Farmers Protest: किसान संगठनों का आज देशभर में 'रेल रोको आंदोलन', आम यात्रियों को होगी भारी परेशानी
बीते करीब एक माह से अपनी मागों को लेकर दिल्ली कूच करने को लेकर किसान हरियाणा बॉर्डर पर डटे हुए हैं। किसान आज चार घंटे तक देशभर में ट्रेनें रोकेंगे। किसानों ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि वह एमएसपी को लेकर गंभीर नहीं हैं। सरकार के साथ अब तक की बैठक और अपनी मांगों को लेकर उन्होंने अपनी बातें रखी हैं।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार एमएसपी गारंटी कानून के मुद्दे पर गम्भीर नहीं है। केंद्र सरकार द्वारा पांच वर्षों तक पांच फसलों को एमएसपी पर खरीद के प्रस्ताव को किसान नेताओं ने दोबारा रद्द कर दिया है। इसके साथ ही किसान नेताओं ने घोषणा की कि वह अपने पहले से घोषित कार्यक्रम के तहत रविवार को दोपहर 12 बजे से चार बजे तक देश भर में ट्रेनें रोकेंगे।
रेल रोको आंदोलन होगा शांतिपूर्ण-किसान
खास बात यह है कि इस रेल रोको आंदोलन को संयुक्त किसान मोर्चा (राजनीतिक) ने भी समर्थन दिया है। किसान नेताओं ने घोषणा की कि यह रेल रोको आंदोलन ( Rail Roko Andolan) शांतिपूर्वक होगा और ट्रेनों को केवल रेलवे स्टेशनों और रेलवे क्रॉसिंग के पास ही रोका जाएगा। किसान नेताओं का आरोप है कि एक तरफ केंद्र सरकार आत्मनिर्भर भारत व स्वदेशी का नारा देती है, दूसरी तरफ एक लाख 41 हजार करोड़ के खाद्य तेल व 29 लाख टन दालें आयात करती है।
अगर तिलहन और दलहन पर देश में ही एमएसपी मिलने लगे तो इससे किसानों के साथ-साथ देश को भी लाभ होगा। बता दें कि राज्य में कुल 62,600 हेक्टेयर में दलहन की खेती होती है। इससे 76,000 टन दलहन की पैदावार होती है। इसी तरह तिलहन 49,500 हैक्टेयर है तिलहन की खेती होती है और 75,300 टन पैदावार होती है।
चार बैठकों में सरकार ने दी है मौखिक सहमति- किसानों का आरोप
किसान नेताओं ने बताया कि आम किसानों (Farmers Protest) को गुमराह करने के लिए सरकार व अन्य लोग कह रहे हैं कि किसानों की ज्यादातर मांगें सरकार मान चुकी है। जोकि बिल्कुल झूठ है। केंद्रीय मंत्रियों से चार बैठकों में केंद्र सरकार ने कृषि क्षेत्र को प्रदूषण कानून व बिजली कानून से बाहर रखने, लखीमपुर खीरी के घायल किसानों को मुआवजा व मारे गए किसानों के परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने, 2020-21 के किसान आंदोलन के बचे हुए केसों को खत्म करने और खराब बीज व खाद के मुद्दे पर भारी जुर्माना लगाने का प्रावधान बनाने पर केवल मौखिक सहमति दी।
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