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देशभर के इंजीनिय¨रग कॉलेज बन गए मैरिज पैलेस : एआइसीटीई डायरेक्टर

-ऑल इंडिया काउंसिल ऑफ टेक्निकल एजुकेशन के डायरेक्टर डॉ. एमएस मन्ना की पेक में लेक्चर क

By JagranEdited By: Published: Mon, 28 May 2018 07:01 PM (IST)Updated: Mon, 28 May 2018 07:01 PM (IST)
देशभर के इंजीनिय¨रग कॉलेज बन गए मैरिज पैलेस : एआइसीटीई डायरेक्टर

-ऑल इंडिया काउंसिल ऑफ टेक्निकल एजुकेशन के डायरेक्टर डॉ. एमएस मन्ना की पेक में लेक्चर के दौरान टीचर और पेरेंट्स को खरी खरी जागरण संवाददाता ,चंडीगढ़ : देशभर के इंजीनिय¨रग कॉलेज मैरिज पेलेस बन गए हैं । जहां से स्टूडेंटस को घर से लाने के लिए सुबह एक पीले रंग की एक बस निकलती है और शाम को घर छोड़ आती है। शाम 4 बजते ही कॉलेज की लैब बंद हो जाती है। ऐसे होते हैं क्या इंजीनिय¨रग कॉलेज। लैब तो रात 10 बजे तक भी नहीं बंद होनी चाहिए। यह कहना है ऑल इंडिया काउंसिल ऑफ टेक्निकल एजुकेशन (एआईसीटई) की ऑनलाइन एजुकेशन के डायरेक्टर डॉ. एमएस मन्नी ने। वह सोमवार को पोर्टल स्वयम को लेकर पेक में लेक्चर दे रहे थे। उन्होंने इंजीनिय¨रग कॉलेजों में व्यापारीकरण, शिक्षकों की कमजोरियों से लेकर इंटरनेट से नई पीढ़ी पर पड़ रहे असर पर तीखे प्रहार किए। कहा कि टीचर या संस्थान स्टूडेंट्स को इंग्लिश या भाषा विशेष में सवाल पूछने के लिए भी बाध्य नहीं करे। इस मौके पर पेक डायरेक्टर प्रो मनोज अरोड़ा और एआईसीटीई के रीजनल डायरेक्टर डॉ आरके सोनी मौजूद रहे । बच्चों को दादा दादी का तो पता नहीं होता

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उन्होंने कहा कि मां-बाप बच्चों पर करियर को लेकर दबाव डालते हैं। उनको बिना सोचे समझे राजस्थान के कोटा में कंपीटिशन की तैयारी के लिए भेज देते हैं। नई पीढ़ी को ढंग से यह तक नहीं पता होता कि रिश्तेदार कौन-कौन हैं। दादा-दादी कहां हैं। पढ़ने के लिए कमरे में बंद कर देते हैं। टीचर एक घंटा नहीं पढ़ा सकते तो बच्चे क्यों फॉलो करें

आज कल टीचर बच्चों को लगातार क्लास में एक घंटा नहीं पढ़ा सकते हैं। जब टीचर्स के ऐसे हालात हैं बच्चे उनको आदर्श क्यों मानें। टीचर महीनों तक लाइब्रेरी नहीं जाते। कोई विषय प्रिय नहीं होता है, बल्कि विषय को पढ़ाने वाले टीचर से विषय मनपसंद बनता है। टीचर के चार रिसर्च पेपर क्या छपे, दिमाग पर ईगो सवार हो जाती है।

गेमिंग एप ¨हसा और एक्सीडेंट ही दिखाती हैं

हर किसी को 4जी चाहिए। देश में स्मार्टफोन का इस्तेमाल करने वाले जितनी भी एप का इस्तेमाल करते हैं , इनमें से 82 प्रतिशत तो गेमिंग एप है जो ¨हसा ही सिखाती है। इनमें गाड़ियों की टक्कर और फाइटिंग के अलावा कुछ नहीं होता है। महज 2 प्रतिशत ही ऑन लाइन एजुकेशनल एप हैं।

स्वयम पोर्टल से स्टडी कर 20 प्रतिशत हाजिरी पूरी करें

स्वयम एमएचआरडी का पोर्टल है जो ऑन लाइन यूजी और पीजी कोर्स करवाता है। अगर किसी बच्चे की हाजिरी कम रह गई हैं तो 20 फीसदी तक ऑन लाइन लेक्चर पोर्टल पर लगा यहां से इसका सर्टिफिके ट ले सकता है। यह हर संस्थान में मान्य है। कम्यूनिकेशन स्किल, बॉडी लैंग्वेज और ड्रैस बेहद अहम

किसी भी प्रोफेशनल के लिए कम्यूनिकेशन स्किल्स, शारीरिक भाषा और उसकी ड्रैस बेहद अहम होती है। किसी भी टीचर का पहनावा उसके बारे में बहुत कुछ कह देता है। डॉ. मन्ना ने आगे कहा कि इसके अलावा उसके शारीरिक हावभाव और बोलने का लहजा भी अहम है।


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