बड़े शहरों के लिए दूध, सब्जी की सप्लाई बंद करेंगे किसान
केंद्र व राज्य सरकारों पर दबाव बनाने के लिए किसान बड़े शहरों में दूध व सब्जी की सप्लाई बंद करेंगे। कहा कि किसानों के नाम पर राजनीतिक रोटियां सेंकी जा रही हैं।
जेएनएन, चंडीगढ़। केंद्र और प्रांतीय सरकारों द्वारा किसानों की मांगों को अनदेखा करने के विरोधस्वरूप किसान संगठनों ने सरकार पर दबाव बनाने की रणनीति अपनाई है। किसान संगठनों ने बड़े शहरों में दूध और सब्जियों की सप्लाई ठप करने का फैसला किया है।
किसान भवन में दो दिवसीय पांचवीं नेशनल कांफ्रेंस संपन्न होने के बाद पत्रकारों से बातचीत में खेतीबाड़ी विशेषज्ञ दविंदर शर्मा, किसान यूनियन राजेवाल के प्रधान बलवीर सिंह राजेवाल ने बताया कि सभी सरकारें किसान मसलों के प्रति संजीदा नहीं हैं। किसानों के नाम पर राजनीतिक रोटियां सेंकी जा रही हैं।
उन्होंने कहा कि देश के अलग-अलग किसान संगठनों के 47 किसान नेताओं ने यह फैसला लिया है कि देश के बड़े शहरों के लिए सब्जी और दूध की सप्लाई रोक दी जाए। उन्होंने कहा कि इस फैसले से आम लोगों को परेशानी होगी, लेकिन आम लोगों का रवैया भी किसानों के प्रति हमदर्दी वाला नहीं है। जून में बदलते मौसम के कारण पहले ही सब्जियों की कमी होती है।
उन्होंने कहा कि वह किसानों को कम सब्जियां बीजने को प्रेरित करेंगे, जिससे किसान परिवारों को छोड़कर किसी ओर को सप्लाई न की जा सके। देश में लगातार किसान खुदकशी की घटनाएं बढ़ रही हैं। मोदी सरकार ने डॉ. स्वामीनाथन की सिफारिशें लागू करने और कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कर्ज माफी के वादे पर सरकार बना ली, लेकिन अब दोनों नेताओं ने किसानों के मसलों व मांगों पर चुप्पी साध ली है।
दविंदर शर्मा ने कहा कि देश के किसानों पर कुल 13.40 हजार करोड़ रुपये का कर्ज है। सरकार को एक बार इस कर्ज पर लकीर मार देनी चाहिए। ताकि किसान फिर से अपनी जिंदगी का सफर शुरू कर सकें। देश के 17 राज्यों में किसानों की सालाना औसतन आमदन 20 हजार रुपये है, जबकि सरकार के छोटे से छोटे कर्मचारी की मासिक तनख्वाह 18 हजार रुपये होती है।
फार्मर कमिशन गठित किया जाए
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर फार्मर कमिशन गठित किया जाए। उन्होंने कहा कि देश की दूसरे किसान जत्थेबंदियों के साथ संपर्क करने के लिए एक तालमेल समिति भी गठित की गई है। इसी दौरान बलवीर सिंह राजेवाल ने कहा कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने किसानों के साथ किए वादे को पूरा नहीं किया, जिसके रोष स्वरूप बजट सेशन के दौरान अनिश्चितकालीन धरना दिया जाएगा। कांफ्रेंस में पंजाब के अलावा हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, केरल के किसान नेताओं ने हिस्सा लिया।