गारबेज प्लांट और डंपिंग ग्राउंड को लेकर कांग्रेस-भाजपा के पार्षद उलझे
उसे ई-ऑक्शन द्वारा बेचने का फैसला भी सदन में लिया गया।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : प्लांट में गारबेज को प्रोसेस करने के बाद जो खाद और आरडीएफ तैयार किया जाता है, उसे ई-ऑक्शन द्वारा बेचने का फैसला भी सदन में लिया गया। नगर निगम ने 50 किलो खाद का रेट 210 रुपये और आरडीएफ का रेट 900 रुपये प्रति मीटर तय किया है। यहां से बनने वाली खाद की जांच नगर निगम ने लुधियाना की पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी से करवाई है। खाद को बेचने के लिए प्लांट और नगर निगम में भी काउंटर बनाया जाएगा। प्रस्ताव के अनुसार शहर के पार्को में भी इसी खाद का प्रयोग किया जाएगा। जो खाद के बैग तैयार किए जाएंगे, उस पर नगर निगम का लोगो होगा। प्रस्ताव के अनुसार चंडीगढ़ में मांग के अनुसार होम डिलीवरी की भी सुविधा दी जाएगी। कमिश्नर केके यादव की ओर से बताया गया कि इस समय प्लांट के अंदर 25 हजार टन कचरा डंप हुए पड़ा है। इसको किस तरह से निपटाना है, इसका निर्णय करने का अधिकार उसी कमेटी को दिया जाए, जोकि मेयर की ओर से बनाई गई है। जबकि कांग्रेस पार्षदों ने इस बात पर मेयर पर दबाव डाला कि इस कमेटी में डड्डूमाजरा की वार्ड पार्षद फरमिला देवी और उसके साथ लगते वार्ड की पार्षद शीला फूल सिंह को भी कमेटी में शामिल किया जाए। लेकिन यह मांग नहीं मानी गई। इस बात पर पूर्व मेयर राजेश कालिया और कांग्रेस पार्षद सतीश कैंथ के बीच जमकर बहस भी हुई। बहस के दौरान कांग्रेस पार्षद दल के नेता देवेंद्र सिंह बबला ने मेयर राजबाला मलिक पर तानाशाही का भी आरोप लगाया। मालूम हो कि गारबेज प्लांट जेपी कंपनी से वापस लेने के बाद अब नगर निगम चला रहा है, इसकी कारगुजारी के लिए मेयर की ओर से एक कमेटी का गठन किया गया है।
शीला फूल सिंह ने दैनिक जागरण में छपी डंपिग ग्राउंड की दिखाई तस्वीर
वीडियो कांफ्रेंसिग के माध्यम से हुई बैठक में कांग्रेस पार्षद शीला फूल सिंह ने दैनिक जागरण में छपी खबर की प्रति दिखाते हुए डड्डूमाजरा के डंपिग ग्राउंड के पिछली तरफ जमा कीचड़ की तस्वीर दिखाई। शीला फूल सिंह ने कहा कि यहां पर रहने वाले लोगों को लगातार दुर्गध का सामना करना पड़ रहा है। बरसात में कचरे से निकलने वाला कीचड़ लोगों के घरों तक पहुंच जाता है। यहा की स्थिति काफी दयनीय है। जबकि भाजपा पार्षद एवं पूर्व मेयर राजेश कालिया का कहना है कि प्लांट और डंपिग ग्राउंड कांग्रेस की ही देन हैं।