चुनाव प्रचार के लिए इस्तेमाल हो रही कलाकारों की आवाज, बदले में मिलती है मोटी रकम
कलाकार की अपनी आवाज होती है मगर चुनाव के दौरान ये आवाज प्रचार के लिए इस्तेमाल की जाती है।
By Edited By: Published: Mon, 01 Apr 2019 09:12 PM (IST)Updated: Tue, 02 Apr 2019 02:29 PM (IST)
चंडीगढ़, शंकर सिंह। कलाकार की अपनी आवाज होती है, मगर चुनाव के दौरान ये आवाज प्रचार के लिए इस्तेमाल की जाती है। देश में लोकसभा चुनाव हैं, तो ऐसे में विभिन्न राजनीतिक पार्टियां शहर के कलाकारों को भी अपने प्रचार के लिए इस्तेमाल में लाती हैं। ऐसे में इन दिनों शहर में होने वाले नाटकों में भी राजनीति से जुड़े विषय और पार्टी प्रचार प्रमुख हैं। इसके लिए पार्टी एनजीओ और विभिन्न बिजनेस की सीएसआर एक्टिविटी की मदद लेती है, जिससे कि कलाकारों को फंडिंग की जाती है। शहर में अभी कुछ रंगकर्मी हैं, जो सिर्फ इस राज्य में नहीं, बल्कि विभिन्न राज्यों में इसी तरह से नाटक कर रहे हैं। नाम नहीं बताने की शर्त पर कई रंगकर्मियों ने राजनीति और रंगमंच को लेकर बातचीत की।
नेताओं को बोलना सिखा रहे हैं कलाकार
शहर के एक रंगकर्मी ने कहा कि इलेक्शन के दौरान कलाकारों की मांग बढ़ती है। अकसर नेता अपनी स्क्रिप्ट कैसे पढ़ें और किस तरह से पब्लिक में इसे बोला जाए, के लिए कलाकारों को बुलाते हैं। कलाकारों को इसके एवज में अच्छी रकम मिलती है। इसके अलावा कलाकारों को चुनाव रैलियों में आने के लिए कहा जाता है, जिसमें वो रैली के दौरान जो पार्टी ने अच्छे काम किए हैं, उसके आधार पर नाटक तैयार किए जाते हैं और उसे परफॉर्म किया जाता है। कई नाटकों का कांट्रेक्ट तैयार होता है। राजनीतिक पार्टी नाटकों का कांट्रेक्ट ही एक ग्रुप को देती है, जिसमें एक महीने में विभिन्न जगह कई नाटक करने होते हैं।
एक रंगकर्मी ने जानकारी दी कि अकसर उन्हें आम दिनों में पेमेंट के लिए कई धक्के खाने पड़ते हैं, मगर इलेक्शन के दिनों में पेमेंट जल्दी मिल जाती है। ये पेमेंट एनजीओ द्वारा आती है, जिसमें कि परफॉर्मेस के दौरान ही तुरंत हमें पेमेंट मिल जाती है। शहर के यूनिवर्सिटी इलेक्शन के दौरान भी भारी रकम फीस रंगकर्मियों को दी जाती है। इस दौरान एक पार्टी दूसरी के विरुद्ध नाटक करने के लिए काफी रकम थिएटर ग्रुप को देती है। ये रकम लाखों तक होती है। केवल वोटिंग करने को लेकर कर रहे हैं जागरूक रंगकर्मी गौरव शर्मा ने कहा कि राजनीति और कला दोनों अलग है। हम केवल ऐसे ही नाटक कर रहे हैं, जिसमें कोई पक्षपात न हो। हम नाटक लोगों को जोड़ने के लिए कर रहे हैं, ताकि वो वोट डालें।
शहर ही नहीं बाहर की पार्टी भी करती है एप्रोच
रंगकर्मी अमित सनोरिया ने कहा कि उन्हें हाल ही में राजस्थान की एक पार्टी ने नाटक करने के लिए कहा। मगर व्यस्तता के चलते वो ऐसा नहीं कर पाए। राजनीति से जुड़े नाटकों में कलाकारों को अच्छी रकम मिल जाती है। वहीं रंगकर्मी सौरव शर्मा ने कहा कि कलाकारों को अकसर चुनाव के दौरान कई तरह के नाटक करने को मिलते हैं। मगर हम केवल वोटरों को मोटीवेट करने के लिए नाटक कर रहे हैं। हालांकि गालीगलौज से परे प्रचार को लिए ही नाटक सही है।
नेताओं को बोलना सिखा रहे हैं कलाकार
शहर के एक रंगकर्मी ने कहा कि इलेक्शन के दौरान कलाकारों की मांग बढ़ती है। अकसर नेता अपनी स्क्रिप्ट कैसे पढ़ें और किस तरह से पब्लिक में इसे बोला जाए, के लिए कलाकारों को बुलाते हैं। कलाकारों को इसके एवज में अच्छी रकम मिलती है। इसके अलावा कलाकारों को चुनाव रैलियों में आने के लिए कहा जाता है, जिसमें वो रैली के दौरान जो पार्टी ने अच्छे काम किए हैं, उसके आधार पर नाटक तैयार किए जाते हैं और उसे परफॉर्म किया जाता है। कई नाटकों का कांट्रेक्ट तैयार होता है। राजनीतिक पार्टी नाटकों का कांट्रेक्ट ही एक ग्रुप को देती है, जिसमें एक महीने में विभिन्न जगह कई नाटक करने होते हैं।
एक रंगकर्मी ने जानकारी दी कि अकसर उन्हें आम दिनों में पेमेंट के लिए कई धक्के खाने पड़ते हैं, मगर इलेक्शन के दिनों में पेमेंट जल्दी मिल जाती है। ये पेमेंट एनजीओ द्वारा आती है, जिसमें कि परफॉर्मेस के दौरान ही तुरंत हमें पेमेंट मिल जाती है। शहर के यूनिवर्सिटी इलेक्शन के दौरान भी भारी रकम फीस रंगकर्मियों को दी जाती है। इस दौरान एक पार्टी दूसरी के विरुद्ध नाटक करने के लिए काफी रकम थिएटर ग्रुप को देती है। ये रकम लाखों तक होती है। केवल वोटिंग करने को लेकर कर रहे हैं जागरूक रंगकर्मी गौरव शर्मा ने कहा कि राजनीति और कला दोनों अलग है। हम केवल ऐसे ही नाटक कर रहे हैं, जिसमें कोई पक्षपात न हो। हम नाटक लोगों को जोड़ने के लिए कर रहे हैं, ताकि वो वोट डालें।
शहर ही नहीं बाहर की पार्टी भी करती है एप्रोच
रंगकर्मी अमित सनोरिया ने कहा कि उन्हें हाल ही में राजस्थान की एक पार्टी ने नाटक करने के लिए कहा। मगर व्यस्तता के चलते वो ऐसा नहीं कर पाए। राजनीति से जुड़े नाटकों में कलाकारों को अच्छी रकम मिल जाती है। वहीं रंगकर्मी सौरव शर्मा ने कहा कि कलाकारों को अकसर चुनाव के दौरान कई तरह के नाटक करने को मिलते हैं। मगर हम केवल वोटरों को मोटीवेट करने के लिए नाटक कर रहे हैं। हालांकि गालीगलौज से परे प्रचार को लिए ही नाटक सही है।
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