बैन के बावजूद शहर में दौड़ने वाला हर 20वां ऑटो डीजल
धुआं उगलते वाहन शहर की आबोहवा में जहर घोल रहे हैं। इसी को देखते हुए यूटी प्रशासन ने 2015 में डीजल ऑटो पर बैन लगाने का फैसला लिया था लेकिन जिस मकसद से यह बैन लगाया गया था वह उद्देश्य पूरा नहीं हो पाया है।
बलवान करिवाल, चंडीगढ़ : धुआं उगलते वाहन शहर की आबोहवा में जहर घोल रहे हैं। इसी को देखते हुए यूटी प्रशासन ने 2015 में डीजल ऑटो पर बैन लगाने का फैसला लिया था, लेकिन जिस मकसद से यह बैन लगाया गया था, वह उद्देश्य पूरा नहीं हो पाया है। शहर में दौड़ने वाले पीले रंग के डीजल ऑटो तो बंद हो गए, लेकिन डीजल ऑटो चालकों ने प्रशासन के इस फैसले का तोड़ निकाल लिया। प्रशासन भले ही डीजल ऑटो बंद होने का दावा कर रहा है, लेकिन अभी भी शहर में दौड़ने वाले हर 20 में से एक ऑटो डीजल से चल रहा है। प्रशासन की आंखों में धूल झोंककर सीएनजी-एलपीजी ऑटो के इंजन ही डीजल में बदल दिए। दिखते भले ही यह ग्रीन सीएनजी ऑटो जैसे हैं, लेकिन असल में डीजल से चलने के कारण खूब धुआं फेंक रहे हैं। इनके पास खड़े होने या पास से गुजरने पर शोर से तो इनको पहचाना जा ही सकता है। साथ ही इनकी बॉडी स्ट्रक्चर को भी चालाकी से बदला गया है। ऐसा नहीं है कि पुलिस और अथॉरिटी को इसकी जानकारी नहीं है। जानकारी होने के बावजूद यह बेरोकटोक दौड़ रहे हैं। चोरी-छिपे चल रहे डीजल ऑटो की पहचान
दूरे से यह ऑटो सीएनजी ऑटो जैसे ही ग्रीन दिखते हैं। लेकिन पास खड़े होते ही पता चल जाएगा कि यह डीजल ऑटो है। सीएनजी ऑटो के चलने की आवाज नहीं आती है। लेकिन डीजल इंजन बहुत तेज वाइब्रेशन के साथ काफी शोर करता है। साथ ही धुआं भी छोड़ता है। सबसे बड़ी पहचान इसकी बॉडी स्ट्रक्चर का है। इसकी बॉडी देखकर ही इसे पहचाना जा सकता है। यह दिखने में सीएनजी ऑटो से चौड़े, बॉडी पुरानी कंडम, पीछे से खुला, नीचे बड़ा इंजन और धुआं छोड़ता साइलेंसर देखा जा सकता है। हालांकि रेलवे स्टेशन और चंडीगढ़ की पंचकूला, मोहाली से लगती सीमा एरिया में पुराने वाले पीले डीजल ऑटो भी खूब दौड़ रहे हैं। इसलिए बदले जा रहे इंजन
शहर में 15 हजार से ज्यादा ऑटो दौड़ रहे हैं। 2015 में जब प्रशासन ने डीजल ऑटो पर बैन लगाने का फैसला लिया तो इससे 10 हजार से अधिक ऑटो बंद हो गए। सख्ती हुई तो इनकी जगह सीएनजी और एलपीजी ऑटो ने ले ली, लेकिन ऑटो की संख्या जितनी तेजी से बढ़ी सीएनजी-एलपीजी फिलिग स्टेशन नहीं बढ़े। इन फिलिग स्टेशन पर अब भी किलोमीटर से लंबी कतारें लग रही हैं। सीएनजी भरवाने में दो से तीन घंटे तक लग रहे हैं। इतने समय में डीजल ऑटो चालक दो सौ रुपये से अधिक कमा लेता है। वहीं डीजल ऑटो की माइलेज भी पेट्रोल से ज्यादा है। हालांकि सीएनजी से कम है। ऐसे में चलाने में भी यह कम खर्चीला है। सीएनजी से डीजल इंजन रेटरो फिट में 20 से 30 हजार रुपये खर्च आता है। शहर की कई ऑटो मार्केट में धड़ल्ले से इंजन और बॉडी स्ट्रक्चर बदलने का यह खेल चल रहा है। हिमाचल के पांच शहरों में डीजल वाहन रजिस्ट्रेशन बंद
चंडीगढ़ प्रशासन डीजल ऑटो पर रोक नहीं लगा पा रहा है। जबकि दिल्ली और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्य बढ़ते प्रदूषण को ध्यान में रखते हुए सख्त कदम उठा चुके हैं। हिमाचल प्रदेश में तीन दिन पहले ही सिरमोर, पावंटा साहिब जैसे पांच शहरों में डीजल वाहनों का रजिस्ट्रेशन ही बंद कर दिया गया है। वहीं दिल्ली में 15 साल पुरानी पेट्रोल और 10 साल पुरानी डीजल गाड़ियां बंद हो चुकी हैं। इसका सबसे बड़ा कारण वाहनों से हो रहे प्रदूषण को नियंत्रित करना है। खासकर डीजल वाहनों से बेहद खतरनाक प्रदूषण उत्पन्न होता है।