चंडीगढ़ के नाबालिग नशे के जाल में फंसकर बन रहे अपराधी, साढ़े चार वर्ष में 594 गिरफ्तार
नशे के जाल में नाबालिग अपराधी बन रहे है।इससे पहले यूटी पुलिस की क्राइम ब्रांच यूनिट और सेक्टर-17 थाना पुलिस ने स्टोर संचालन की आड़ में तस्करी करते कुच लाेगाें काे काबू किया था।
चंडीगढ़, कुलदीप शुक्ला। शहर के अंदर नशे के जाल में नाबालिग अपराधी बन रहे है। यूटी पुलिस ने साढे़ चार वर्ष (एक जनवरी 2016 से 15 अगस्त 2020) में अपराध करने पर कुल 594 नाबालिग काबू कर बाल सुधार घर भेजे हैं। ये नाबालिग नशा तस्करों के इशारे पर सप्लाई पहुंचाने, स्नैचिग, चोरी, हत्या, हत्या की कोशिश और दुष्कर्म जैसी जघन्य वारदात में आरोपित हैं।
सबसे बड़ी संख्या स्लम एरिया में रहने वालों की है। इससे पहले यूटी पुलिस की क्राइम ब्रांच यूनिट और सेक्टर-17 थाना पुलिस ने स्लम एरिया में मेडिकल स्टोर संचालन की आड़ में नशा तस्करी करने वाले चार लोगों को गिरफ्तार किया था। जिसके बाद से शहर के स्लम एरिया में नशा तस्करी के खुलासे को लेकर दैनिक जागरण अभियान के तहत दूसरा भाग प्रकाशित कर रहा है।
नशे की लत अपराध का प्रमुख कारण
पुलिस के अनुसार नाबालिगों में नशे की लत अपराध का एक प्रमुख कारण है। इनमें 14-17 आयु वर्ग के नाबालिगों की संख्या ज्यादा है। पुलिस चार्जशीट के आधार पर अधिकांश मामले में नाबालिग नशे की लत को पूरा करने के लिए छोटे-मोटे अपराध करना शुरू कर देते हैं। इसके अलावा दूसरी बड़ी वजह स्लम एरिया में रहने वाले नाबालिगों की खराब पृष्ठभूमि है। वे अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए अपराध करने के लिए मजबूर हो जाते हैं। झुग्गी-झोपड़ियों और पुनर्वास कॉलोनियों में रहने वाले बच्चों को अपराध के जाल में गिरने का सबसे अधिक खतरा है।
22 हजार बच्चों पर सर्वे, जोखिम में मिले तीन हजार
2018 में यूटी पुलिस विभाग ने दिल्ली स्थित एनजीओ सोसायटी फॉर प्रमोशन ऑफ यूथ एंड मास की मदद से शहर में 22,000 बच्चों के बीच आपराधिक प्रवृत्ति में जाने की जोखिम पर एक सर्वेक्षण किया था। इस दौरान स्लम एरिया के छह हिस्सों से करीब तीन हजार नाबालिग ऐसे मिले थे जिनमें आपराधिक प्रवृत्ति में आने का सबसे अधिक जोखिम मिला था।
यूटी पुलिस विभाग द्वारा प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत एक कार्यक्रम शुरू किया गया है। जिसका उद्देश्य ऐसे बच्चों के जीवन को बेहतर बनाना और उन्हें भविष्य में अपराध से दूर रखना है। उन्हें ट्रेंड होने के बाद नौकरी दिलाने में मदद की जाती है। -चरणजीत सिंह विर्क, डीएसपी, पीआरओ