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पंजाब में सियासी दलों के लिए किसानों की 'आचार संहिता', पार्टियों से कहा- रैलियां न करें, अन्‍यथा होगा घेराव

Farmers Code of Conduct पंजाब में किसान संगठनों ने राजनीतिक दलाें के लिए अपनी आचार संहिता बनाई है और सियासी दलों को इससे अवगत करा दिया है। किसान संगठनों ने सियासी दलों के साथ बैठक में कहा कि वे रैलियां न करें अन्‍यथा विरोध व घेराव होगा।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sat, 11 Sep 2021 09:45 AM (IST)Updated: Sat, 11 Sep 2021 09:45 AM (IST)
पंजाब में सियासी दलों के लिए किसानों की 'आचार संहिता', पार्टियों से कहा- रैलियां न करें, अन्‍यथा होगा घेराव
किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल की फाइल फोटो।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब विधानसभा चुनाव 2022 के मद्देनजर राजनीतिक दलों ने अपनी गतिविधियां तेज कर दी हैं और रैलियों व सभाओं की तैयारियों में जुटी हैं। लेकिन अब उनको किसान संगठनों ने बड़ा 'झटका' दिया है और रैलियां न करने को कहा है। संयुक्त किसान मोर्चा ने अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले पंजाब की सियासी पार्टियों के लिए अपनी 'आचार संहिता' जारी कर दी है। किसान मोर्चा ने चुनाव आचार संहिता लागू होने तक पार्टियों को रैलियां न करने को कहा है। किसान संगठनों ने कहा है कि यदि कोई पार्टी ऐसा करती है तो हम समझ जाएंगे कि वह किसान मोर्चे की विरोधी है। इसके साथ ही उनके आयोजन का विरोध होगा।

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संयुक्त मोर्चा के नेता राजेवाल बोले, जो पार्टी रैली करेगी, वह मोर्चा विरोधी

भाजपा को छोड़ विभिन्न सियासी पार्टियों के साथ बैठक के बाद किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा, 'बैठक अच्छे माहौल में हुई। हमने अपने काडर से आग्रह किया है कि राजनीतिक पार्टियों का घेराव न करें, लेकिन राजनीतिक पार्टियों को भी यह समझना चाहिए कि चुनाव से छह महीने पहले ही वह अपनी गतिविधियां शुरू करके किसान आंदोलन को नुकसान न पहुंचाएं। यदि किसानों ने विरोध किया तो उसके नुकसान के वह खुद जिम्मेदार होंगे।'

राजेवाल ने कहा, 'राजनीतिक पार्टियां जब रैलियां करती हैं तो हमारे किसानों का ध्यान उस तरफ चला जाता है। यह हमारे लिए नुकसानदायक है।'

 पार्टियों को ये सब करने की हिदायत-

1. घोषणापत्र को कानूनी दस्तावेज बनाएं। राजेवाल ने कहा कि चुनाव से पहले सभी पार्टियां एक दूसरे से बढ़ चढ़कर चीजें देने की बात करती है। पंजाब सरकार पहले ही बीस हजार करोड़ रुपये का सालाना ब्याज भर रही है। पार्टियां घोषणापत्र को कानूनी दस्तावेज बनाएं।

 2. कृषि कानूनों के विरोध में संसद के सामने धरना दें। पार्टियों ने किसान आंदोलन में सहयोग देने का भी प्रस्ताव दिया, लेकिन राजेवाल ने कहा कि अगर आपको आंदोलन में शामिल होना है तो आप कृषि कानूनों को रद करवाने की मांग पर संसद भवन के सामने धरना दें।

 3. लैंड रिकार्ड देने के लिए किसानों को मजबूर न करें। किसान मोर्चा ने कांग्रेस सरकार की ओर से फसल बेचने के लिए मांगे जा रहे लैंड रिकार्ड का मुद्दा भी उठाया। राजेवाल ने कहा कि पंजाब में ज्यादातर किसानों के संयुक्त खाते हैं। किसानों को लैंड रिकार्ड देने के लिए मजबूर न किया जाए।

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पार्टियों का  यह रहा रुख-

किसान मोर्चा के विशेष कार्यक्रम के दिन रैली नहीं: शिअद

शिअद नेता प्रो. प्रेम सिंह चंदूमाजरा ने कहा, 'हम संयुक्त मोर्चा के कार्यक्रम के दिन रैली नहीं करेंगे। हमारी लड़ाई राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा के साथ है। किसी राज्य में राजनीतिक गतिविधियों को प्रतिबंधित नहीं है। लोगों के पास जाना हमारा अधिकार है। इस पर रोक न लगाई जाए।'

किसानों का हर फैसला मानने को तैयार: आप

आम आदमी पार्टी के नेता कुलतार ¨सह संधवां ने कहा, 'हम किसान संगठनों का हर फैसला मानने को तैयार हैं, लेकिन प्रदेश सरकार को भी रोका जाना चाहिए। कहीं ऐसा न हो कि वह अपने सरकारी कार्यक्रमों के बहाने चुनाव प्रचार करे।'

हम किसानों के साथ: कांग्रेस

कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष कुलजीत नागरा ने कहा, 'हमने अपना पक्ष रख दिया है। हम किसानों के साथ खड़े हैं। अगला फैसला पार्टी व सरकार के प्लेटफार्म पर बात करके लेंगे। तीन कृषि कानूनों में संशोधन का सबसे पहला कदम कांग्रेस सरकार ने ही उठाया है।'


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