चीन से निपटने के लिए कूटनीतिक बदलाव बहुत जरूरी : एडमिरल अरुण प्रकाश
पूर्व नेवी चीफ एडमिरल अरुण प्रकाश रविवार को मिलिट्री लिटरेचर फेस्ट में इंडो पेसेफिक कॉन्सेप्ट ए गेम चैंजर टॉपिक पर हुई परिचर्चा में शामिल हुए।
चंडीगढ़, विकास शर्मा। चीन की विस्तारवादी सोच कभी भी देश के लिए खतरा बन सकती है, इसलिए सरकार को अभी से सचेत रहना होगा। हमें नई जरूरतों के हिसाब से कूटनीतिक कदम उठाने होंगे। इसके तहत भारत को कूटनीतिक स्तर पर कुछ बदलाव करने की आवश्यकता है। यह कहना है पूर्व नेवी चीफ एडमिरल अरुण प्रकाश का। वे रविवार को मिलिट्री लिटरेचर फेस्ट में इंडो पेसेफिक कॉन्सेप्ट ए गेम चैंजर टॉपिक पर हुई परिचर्चा में शामिल हुए। चीन के मामले में उन्होंने न सिर्फ भविष्य के खतरों से अगाह कराया, बल्कि उनसे निपटने के लिए सुझाव भी दिए। मेक इन इंडिया का जिक्र करते हैं, लेकिन अब तक हुए काम की चर्चा कोई नहीं करता पूर्व एडमिरल अरुण प्रकाश ने कहा कि चीन की जीडीपी भारत से पांच गुना बड़ी है, आज चीन पांचवीं जनरेशन के हथियार बना रहा है। इंडिया अभी तक गन भी अपने देश में नहीं बना पाता।
हम मेक इन इंडिया की बात तो करते हैं, लेकिन दो तीन वर्षो में इस दिशा में कितना काम हुआ, इस पर कोई बात नहीं करता। सबसे पहले हमें डिप्लोमेटिक स्तर अपना पक्ष मजबूत करने के उपाय करने होंगे। दूसरे देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए हमें तकनीक आधारित औद्योगिक विकास को बढ़ावा देना होगा। चीन हर तरफ मोर्चे पर कर रहा नाकाबंदी रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल एचपीएस कलेर ने बताया कि चीन हर मोर्चे पर भारत की नाकाबंदी करने में लगा हुआ है। एक और नॉर्थ ईस्ट में वह भारतीय सीमा को विवादित क्षेत्र बताया है, तो दूसरी तरफ पाकिस्तान को आर्थिक व सैन्य साजोसामान देकर उसे भारत के खिलाफ मजबूत कर रहा है। इतना ही एसोसिएशन ऑफ साउथ ईस्ट नेशंस (आसियान) के देशों को भी लगातार करोड़ों रुपये की आर्थिक मदद मुहैया करवाकर एशिया में अपना बर्चस्व बढ़ा रहा है। ऐसे में हमें सोचना होगा कि चीन जैसे देश से कैसे संबंध रखने होंगे।
विदेशी हथियार खरीद सौदों के कारण मित्र देशों से बिगड़ रहे रिश्ते
रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल आरके साहनी ने कहा कि चीन की नीतियों से हमें सबक लेना चाहिए। आज दुनिया के हर देश के बाजार चीन से सामान से भरे हुए हैं, जबकि हम निर्यात पर जोर देते हैं। हम अमेरिका से हथियार खरीदते हैं तो रूस नाराज हो जाता है। रूस से हथियार खरीदते है जर्मनी और फ्रांस से रिश्तों में खटास आ जाती है। ऐसे में यह देश कभी भी हथियार देने से इंकार कर सकते हैं, इसलिए हमें हथियारों के मामले में अपनी निर्भरता बढ़ानी होगी। चर्चा में यह भी हुए शामिल इस मौके पर परिचर्चा में उनके साथ रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल आरके साहनी, रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल एके सिंह, रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल एचपीएस कलेर और पूर्व आइएफसी गुरजीत सिंह ने भी हिस्सा लिया।