अकाली दल की कमान बादल संभालेंगे या सुखबीर ही रहेंगे प्रधान, फैसला 14 को
Shiromani Akali Dal के अध्यक्ष पद का फैसला 14 दिसंबर को होगा। इसमें यह तय किया जाएगा कि पार्टी की कमान बादल को सौंपी जाए या सुखबीर सिंह बादल के पास ही रहे।
चंडीगढ़ [इन्द्रप्रीत सिंह]। शिरोमणि अकाली दल (Shiromani Akali Dal) में एक बार फिर से बड़े बदलाव के संकेत मिल रहे हैं। वैसे तो मौजूदा प्रधान सुखबीर बादल के सामने कोई बड़ी चुनौती नहीं है, लेकिन बीते तीन सालों में तमाम कोशिशों के बावजूद पार्टी का ग्राफ चढ़ नहीं पाया है, इसलिए पार्टी में इस बात की सुगबुगाहट शुरू हो गई है कि कमान अब प्रकाश सिंह बादल को संभालनी चाहिए। 14 दिसंबर को पार्टी के स्थापना दिवस पर क्या एक बार फिर से पार्टी की बागडोर बादल संभालेंगे या सुखबीर को ही पार्टी का प्रधान चुना जाएगा, यह तो उसी दिन पता चलेगा।
श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी की घटनाओं के बाद पार्टी हाशिये पर चली गई है। 2017 में सत्ता में आने के बाद कांग्रेस के खिलाफ बढ़ रहे रोष के बावजूद शिअद की जड़ें मजबूत न होने से पार्टी में इस बात की जोरदार चर्चा है कि प्रकाश सिंह बादल को फिर से प्रधान बनाया जाए और सुखबीर बादल कार्यकारी प्रधान के तौर पर काम करें।
विधानसभा चुनाव के बाद जिस तरह से सुखदेव सिंह ढींडसा, रंजीत सिंह ब्रह्मपुरा, सेवा सिंह सेखवां जैसे नेताओं ने पार्टी का साथ यह कहकर छोड़ा था कि वे सुखबीर बादल की प्रधानगी में काम नहीं कर सकेंगे, उससे पार्टी और कमजोर हुई है। पार्टी का कोर पंथक वोट बैंक अभी तक वापस नहीं आया है।
अपने सबसे करीबी साथी ढींडसा को मनाने की कोशिश तो खुद प्रकाश सिंह बादल ने भी की थी। वह उनके घर भी गए, लेकिन ढींडसा ने साफतौर पर कह दिया कि वह सुखबीर के साथ काम नहीं कर सकते। ब्रह्मपुरा व सेखवां जैसे नेताओं को बिक्रम मजीठिया के पार्टी में बढ़ते दबदबे से नाराजगी है। इसीलिए वे पार्टी में अब तक नहीं लौटे हैं। इन नेताओं ने तो सुखबीर बादल की प्रधानगी को सीधे तौर पर चुनौती भी दी थी।
बादल को इसलिए फिर प्रधान बनाना चाहते हैं नेता
प्रकाश सिंह बादल और सुखबीर बादल के काम करने का ढंग बिल्कुल अलग है। बादल रविवार को 93 साल के हो गए, लेकिन उन्हें फिर से पार्टी प्रधान बनाने की चर्चाओं से साफ है कि आज भी पार्टी उनके नाम पर ही टिकी हुई है। पार्टी के कई नेताओं का कहना है कि सुखबीर का फिर से प्रधान बनना तय है। साथ ही पार्टी में यह चर्चा भी है कि अगर प्रकाश सिंह बादल कमान संभाल लेते हैं तो 2022 में पार्टी को सत्ता में लाने से कोई नहीं रोक सकता। ऐसा इसलिए भी कहा जा रहा है क्योंकि प्रदेश में सत्तारूढ़ कांग्रेस की स्थिति लगातार कमजोर हो रही है। पहले विधायक अपनी सरकार की कारगुजारी से नाराज थे, लेकिन अब मंत्री भी कैबिनेट की बैठकों में खुलकर बोलने लगे हैं। तीन दिन पहले हुई बैठक में तीन मंत्रियों ने अपनी सरकार पर सवाल उठाए थे।
ढींडसा व ब्रह्मपुरा क्या बनाएंगे नया दल?
अब सवाल यह उठता है कि अगर प्रकाश सिंह बादल फिर से कमान संभालते हैं तो ढींडसा वï ब्रह्म्मपुरा जैसे नेता क्या पार्टी में लौटेंगे या फिर वे 14 दिसंबर को ही किसी नए अकाली दल का गठन करेंगे। शनिवार को चंडीगढ़ में पूर्व स्पीकर रवि इंद्र सिंह के आवास पर ढींडसा की रंजीत सिंह ब्रह्मपुरा और कई अन्य नेताओं से मीटिंग के बाद तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही हैैं। उल्लेखनीय है कि बीते विधानसभा चुनाव से पहले ब्रह्मïपुरा शिअद से अलग होकर अकाली दल टकसाली का गठन कर चुके हैैं।
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