इंश्योरेंस कंपनी को सरेंडर वैल्यू वापस करने के निर्देश
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : कंज्यूमर कोर्ट ने सेवा में कोताही और नियमों की अनदेखी को द
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : कंज्यूमर कोर्ट ने सेवा में कोताही और नियमों की अनदेखी को देखते हुए भारती एक्सा लाइफ इंश्योरेंस कंपनी के खिलाफ फैसला सुनाया है। कंज्यूमर कोर्ट ने इंश्योरेंस कंपनी को उपभोक्ता द्वारा ली गई तीन इंश्योरेंस पॉलिसी का सरेंडर वैल्यू 50 हजार रुपये हर्जाना व 15 हजार रुपये मुकदमा राशि देने को कहा है।
दरअसल, मनीमाजरा के पीपलीवाला टाउन के रहने वाले अशोक कुमार शर्मा ने भारती एक्सा लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड से पांच इंश्योरेंस पॉलिसी थी। जिनमें 21 मई 2009 को निशांत शर्मा के नाम और बाकी चार इंश्योरेंस पॉलिसी अशोक शर्मा के नाम पर ली गई थी। अशोक कुमार शर्मा ने कंज्यूमर कोर्ट में भारती एक्सा लाइफ इंश्योरेंस लिमिटेड कंपनी के खिलाफ शिकायत दी थी कि उन्हें कंपनी ने एक के बाद एक इंश्योरेंस पॉलिसी गलत जानकारी पर दी। इसके अलावा उन्हें पॉलिसी के बारे में गलत गाइड किया। जिस पर कंज्यूमर कोर्ट ने तीन पॉलिसी के सरेंडर वैल्यू 50 हजार रुपये हर्जाना व 15 हजार रुपये मुकदमा राशि देने के आदेश जारी किए हैं।
कंज्यूमर कोर्ट में दी शिकायत में अशोक कुमार शर्मा ने बताया कि उन्होंने कंपनी से पांच इंश्योरेंस पॉलिसी थी। इसके लिए उन्होंने कंपनी को कुल 1.53 लाख रुपये भी जमा कराए। शिकायतकर्ता ने 23 मई 2011 को पॉलिसी की एवज में किए गए भुगतान का रिफंड करने के लिए शिकायत दी। कंपनी ने उनकी शिकायत पत्र का चार अगस्त 2011 को जवाब देते हुए रिफंड करने से इंकार कर दिया। इस पर शिकायतकर्ता ने 16 सितंबर 2011 को परमानेंट लोक अदालत में इंश्योरेंस के पैसे रिफंड किए जाने को लेकर शिकायत डाल दी। इस बीच इंश्योरेंस कंपनी ने उपभोक्ता द्वारा ली गई पहली दो पॉलिसी के चेक के जरिए 26,790.45 रुपये वापस लौटा दिए। लेकिन उपभोक्ता द्वारा कंपनी से 16 सितंबर 2010, 10 जनवरी 2011 और 12 जनवरी 2011 को ली गई पॉलिसी का रिफंड नहीं किया गया। इस पर उपभोक्ता ने कंज्यूमर कोर्ट में रिफंड किए जाने को लेकर केस दायर किया था। जिस पर कंज्यूमर कोर्ट ने उपभोक्ता के हक में फैसला सुनाते हुए कंपनी को सरेंडर वेल्यू वापिस करने और हर्जाना भरने व मुकदमा राशि का खर्च देने के आदेश जारी किए।
12 प्रतिशत सालाना के हिसाब से करना होगा भुगतान
वहीं, कंज्यूमर कोर्ट ने इंश्योरेंस कंपनी को आदेश जारी कर कहा है कि इस आदेश के ठीक 30 दिन के अंदर पालन हो जाना चाहिए। ऐसा न करने पर कंपनी को 12 प्रतिशत सालाना ब्याज के हिसाब से उपभोक्ता को बताई गई राशि का भुगतान करना होगा।