'सज्जन सिंह रंगरूट' में दिखेगी प्रथम विश्व युद्ध की झलक
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : विश्व युद्ध पर फिल्म बनाना कोई बच्चों का खेल नहीं। तीन वर्ष लग गए निर्देश
By Edited By: Published: Fri, 16 Mar 2018 08:19 PM (IST)Updated: Sat, 17 Mar 2018 11:05 AM (IST)
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : विश्व युद्ध पर फिल्म बनाना कोई बच्चों का खेल नहीं। तीन वर्ष लग गए निर्देशकों से बात करते हुए। कितने ही निर्देशकों से आग्रह किया कि प्रथम विश्व युद्ध पर फिल्म बनाते हैं। मगर ज्यादातर ने मना कर दिया। आखिरकार पंकज बत्रा ने हामी भरी तो फिल्म सज्जन सिंह रंगरूट का निर्माण शुरू हुआ। यह कहना है अभिनेता दिलजीत दोसांझ का। होटल हयात में दैनिक जागरण से बातचीत करते हुए दिलजीत ने कहा कि लोगों को प्रथम विश्व युद्ध में पंजाबी सैनिकों के योगदान के बारे में पता चले। बड़े बजट की फिल्म होने के कारण इसमें कई मौकों पर बजट की समस्या आई। मगर फिर भी फिल्म बनने में सफल हुई। इस मौके पर उनके साथ अभिनेत्री सुनंदा शर्मा भी मौजूद थीं। कुब्बाहेड़ी में गया तो उपजा फिल्म बनाने का विचार दिलजीत ने कहा कि मैं कुछ हद तक तो ये जानता था कि पंजाब के कई सैनिकों ने प्रथम विश्व युद्ध में हिस्सा लिया था। मगर कुछ वर्ष पहले चंडीगढ़ के पास स्थित गांव कुब्बाहेड़ी गया तो वहां एक फाउंडिग स्टोन देखा, जिस पर 150 सैनिकों के नाम लिखे गए थे। इन सैनिकों ने प्रथम विश्व युद्ध में हिस्सा लिया था। विश्व युद्ध में लड़े इन योद्धाओं को भुलाया नहीं जा सकता था। बस वहीं से सोचा कि इस पर फिल्म बनाई जाए। फिल्म में आधा इतिहास और आधी कहानी फिल्म में शामिल नाम सज्जन सिंह क्या वाकई में कोई असल किरदार था? पर दलजीत ने कहा नहीं, ये तो नाम बस ऐसे ही फिल्म में शामिल कर लिया गया। पहले फिल्म का नाम रंगरूट रखना था, मगर किसी वजह से इसका नाम फिर सज्जन सिंह रंगरूट रखा गया। हालांकि इसमें कहानी तो असल है, पर कई किरदार को फिक्शन के रूप में रखा गया है। पंजाबी फिल्म को पंजाबी फिल्म ही देगी टक्कर आपके साथ गिप्पी ग्रेवाल की सूबेदार जोगिंदर सिंह भी आ रही है, क्या इसको लेकर कोई कंपीटीशन का भाव भी है? इस पर दिलजीत ने कहा कि नहीं, बल्कि ये अच्छी बात है कि एक पंजाबी फिल्म को पंजाबी फिल्म टक्कर देगी। ऐसा कितनी बार सुना है कि कोई दो बड़ी पंजाबी फिल्म एक साथ रिलीज होगी। हालांकि हमारी रीलिजिंग डेट्स में फर्क है। गब्बर भी बंदूक लेकर चलता था, उसे क्यों नहीं बैन किया इन दिनों पंजाबी गीतों में हथियार जैसे शब्दों के इस्तेमाल पर दिलजीत ने कहा कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। हम तो गीत बनाते हैं, फिल्मों में तो कब से इस तरह का चलन है। शोले फिल्म में गब्बर भी बंदूक लेकर चलता था, उस किरदार को क्यों बैन नहीं किया गया। मैं अपने गीतों को एंजॉय करता हूं, किसी की व्यक्तिगत भावना को ठेस पहुंचाना मेरा मकसद नहीं।
Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें