देश पर सभी महिलाओं के लिए हेलमेट अनिवार्य कर चालान शुरू कर दिए गए थे। लेकिन, शिरोमणि अकाली दल सहित कई सिख संगठनों की आपत्ति के बाद केंद्र सरकार ने हस्तक्षेप कर नोटिफिकेशन बदलाव करने के आदेश दिए हैं। 60:40 के अनुपात वाला नहीं कोई नियम

सीनियर सिटीजन एसोसिएशन ने कहा कि ऐसी कोई नोटिफिकेशन या कानून नहीं है, जिससे चंडीगढ़ में पदों पर पंजाब और हरियाणा का 60:40 अनुपात हो। रिकॉर्ड के अनुसार ऐसा को क्षेत्राधिकार नहीं है जिससे यह रेशो हो। हमेशा ही अगर केंद्र सरकार कोई एक्शन लेती है तो पंजाब और हरियाणा सरकार शोर मचाने लगती है। इसके बाद दिल्ली केंद्र सरकार तक दौड़ भाग शुरू हो जाती है। इस लड़ाई में चंडीगढ़ के निवासियों की मांगों को भुला दिया जाता है। आरके गर्ग ने कहा कि उनके पास इसके पेपर भी मौजूद हैं। जिसमें 60:40 का कहीं कोई जिक्र तक नहीं है। ऐसे में यूटी एडमिनिस्ट्रेटर को बिना किसी दबाव के नोटिफिकेशन और अन्य चीजों में फैसले लेने चाहिए।


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