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2017 में डिजाइनर रश्मि बिंद्रा ने स्तन कैंसर से लड़ी जंग, अब अपनी कलेक्शन से दे रहीं संदेश

रश्मि को 2017 में स्तन कैंसर का पता चला तो उन्होंने अपनी आत्मिक शक्ति को कम नहीं होने दिया यह उनके लिए एक बेहद कठिन समय था। आठ से अधिक कीमोथेरपी और 20 रेडिएशंन थेरेपी के बाद उन्हें एक मास्टेक्टामी से भी गुजरना पड़ा था।

By Vikas_KumarEdited By: Published: Wed, 28 Oct 2020 08:35 AM (IST)Updated: Wed, 28 Oct 2020 08:35 AM (IST)
2017 में डिजाइनर रश्मि बिंद्रा ने स्तन कैंसर से लड़ी जंग, अब अपनी कलेक्शन से दे रहीं संदेश
रश्मि की क्लेक्शन में उनकी 75 वर्षीय मां संतोष जुनेजा द्वारा हाथ से बुने वस्त्रों का संग्रह भी शामिल है।

चंडीगढ़, शंकर सिंह। फैशन डिजाइनर रश्मि बिंद्रा (53) ने अपने जीवन के सबसे कठिन दौर के दौरान, जब उन्हें 2017 में स्तन कैंसर का पता चला, अपनी आत्मिक शक्ति को कम नहीं होने दिया, बल्कि अपने जुनून के लिए सच्चा प्यार विकसित किया। यह उनके लिए एक बेहद कठिन समय था। आठ से अधिक कीमोथेरपी और 20 रेडिएशंन थेरेपी के बाद उन्हें एक मास्टेक्टामी से भी गुजरना पड़ा था।

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रश्मि बिंद्रा ने कहा, 'आप नहीं जानते हैं कि आप कितने मजबूत हैं, जब तक कि मजबूत महसूस करना ही आपका एकमात्र विकल्प न बचे। मैंने उन चुनौतियों का सामना किया, जो ईश्वर ने मेरे सामने पेश कीं। उस दौरान मुझे डिजाइनिंग और पेंटिंग से तसल्ली मिली, जिसने मुझे शांत रहने में मदद की। रश्मि ने कहा कि इस अक्टूबर माह से जिसे पिंक अक्टूबर के रूप में भी जाना जाता है, क्योंकि यह स्तन और सर्विक्स कैंसर का महीना होता है, मैंने एक संदेश देने के बारे में सोचा, जो स्तन और सर्विक्स कैंसर से पीड़ित महिलाओं को प्रेरित कर सके।

मैं चाहती थी कि उन्हें पता चले कि कैंसर और उसके बाद के जीवन के लिए एक उपचार है। इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए मैंने तपस्या नामक एक संग्रह तैयार किया, जो एक तरह से मेरी आत्मा का मेरी पेंटिंग तकनीक से जुड़ाव है। रश्मि के संग्रह में उनकी 75 वर्षीय मां संतोष जुनेजा द्वारा हाथ से बुने वस्त्रों का संग्रह भी शामिल है।

अलग-अलग फैबरिक्स में उकेरे डिजाइन

रश्मि ने बताया कि इस शोकेस में मैंने जो भी पीस तैयार किये हैं, वे सब अलग हैं। मैंने चंदेरी, सूती, साटन, शिफान, कोटा, कश्मीरी सिल्क, ओर्गेंजा, मोंगा और बनारसी सिल्क जैसे वस्त्रों पर मोम, जैविक रंगों, पत्तियों, फूलों आदि का उपयोग करते हुए हाथ के पेंट की विभिन्न तकनीकों का सहारा लिया है। उल्लेखनीय है कि रश्मि बिंद्रा जागरूकता और फंडिंग फैलाने के लिए सहायता चैरिटेबल वेलफेयर सोसायटी से भी जुड़ी हैं। रश्मि ने कहा कि सहायता के साथ मेरे जुड़ाव ने मुझे उम्मीद दी है कि कैंसर के बाद भी एक सुंदर जीवन है। मैं बहुत से बुनकरों और कारीगरों को हस्तशिल्प पर निर्भर रहने में मदद करती हूं।

रश्मि ने कहा कि तपस्या कलेक्शन की तीन विशेषताएं हैं। एक तो यह पूरी तरह से हस्तकला पर आधारित है, चाहे वह पेंट हो या ब्लाक। दूसरे इसमें हाथ से बुने हुए लेडीज कार्डिगन, कैप, स्टाल हैं और 75 वर्षीय मां संतोष जुनेजा द्वारा नवजात शिशुओं के लिए बनाए कार्डिगन, बट्टीज, कैप और लेगिंग के सेट हैं।


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