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बेटों को प्रेक्टिस कराते-कराते खुद बन गए वेटलिफ्टर, अब घर में दवाइयों की जगह लटके हैं मेडल

खेल का जीवन में कितना महत्वपूर्ण स्थान है इसे महसूस किया नगर निगम के असिस्टेंट इंजीनियर गुरजीत सिंह ने।

By Vipin KumarEdited By: Published: Mon, 01 Apr 2019 03:09 PM (IST)Updated: Mon, 01 Apr 2019 03:09 PM (IST)
बेटों को प्रेक्टिस कराते-कराते खुद बन गए वेटलिफ्टर, अब घर में दवाइयों की जगह लटके हैं मेडल
बेटों को प्रेक्टिस कराते-कराते खुद बन गए वेटलिफ्टर, अब घर में दवाइयों की जगह लटके हैं मेडल

चंडीगढ़ [विकास शर्मा]। खेल का जीवन में कितना महत्वपूर्ण स्थान है, इसे महसूस किया नगर निगम के असिस्टेंट इंजीनियर गुरजीत सिंह ने। एक मित्र की सलाह पर गुरजीत ने अपने दोनों बेटों को स्पोट्र्स कांप्लेक्स-42 में वेटलिफ्टिंग की कोचिंग दिलाना शुरू किया। बच्चों को छोडऩे और वापस लाने के झंझट से बचने के लिए वे भी प्रेक्टिस देखने के लिए एक-दो घंटे वहीं रुक जाते थे। बच्चों का जोश देखकर उन्होंने भी वेटलिफ्टिंग शुरू कर दी। अब घर में दवाइयों की जगह मेडल आने शुरू हो गए। गुरजीत के अनुसार फिटनेस का असर उनके काम पर पड़ा। अब मैं हर किसी को खेल से जुड़े रहने के लिए प्रेरित करता हूं।0

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खेल ने बदल दिया मेरे जीने का तरीका
गुरजीत सिंह ने बताया कि खेल से जुडऩे के बाद मेरे जीवन में इतना बदलाव आया कि मैं बयां नहीं कर सकता। मुझे शुगर और हाई ब्लड प्रेशर रहता था, जिस वजह मुङो रोजाना सुबह-शाम दवाई लेनी पड़ती थी, लेकिन अभी मैं पूरी तरह से फिट हूं। मेरी दवाइयां पूरी तरह से बंद हो गई। खेल से जुडऩे से दूसरा बदलाव यह आया कि दोनों बेटे मेरे अब बहुत अच्छे दोस्त बन गए हैं।

बाप-बेटों में होता है ज्यादा मेडल जीतने का मुकाबला
बाप-बेटों के बीच में ज्यादा मेडल जीतने का मुकाबला सुनने में अजीब लगता है, लेकिन सच है। इसी महीने 2 से 3 फरवरी को हुई चंडीगढ़ स्टेट वेटलिफ्टिंग प्रतियोगिता में गुरजीत सिंह के बड़े बेटे गुरकरण सिंह ने 55 किलो भार वर्ग में गोल्ड मेडल जीता। पिछली बार उन्होंने सिल्वर मेडल जीता था। वहीं, छोटे बेटे परमवीर सिंह ने 81 किलो भार वर्ग में हिस्सा लेते हुए ब्रांज मेडल जीता है। पिछले साल परमवीर ने ब्रांज मेडल जीता था। गुरजीत सिंह ने पिछले नेशनल मास्टर्स गेम्स में ब्रांज मेडल जीता और मलेशिया में आयोजित एशिया पेसिफिक गेम्स में सिल्वर मेडल जीता था।

गुरजीत ने बताया कि अब मेरे बेटे नेशनल गेम्स में और मैं कॉमनवेल्थ मास्टर्स चैंपियनशिप पेसिफिक रिम टूर्नामेंट की तैयारी कर रहा हूं। ऑस्ट्रेलिया के गोल्डकोस्ट में इस साल जून में टूर्नामेंट होगा। इस टूर्नामेंट में मेडल जीतने को लेकर में इतना उत्साहित हूं कि अपने भार में तीन किलो का इजाफा किया है, इस प्रतियोगिता में मैं 108 किलोग्राम भार वर्ग में हिस्सा लूंगा।


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