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खूब जल रही पराली, शहर की आबोहवा में घुलने लगा जहर

लाख दावों के बाद भी पराली जलने पर रोक नहीं लग सकी है। पंजाब और हरियाणा के खेतों में जगह-जगह पराली जल रही है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 16 Oct 2018 12:00 PM (IST)Updated: Tue, 16 Oct 2018 12:00 PM (IST)
खूब जल रही पराली, शहर की आबोहवा में घुलने लगा जहर

बलवान करिवाल, चंडीगढ़ : लाख दावों के बाद भी पराली जलने पर रोक नहीं लग सकी है। पंजाब और हरियाणा के खेतों में जगह-जगह पराली जल रही है। रोजाना हजारों टन गैस हवा में मिलकर इसको जहरीला कर रही है। अभी से हालात काफी खराब होने लगे हैं। पंजाब और हरियाणा ही नहीं चंडीगढ़ तक इन हवाओं ने असर दिखाना शुारू कर दिया है। सोमवार को एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआइ) का स्तर 100 को पार कर गया। इंडस्ट्रियल एरिया में एक्यूआइ 117 और पेक सेक्टर-12 सेंटर पर एक्यूआई 102 दर्ज किया गया। इस बार ठंड महीना पहले से शुरू हो गई है। ऐसे में ठंड बढ़ने के साथ ही धुएं का कहर और बढ़ेगा। दीवाली के आस-पास स्थिति काफी खराब होने का पूर्वानुमान लगाया जा रहा है। नवंबर में स्थिति गैस चैंबर जैसी हो सकती है। बावजूद इसके लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे। खेतों में अधिकतर पराली देर शाम को जलाई जाती है। रात को जगह-जगह खेतों में आग इन दिनों दूर से ही दिख रही है। पिछली नवंबर में एक्यूआइ पहुंचा था 461

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नवंबर 2017 में एक्यूआइ 400 को पर कर गया था। जिसने पिछले सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए थे। नवंबर के आस-पास पैडी सीजन में पराली जलना ही एक्यूआइ बढ़ने की सबसे बड़ी वजह माना जाती है। हालांकि जून में राजस्थान से उठे धूल के गुबार से तो स्थिति और भी बदतर हो गई थी। एक्यूआइ 900 तक पहुंच गया था। बचाव के लिए एडवाइजरी जारी करनी पड़ी थी। सांस संबंधी रोगियों को सबसे अधिक परेशानी हुई थी। एक्यूआई लेवल को 100 तक अच्छा माना जाता है। 100-200 तक मॉडरेट, 200-300 के बीच का लेवल पूअर कैटेगरी दर्शाता है। जबकि 300-400 लेवल वैरी पूअर यानी बेहद खराब केटेगरी को दर्शाता है। 400 से ऊपर एक्यूआइ को सबसे खराब यानी बेहद खतरनाक माना जाता है। एक टन पराली से 1724 किलो जहर

कार्बन डाईऑक्साइड - 1460 किलो

राख - 199 किलो

कार्बन मोनोऑक्साइड - 60 किलो

सल्फर डाईऑक्साइड - 2 किलो

अन्य जहरीले कण - 3 किलो दिवाली से 5 दिन पहले ही मॉनीट¨रग

पराली के धुएं और पटाखों के जलने से होने वाले शोर एवं वायु प्रदूषण को देखते हुए प्रशासन ने अभी से कमर कस ली है। इस बार दिवाली से पांच दिन पहले ही शोर और वायू प्रदूषण की मॉनीट¨रग शुरू कर दी जाएगी। दिवाली के दिन भी मॉनीट¨रग होगी। इससे यह तुलना भी होगी कि दिवाली पर पटाखों से कितना प्रदूषण होता है। मॉनीट¨रग के लिए नए सेंटर

चंडीगढ़ पॉल्यूशन कंट्रोल कमेटी (सीपीसीसी) प्रदूषण की मॉनीट¨रग करेगा। हर साल जिन सेंटर पर मॉनीट¨रग होती है, उनके अलावा कुछ नए सेंटर भी बनाए जाएंगे। यह सेंटर खास उन जगहों पर होंगे जहां पटाखे ज्यादा जलाए जाते हैं। आबादी वाले क्षेत्रों में इन्हें लगाया जाएगा। जिससे उस एरिया का एक्यूआइ सही पता चले। हर साल सेक्टर-17, इमटेक सेक्टर-39, इंडस्ट्रियल एरिया, कैंबवाला और पेक सेक्टर-12 से यह डाटा जुटाया जाता है। इस बार कुछ नई जगह भी मॉनीट¨रग होगी। वायु और शोर प्रदूषण की मॉनीट¨रग दिवाली से 5 दिन पहले से और दिवाली वाले दिन होगी। इससे पहले पटाखे नहीं जलाने के लिए जागरुकता अभियान चलाया जाएगा। एनएसएस वालंटियर्स के साथ यह कैंपेन चलेगा। पराली पंजाब और हरियाणा में ही जलती है। लेकिन असर चंडीगढ़ पर भी बहुत ज्यादा होता है।

टीसी नौटियाल, मेंबर सेक्रेटरी, सीपीसीसी।


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