तय था अनिल जोशी का पंजाब भाजपा से निष्कासन, पार्टी नेतृत्व पर लगातार हमले से माहौल बिगड़ा
पंजाब के पूर्व मंत्री अनिल जोशी का भाजपा से निष्कासन पहले ही करीब-करीब तय हो गया था। वह जिस तरह किसानों के मुद्दे को लेकर भाजपा के प्रदेश नेतृत्व पर हमले कर रहे थे उसने कार्रवाई तय हो गई थी। वैसे कार्रवाई को लेकर प्रदेश भाजपा बंटी दिखती है।
चंडीगढ़, [कैलाश नाथ]। शिअद-भाजपा सरकार में मंत्री रहे भाजपा के वरिष्ठ नेता अनिल जोशी का पार्टी से निष्कासन पहले से लगभग तय हो गया था। भाजपा ने जोशी को छह साल के लिए निष्कासित करने में जो तीव्रता दिखाई, उससे इस बात के साफ संकेत मिलते हैं कि कार्रवाई की तैयारी पहले ही हो चुकी थी। अब इस कार्रवाई से पार्टी में असंतोष भी दिखाई दे रहा है। कई वरिष्ठ नेता इसके खिलाफ हैं। वहीं, इंटरनेट मीडिया पर पार्टी दो हिस्सों में बंटी दिख रही है। अमृतसर में जोशी समर्थक खुल कर इंटरनेट मीडिया पर इस फैसले की आलोचना कर रहे हैं।
लगातार किसानों के समर्थन में बोलने के कारण पार्टी ने किया निष्कासित
अनिल जोशी लगातार किसान आंदोलन व किसानों के समर्थन में बोल रहे थे। उन्होंने आरोप लगाया था कि प्रदेश भाजपा नेतृत्व किसानों के मुद्दे को हल करने में विफल रहा है। पंजाब के वरिष्ठ नेता केंद्र को गलत जानकारी देकर गुमराह कर रहे हैं, जबकि स्थिति ठीक नहीं है। इसके बाद पार्टी ने छह जुलाई को उन्हें नोटिस जारी कर लिखित में स्पष्टीकरण मांगा था। जोशी ने आठ जुलाई को रात 11 बजे अपना जवाब पार्टी को दिया। इसमें भी उन्होंने कहा कि वह किसानों के मुद्दे पर बोलना जारी रखेंगे।
इसके बाद 10 जुलाई को पठानकोट में मीडिया के सामने उन्होंने प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अश्वनी शर्मा से इस्तीफे की मांग भी की थी। इसी दिन पार्टी की प्रदेश लीडरशिप के खिलाफ बयानबाजी का दोषी करार देते हुए उन्हें छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया गया। हालांकि, पार्टी ने पहले ही इसका मन बना लिया था। अनिल जोशी भी कारण बताओ नोटिस जारी होने से पहले यह दावा कर रहे थे कि पार्टी का एक वर्ग यह नहीं चाहता कि वह पार्टी में रहें और उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।
गौरतलब है कि पंजाब में किसान आंदोलन की आड़ में लगातार भाजपा नेताओं पर हमले किए जा रहे हैं। रविवार को भी पटियाला के राजपुरा में भाजपा नेता भूपेश अग्रवाल के साथ किसान संगठनों ने मारपीट की, जिससे उनके कपड़े फट गए। इससे पहले भी किसान संगठनों ने भाजपा के विधायक अरुण नारंग को निर्वस्त्र कर दिया था। प्रदेश अध्यक्ष अश्वनी शर्मा व पूर्व केंद्रीय मंत्री विजय सांपला के काफिले पर भी हमले हो चुके हैं। अनिल जोशी का कहना है कि किसानों के आक्रोश की जानकारी केंद्र तक सही ढंग से नहीं पहुंचाई जा रही, जिसका पार्टी को आगामी विधानसभा चुनाव में नुकसान उठाना पड़ सकता है।
अन्य पार्टी में जाने या निर्दलीय चुनाव लड़ने की चर्चा
भाजपा के पूर्व विधायक केडी भंडारी प्रदेश इकाई को निष्कासन के फैसले पर पुनर्विचार करने को कह चुके हैं। एक अन्य वरिष्ठ नेता के अनुसार, जब स्थितियां अनुकूल नहीं हैं तो प्रदेश लीडरशिप को इस तरह की कार्रवाई करने से बचना चाहिए था। इससे पार्टी कार्यकर्ताओं को मनोबल टूटता है। कार्यकर्ता पहले ही मानसिक यातना से गुजर रहे हैं। ऐसे में पूर्व मंत्री पर इस तरह की कार्रवाई से उन्हें और हताशा होगी। इस बीच, अनिल जोशी के किसी अन्य पार्टी में जाने या निर्दलीय चुनाव लड़ने की चर्चा भी शुरू हो गई है। हालांकि, अभी उन्होंने इस बारे में कुछ भी स्पष्ट नहीं किया है।