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धान की रोपाई के समय पर किसान संगठन व पंजाब सरकार आमने-सामने, उगराहां ने भी किया विरोध दर्ज

पंजाब में गिरते भूजल स्तर को देखते हुए राज्य सरकार ने 18 जून से धान की रोपाई शुरू करने के निर्देश दिए हैं लेकिन किसान इससे सहमत नहीं हैं। उनका कहना है कि रोपाई इससे पहले की जानी जरूरी है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Thu, 12 May 2022 06:10 PM (IST)Updated: Fri, 13 May 2022 07:33 AM (IST)
धान की रोपाई के समय पर किसान संगठन व पंजाब सरकार आमने-सामने, उगराहां ने भी किया विरोध दर्ज
धान की रोपाई के समय पर पंजाब सरकार व किसान संगठन आमने-सामने। सांकेतिक फोटो

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। धान की रोपाई के समय को लेकर पंजाब सरकार और किसान संगठन आमने-सामने आ गए हैं। पंजाब सरकार ने गिरते भू-जल और बिजली के संकट को देखते हुए 18 जून से धान की रोपाई करने के निर्देश दिए हैं, जबकि किसान संगठन चाहते हैं कि रोपाई इससे पहले है।

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23 किसान संगठन पहले ही इसका विरोध कर चुके हैं। वीरवार को भारतीय किसान यूनियन (एकता-उगराहां) ने भी विरोध दर्ज करवा दिया है। यूनियन के प्रधान जोगिंदर सिंह उगराहां ने कहा कि यह वह विवाद है जिसे सरकार आसानी से सुलझा सकती है, क्योंकि धान की फसल को पकने में 125 दिन लगते हैं। अगर किसान 18 जून से धान की बिजाई करता है तो फसल पकने से पहले ठंड पड़नी शुरू हो जाती है। जिसकी वजह से फसल सूखती नहीं है।

उन्होंने कहा कि इस संबंध में वह पंजाब सरकार से मिलने का समय मांग रहे हैं, लेकिन अभी तक सरकार की तरफ से समय नहीं दिया गया है, क्योंकि अगर फसल सूखेगी नहीं तो एजेंसियों खरीद नहीं करती है। अत: सरकार को चाहिए कि बिजाई के समय को और पहले किया जाए।

मुख्यमंत्री भगवंत मान द्वारा धान की सीधी बिजाई करने पर किसानों को 1500 रुपये सहायता राशि देने को कम बताते हुए उगराहां ने कहा कि गिरते भू-जल को लेकर किसान भी चिंतित है, लेकिन सारा जोखिम किसान ही नहीं उठाएंगे। सरकार को चाहिए कि सीधी बिजाई करने वाले किसानों को सरकार 10,000 रुपये जोखिम भत्ता दे।

गिरते जल स्तर व प्रदूषण का ठीकरा किसानों पर न फोड़े सरकार

उगराहां ने कहा कि गिरते भूजल स्तर या वातावरण प्रदूषण का ठीकरा सरकार किसानों के सर पर न फोड़े। सरकार को बताना होगा कि वाटर री-चार्ज के लिए सरकार ने कौन से कदम उठाए। कारपोरेट घराने पहले नदियों व पानी के श्रोत को गंदा व दूषित करती है और बाद में उन्हीं कारपोरेट घरानों को पानी साफ करने का ठेका दे दिया जाता है।

बीते कल ही गुरदासपुर में दूषित पानी के कारण 60 भैंसे मर गई। यह पानी क्या खेतों से होकर गया था। अत: सरकार को इस संबंध में तुरंत विधानसभा का सत्र बुलाकर पानी को प्रदूषित करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करना चाहिए।

23 फसलों पर एमएसपी और सरकारी खरीद करे सरकार

उगराहां ने कहा कि खेती राज्य का विषय है। किसान को अगर फसली चक्र से निकालना है तो सरकार को साउनी की 23 फसलों पर एमएसपी और सरकारी खरीद करनी होगी। मूंगी, बासमती, मक्की आदि पर न सिर्फ एमएसपी निर्धारित हो, बल्कि सरकारी खरीद को भी सुनिश्चित किया जाए।

वाटर रि-चार्ज के लिए कदम उठाएंगे किसान

किसान नेता सुखदेव कोकरी ने कहा कि वाटर रि-चार्ज को लेकर सरकार की आंखे खोलने के लिए किसान 12 छप्परों की सफाई करके उसे गहरा करेंगे, ताकि वाटर रि-चार्ज हो। चूंकि किसानों के पास इतना फंड नहीं है कि वह बड़े स्तर पर ऐसा कर सकें, लेकिन सांकेतिक रूप से किसान छप्परों को साफ कर सरकार को यह संदेश देंगे कि पानी के लिए किसान भी चिंतित है।

गेहूं के नाड़ में आग लगाने का कोई औचित्य नहीं

गेहूं की नाड़ में लगाई जा रही आग और उसकी वजह से हो रही दुर्घटनाओं को लेकर जब जोगिंदर सिंह उगराहां से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि गेहूं के नाड़ में आग लगाने का कोई औचित्य नहीं है। किसान उसे अपने खेतों ही मिला सकते है। इसके लिए सरकार अपना काम करें। सख्ती के बजाय किसानों के साथ बातचीत करे। 


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