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अब देरी से पूरा होगा रिहाई का अरमान, 72 घंटे बाद का फरमान

पंजाब में इस बार गांधी जयंती पर विभिन्‍न जेलों से कैदियों की रिहाई में इस बार तीन दिन की देरी होगी। इस कैदियों को अब 2 अक्‍टूबर की बजाए 5 अक्‍टूबर को रिहा किया जाएगा।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Wed, 26 Sep 2018 12:58 PM (IST)Updated: Wed, 26 Sep 2018 12:58 PM (IST)
अब देरी से पूरा होगा रिहाई का अरमान, 72 घंटे बाद का फरमान

चंडीगढ़, [मनोज त्रिपाठी]। पंजाब में 2 अक्टूबर को गांधी जयंती के मौके पर जेलों से कैदियों की रिहाई नहीं होगी। मामूली अपराधों के मामले जेलों में बंद कैदियों को इस बार छोड़ने में तीन दिन की देरी होगी। उनको अब 5 अक्‍टूबर कोे रिहा किया जाएगा। घोषणा के बाद भी इन कैदियों को रिहाई के लिए मंजूर की गई लिस्ट में इनकी रिहाई का दिन अब 5 अक्टूबर कर दिया गया है। रिहाई का अरमान संजोये बैठे कैदियों के लिए 72 घंटे बाद की रिहाई का फरमान एक और सजा से कम नहीं होगा। केंद्र सरकार ने 2 अक्टूबर को इनकी रिहाई का फैसला किया था, लेकिन कानूनी पेचीदगियों के चलते यह संभव नहीं हो सका।

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अब 2 की बजाय 5 अक्टूबर को छूटेंगे कैदी, गांधी जयंती पर केंद्र सरकार ने की थी छोड़े जाने की घोषणा

केंद्र सरकार के इस फैसले के बाद पंजाब सरकार को भेजे पत्र में स्पष्ट तौर पर सरकार की स्कीम के बारे में बताया गया है कि मामूली अपराधों में जेलों में बंद 55 साल की महिला कैदियों जिन्होंने अपनी आधी सजा काट ली है, की रिहाई की जानी है। इसी प्रकार 60 साल से अधिक उम्र के पुरुष कैदियों की भी रिहाई की जानी थी। इस फैसले में ट्रांसजेंडर व दिव्यांग कैदियों को शामिल किया गया था।

पंजाब के जेल विभाग की तरफ से बीते महीने सभी जेलों में सर्वे करवाने के बाद 58 कैदियों की लिस्ट तैयार की गई थी। इससे पहले जेल विभाग के पास कैदियों की उम्र और वे कितनी सजा काट चुके हैं, इसका डाटा भी उपलब्ध नहीं था। 20 दिन की कवायद के बाद जेल प्रशासन ने 15 केंद्रीय जेलों में कैद कैदियों का डाटा तैयार करवाया।

पहले सरकार के रिहाई संबंधी इस फैसले का लाभ जिला जेलों में बंद कैदियों को नहीं मिल रहा था। साथ ही सेंट्रल एक्ट के तहत बंद कैदियों की रिहाई के बारे में केंद्र सरकार से मंजूरी लेनी थी। विभिन्न राज्यों से इस संबंध में फीडबैक लेने के बाद अब इन कैदियों को 5 अक्टूबर को रिहा करने की मंजूरी मिल गई है।

संघर्ष की सकारात्मक सोच के साथ रिहाई की योजना

जिन कैदियों को छोड़ा जाना है उन्हें गांधी जी की विचारधारा से भी जोड़ा जा रहा है। यही वजह है कि सरकार ने इन्हें लगातार दो साल तक गांधी जयंती पर छोडऩे के साथ गांधी जी द्वारा चंपारण में किए गए सत्याग्रह के 100 साल पूरे होने पर 10 अप्रैल को छोडऩे की योजना बनाई है।

गांधी जी ने बिहार के चंपारण में जाकर किसानों के लिए अप्रैल 1917 में सत्याग्रह किया था। वहां के किसानों से जबरन नील की खेती करवाई जाती थी, जिससे मिट्टी खराब हो गई थी और किसान दूसरी फसलों की खेती नहीं कर पाते थे। कैदियों को इस बारे में पूरी जानकारी के साथ गांधिगिरी के प्रति समर्पित करके उनके जीवन को नई दिशा देने की सरकार की कोशिश है।

इन जेलों से छूटेंगे कैदी

फिरोजपुर से दो, लुधियाना से पांच, मोगा से एक, पटियाला से दो, बठिंडा से चार, संगरूर से चार, अमृतसर से दो, फरीदकोट जेल से दो, श्री मुक्तसर साहिब से दो, रूप नगर से पांच, मानसा से एक, जालंधर (कपूरथला) से एक, बरनाला से एक व नाभा जेल से चार कैदी छोड़े जाएंगे।

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नई जिंदगी शुरू करें, यही कामना है : रंधावा

जेल मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा कहते हैं कि रिहा होने वाले कैदियों से सरकार यही उम्मीद करती है कि वह नए सिरे से नई जिंदगी शुरू करें। सरकार उनके साथ खड़ी है। जो भी जिस जिस योग्य हैैं और सजा के दौरान जो सार्थक हुनर जेल में सीखा है, उसे आगे बढ़ाएं। अगर किसी कैदी ने तकनीकी प्रशिक्षण लिया है तो वह अपना काम भी शुरू कर सकते हैं।


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