बहुचर्चित बुलबुल मामले में डॉक्टर समेत चार लोग बरी, जिला अदालत ने सुनाया फैसला
नौ साल पहले के बहुचर्चित बुलबुल मामले में जिला अदालत ने आरोप साबित नहीं होने पर एक डॉक्टर समेत चार लोगों को बरी कर दिया है।
चंडीगढ़, [राजन सैनी]। नौ साल पहले के बहुचर्चित बुलबुल मामले में जिला अदालत ने आरोप साबित नहीं होने पर एक डॉक्टर समेत चार लोगों को बरी कर दिया है। बरी होने वालों में वार्ड सेवक प्रकाश रानी, ओपीडी अटेंडेंट धर्मा देवी, पीडियाट्रिक्स सर्जन दीपक ठाकुर और सुरक्षा गार्ड माया देवी है। वहीं मामले की पांचवें आरोपित एचओडी डॉ: वीणा सरना को अदालत ने उन पर अारोप साबित नहीं होने पर कर दिया था। बरी हुए उक्त के वकीलों ने बताया कि जिला अदालत द्वारा पीड़िता को कई नोटिस भेजे गए, लेकिन वह पेश ही नहीं हुए। इसके साथ ही विरोधी पक्ष भी आरोपों को साबित नहीं कर सका।
वकील हरीश भारद्वाज ने बताया कि मामले में सभी को फंसाया गया था। दीपक उस समय वहां से गुजर रहा था लेकिन शोर सुनकर वह वहां गया था और बच्चे को देखकर उसने सिर्फ बच्चे को किसी स्पेशल डॉक्टर के पास ले जाने को कहा था। बताया कि यह एक नेच्यूरल डिलीवरी थी। बताया कि मामले में विरोधी पक्ष ने पीड़ित महिला को भी गवाह नहीं बनाया। जिसके बाद जिला अदालत जज जसप्रीत सिंह ने उक्त सभी आरोपितों को बरी कर दिया। सभी को आइपीसी की धारा 304ए (लापरवाही से मौत), 201 और 465(जालसाजी) के तहत बरी किया गया है।
दर्ज मामले केे मुताबिक, 21 जुलाई, 2010 को गर्भवती बुलबुल सेेक्टर-16 स्थित जीएमएसएच अस्पताल की लाइन में खड़ी थी, जिसे अचानक लेबर पेन शुरू हो गई। लेकिन उक्त आरोपित उसके पति छोटे लाल को एडमिट कार्ड बनवाने के लिए एक काउंटर से दूसरे काउंटर पर भेजते रहे। इसी बीच पीड़िता बुलबुल ने वहीं पर बच्चे को जन्म दे दिया। लेकिन फर्श पर सिर के बल गिरने से बच्चे की तुरंत मौत हो गई थी। वहीं अस्पताल प्रबंधन ने सभी को क्लीन चीट दे दी थी। लेकिन बाद में चंडीगढ़ एडमिनिस्ट्रेशन ने अस्पताल प्रबंधन की रिपोर्ट को मानने से मना करते हुए मामले की जांच करने के आदेश दिए थे। जांच में सभी पर आरोप तय किए गए थे कि उन्होंने इस दौरान अपनी ड्यूटी ठीक ढंग से नहीं की।