पेड़ को काटे नहीं... दूसरी जगह करें ट्रांसप्लांट, बस इन बातों का रखना होगा ध्यान
पेड़ अगर दूसरी जगह ट्रांसप्लांट कर दिए जाएं तो यह प्रकृति का हिस्सा बनकर सुख देते रहेंगे। ट्री ट्रांसप्लांटेशन करना मुश्किल नहीं है केवल करने से पहले जरूरी बातों का ध्यान रखना जरूरी है। आइए आप भी जान लीजिए कब और कैसे ट्री ट्रांसप्लांटेशन कर सकते हैं।
चंडीगढ़, जेएनएन। कई बार हरे-भरे बड़े वृक्षों को किसी वजह से काटने या हटाने की जरूरत पड़ जाती है। लेकिन यही पेड़ अगर दूसरी जगह ट्रांसप्लांट कर दिए जाएं तो यह प्रकृति का हिस्सा बनकर सुख देते रहेंगे। ट्री ट्रांसप्लांटेशन करना मुश्किल नहीं है केवल करने से पहले जरूरी बातों का ध्यान रखना जरूरी है। आइए आप भी जान लीजिए कब और कैसे ट्री ट्रांसप्लांटेशन कर सकते हैं। ट्रांसप्लांटेशन में इन खास बातों को जहन में रखना बेहद जरूरी है। इसमें जरा भी चूक ट्रांसप्लांटेशन को प्रभावित कर सकती है।
ट्रांसप्लांटेशन के लिए ध्यान रखने योग्य जरूरी बातें
- ट्री की जनरल हेल्थ और उसका स्ट्रक्चर
- जड़ों का आकार और रूट सिस्टम का टाइप
- जहां उस पेड़ को लगाया जाना है उस साइट की उपलब्धता और रास आए
- स्पेस के साथ पेड़ को जरूरत अनुसार धूप मिले
- रेतीली और बेहतर जमीन का चुनाव करें
- पेड़ को ले जाने के लिए ट्रांसपोर्टेशन
- ट्रांसप्लांटेशन से पहले यह ध्यान रखें
- पेड़ की विशेषता
- पेड़ किस प्रजाति का या फैमिली का है
- ग्रोथ और रूट सिस्टम
- शेप, साइज और शाखाओं का ध्यान रखना
- साइट स्टडी, रोड, मिट्टी पानी की उपलब्धता
- सुरक्षित उपाय
- केमिकल ट्रीटमेंट
- ट्रांसप्लांटेशन का समय
- रात के समय जब पेड़ स्लीप मोड में विश्राम करते हैं उस दौरान ट्रांसप्लांटेशन की प्रक्रिया पूरी करनी चाहिए।
कोनीफर- पत्ते कोने या नीडल की तरह दिखने वाले पेड़ कोनीफर होते हैं। पाइन, सीडार जिसे क्रिसमस ट्री कहते हैं वह इसी केटेगरी का है। इन्हें फरवरी से अप्रैल और सितंबर से अक्तूबर में ट्रांसप्लांटेशन किया जाना चाहिए।
- सदा हरेभरे रहने वाले- मार्च से अप्रैल
- जिनके पत्ते झड़ते हैं: अक्तूबर-दिसंबर और मार्च से अप्रैल