Move to Jagran APP

चंडीगढ़ के क्रेच में खुली सफाई व्यवस्था की पोल, चारों तरफ फैली गंदगी, पीने के लिए बाहर से मटके में लाया जाता है पानी

चंडीगढ़ में 45 क्रेच हैं जहां कामकाजी महिलाएं सुबह बच्चे को क्रेच में छोड़कर जाती हैं और शाम को आफिस आने के बाद उन्हें घर ले जाती हैं। क्रेच के कर्मचारी ही दिनभर बच्चों की देखभाल करते हैं।

By Ankesh ThakurEdited By: Published: Sun, 26 Jun 2022 12:15 PM (IST)Updated: Sun, 26 Jun 2022 12:15 PM (IST)
सेक्टर-46 के क्रेच के चारों तरफ सफाई न होने से फैली गंदगी।

सुमेश ठाकुर, चंडीगढ़। चंडीगढ़ सोशल वेलफेयर की तरफ से शहर की कामकाजी महिलाओं की सुविधा के लिए पूरे शहर में 45 क्रेच संचालित किए जा रहे हैं। इन क्रेच में कामकाजी माताएं अपने बच्चों को देखभाल के लिए छोड़कर जाती हैं। एक क्रेच में छह महीने से लेकर चार वर्ष के बच्चे को संभाला जाता है। इसके लिए एक बच्चे की मासिक फीस 600 रुपये है।

loksabha election banner

कामकाजी महिलाएं सुबह बच्चे को क्रेच में छोड़कर जाती हैं और शाम को आफिस आने के बाद उन्हें घर ले जाती हैं। क्रेच के कर्मचारी ही दिनभर बच्चों की देखभाल करते हैं। 

शहर के क्रेच की व्यवस्थाओं का जायजा लेने के लिए दैनिक जागरण की टीम ने निरीक्षण किया। सेक्टर-46 में बने क्रेच में विजिट के दौरान बहुत सारी खामियां मिली हैं। सेक्टर-46 में यह क्रेच गवर्नमेंट हाई स्कूल अंदर बनाया गया है। सोशल वेलफेयर ने स्कूल परिसर में क्रेच के लिए अलग से इमारत बनाई है। बच्चों के लिए झूले भी लगाए गए हैं। क्रेच के अंदर एक बड़ा हाल होने के साथ रसोई और बाथरूम भी है, लेकिन बाथरूम में पानी ही नहीं है। इतना ही नहीं क्रेच के अंदर पीने के पानी की भी व्यवस्था नहीं है। पीने के लिए पानी बाहर से मटके पर भरकर लाया जाता है। क्रेच के चारों तरफ पत्तों के ढेर लगे हुए हैं, जिन्हें उठाने के लिए कोई भी नियमित कर्मचारी नहीं है। आलम यह है कि चारों तरफ गंदगी फैली हुई है।

ऐसे में यह विचार करने वाली बात है कि जो माताएं अपने जिगर के टुकड़ों को यहां दिनभर छोड़कर जाती हैं उन बच्चों के यहां बीमार होने का खतरा ज्यादा है। क्रेच कर्मचारियों की बार-बार अपील के बाद प्रशासन कर्मचारियों को भेजकर सफाई करवाता है। बता दें कि सेक्टर-46 के इस क्रेच में अलग अलग समय में 18 बच्चे आते हैं।

अलग-अलग समय पर सुबह नौ से शाम पांच बजे तक रहते हैं बच्चे

क्रेच में सुबह नौ से शाम पांच बजे तक बच्चे रह सकते हैं। यह बच्चे वह हर कामकाजी माताएं छोड़ती है जिनके घर में बच्चों की देखभाल के लिए कोई नहीं होता। बच्चे को क्रेच में रहने के दौरान खाने-पीने के लिए दी जाने वाली डाइट की फीस लेते हैं। सोशल वेलफेयर की तरफ से क्रेच के कर्मचारियों को वेतन और बिजली व पानी की बिल अदा किया जाता है। इसी प्रकार से क्रेच में व्यवस्थाओं का जिम्मा भी सोशल वेलफेयर का है। हालांकि खबर प्रकाशित होने के बाद क्रेच में सफाई करवाई जा रही है।

---

क्रेच का निरीक्षण करने के बाद वहां सुधार किया जाएगा। बच्चों को क्रेच में बेहतर माहौल दिया जाएगा। बच्चों के स्वास्थ्य के लिए कोई खिलवाड़ नहीं होगा।

                                                                                          -नितिका पवार, सचिव सोशल वेलफेयर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.