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पराली न जलाने वाले किसानों को दी जाने वाली मुआवजा राशि रुकी

सुप्रीम कोर्ट द्वारा पराली को लेकर व्यापक नीति बनाने के आदेश के बाद पराली न जलाने वाले किसानों को मिलने वाली मुआवजा राशि फिलहाल रुक गई है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Fri, 29 Nov 2019 02:03 PM (IST)Updated: Sat, 30 Nov 2019 08:56 AM (IST)
पराली न जलाने वाले किसानों को दी जाने वाली मुआवजा राशि रुकी
पराली न जलाने वाले किसानों को दी जाने वाली मुआवजा राशि रुकी

जेेेेेेएनएन, चंडीगढ़। सुप्रीम कोर्ट द्वारा पराली को लेकर व्यापक नीति बनाने के आदेश के बाद पराली न जलाने वाले किसानों को मिलने वाली मुआवजा राशि फिलहाल रुक गई है। कहा जा रहा है कि जब तक नए आवेदन करने वालों की पूरी तरह जांच नहीं हो जाती तब तक मुआवजा राशि जारी नहीं की जाएगी। दूसरी तरफ इसे पंजाब सरकार के आर्थिक संकट से भी जोड़कर देखा जा रहा है।

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खेती विभाग का अनुमान है कि इस साल यदि पराली न जलाने वाले सभी किसानों को मुआवजा राशि देनी पड़ी तो लगभग सौ करोड़ रुपये खर्च होंगे। सरकार की वित्तीय हालत ऐसी हो गई है कि वेतन समय पर रिलीज करने में दिक्कतें खड़ी हो गई हैं। करीब 4100 करोड़ रुपये जीएसटी के केंद्र सरकार के पास लंबित हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने 25 नवंबर के फैसले में पराली पर पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और केंद्र सरकार के अधिकारियों को व्यापक नीति बनाने का आदेश दिया है। कोर्ट ने किसानों को मुआवजे पर कोई स्पष्ट निर्देश नहीं दिए कि यह राशि कौन देगा? इसीलिए इस पर संशय बना हुआ है। पता चला है कि अगले साल से पराली को लेकर कोई दिक्कत न आए, इसके लिए केंद्र सरकार ने जल्द ही संबंधित राज्यों की मीटिंग बुलाने की तैयारी शुरू कर दी है।

पंजाब के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी विश्वजीत खन्ना ने कहा ऐसा नहीं है कि सरकार ने मुआवजा राशि रोक दी है। पराली न जलाने वाले किसानों के आवेदनों की वेरीफिकेशन चल रही है। इसके लिए नियम भी नए बना दिए गए हैं। उन्होंने माना कि पिछले आवेदनों में संगरूर और फाजिल्का में कुछ फर्जी केस सामने आए थे। चूंकि वह शुरूआती दौर था, इसलिए दिक्कतें आईं, आगे से ऐसा होने की संभावनाओं को ही खत्म कर दिया गया है।

29 हजार किसानों को दिए 19 करोड़

प्रदेश सरकार की ओर से अभी तक 19.09 करोड़ रुपये ही पराली न जलाने वाले 29,343 किसानों को बांटे गए हैं। तीस नवंबर तक किसानों से फिर से आवेदन मांगे गए हैं। इनकी वेरीफिकेशन के लिए नियमों में कई तरह के बदलाव किए गए हैं।

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