समाज और देश में अहम योगदान देने वाले डाॅक्टर विशेष प्रावधानों के भागीदार : अरुण सूद
दीपक मल्होत्रा द्वारा आयोजित इस कांफ्रेस में डाॅक्टरों ने अपनी मांगों को जायज बताते हुए कहा कि मेडीकल सेवाओं को भले ही सरकार ने ‘जरुरी सेवाओं’ में सूचीबद्ध किया हुआ है।
चंडीगढ़, जेएनएन। कोरोना संकट के चलते गत दो माह से मेडीकल सेक्टर विशेषकर डाॅक्टर आर्थिक मंदी से गुजर रहे हैं। अस्पताल और क्लीनिक के मूलभूत ढांचों और सुविधाओं को व्यवास्थित करने के चलते वित्तीय संकट ने डाॅक्टरी पेशे की कमर तोड़ दी है। प्रशासन अपना इस दिशा की ओर ध्यान देकर एमएसएमई की तर्ज पर मैडीकल क्षेत्र के लिये भी विशेष पैकेज की घोषणा करे। यह मांग चंडीगढ़ के डाॅक्टरों ने भाजपा प्रदेशाध्यक्ष अरुण सूद के साथ स्थानीय डाॅक्टरों ने विडियो कांफ्रेंसिंग के दौरान उठाई। दीपक मल्होत्रा द्वारा आयोजित इस कांफ्रेस में डाॅक्टरों ने अपनी मांगों को जायज बताते हुए कहा कि मेडीकल सेवाओं को भले ही सरकार ने ‘जरुरी सेवाओं’ में सूचीबद्ध किया हुआ है। मेडीकल समाज भीतर ही भीतर वित्तीय संकट से जूझता नजर आ रहा है जिसके दशा सुधारने के लिये सरकार को समय चलते ही कदम उठाने होंगे।
इस दौरान सेल संयोजक प्रिंस बुंदेला ने टेलीमेडिसन सेवाओं पर भी बल दिया, जिससे की डाॅक्टर द्वारा मरीजों का इलाज दूरियां कायम रहते हुए भी संभव हो सके। डाॅक्टरों ने बताया कि सरकार उपचार के दौरान किसी मरीज के पॉजिटिव पाए जाने पर लागू क्वारनटिन की नीति में भी संशोधन लाए, क्योंकि इससे हस्पताल का संचालन प्रभावित हो रहा है। एकमात्र एम्बुलेंस वाले छोटे अस्पतालों को चला रहे डाक्टरों का मत था कि प्रशासन द्वारा उनके हस्पतालों की एंबुलेंस को लाॅकडाउन अवधि के दौरान उपयोग में लाया जा रहा है, जिससे कि उनके अपने मरीजों को एंबुलैंस की सेवाओं से वंचित हो रहे हैं। डाॅक्टरों ने मांग की है कि उनकी एकमात्र एम्बुलेंस को प्रशासन की सेवा से छूट दी जाए। इस दौरान डेंटिस्टों ने भी सुझाया कि उनकी प्रक्रिया में मरीज के करीबी मुआयने संबंधी मुद्दे पर प्रशासन गहनता से विचार करे।
इस अवसर पर प्रदेशाध्यक्ष अरुण सूद ने सभी की शिकायतों और सुझावों का संज्ञान लेते हुए बताया कि समाज और देश डाॅक्टरी पेशे को सम्मान की दृष्टि से देखते हैं। इन्हीं के सहयोग की बदौलत देश का स्वास्थ्या निर्भर करता है। उन्होंनें डाॅक्टरों को सुझाया कि वे सूचीबद्ध तरीके से अपनी सभी मांगों को पेश करे, जिससे कि वे सरकार के समक्ष एक विशेष पैकेज सहित डाक्टरों के हितों के अन्य प्रावधानों की पैरवी कर सकें। इस कांफ्रेंसिंग में करीब 80 डाॅक्टरों सहित प्रिंस बुंदेला, डाॅ. नीरज, डाॅ. राजेश धीर, डाॅ. आरएस बेदी, डाॅ. रुचित उप्पल, डाॅ. रमणीक शर्मा, डाॅ. आलोक आहुजा, डाॅ. उमेश जिंदल और डाॅ. गुरसिमरन ने भाग लिया।