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..संगीत की संगत अच्छी है

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : प्रस्तुति को 20 मिनट शेष हैं, इससे पहले कशिश अपनी आवाज को मधुर बन

By JagranEdited By: Published: Tue, 13 Nov 2018 11:32 PM (IST)Updated: Tue, 13 Nov 2018 11:32 PM (IST)
..संगीत की संगत अच्छी है
..संगीत की संगत अच्छी है

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : प्रस्तुति को 20 मिनट शेष हैं, इससे पहले कशिश अपनी आवाज को मधुर बनाए रखने के लिए गर्म पानी के साथ शहद चख रहे हैं। चखते-चखते बोले कि अपने शहर में प्रस्तुति करना हमेशा से खास रहा है। वो भी टैगोर थिएटर में। खुशी होती है कि लोग मुझे आइएएस ऑफिसर बनने से पहले ही मेरी गायिकी की वजह से भी जानते हैं। आज एक लंबे समय बाद शहर आया हूं, तो ये खुशी है कि लोग मुझे पहले संगीत से जोड़कर जानते हैं। आइएएस कशिश मित्तल टैगोर के ग्रीन रूम में बैठे हुए कुछ इस अंदाज में बात करते हैं। मंगलवार को वे करीब चार साल बाद शहर में प्रस्तुति देने पहुंचे। इस दौरान उन्होंने अपनी गायिकी और इन दिनों दिल्ली में नीति आयोग में कार्यरत रहते हुए भी गायिकी को जारी रखने के संघर्ष पर चर्चा की। सुबह नहीं तो शाम को करता हूं रियाज.

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कशिश बोले कि रियाज ऐसी चीज है, जो आपको गायिकी के लिए बेहतर बनाता है। मैं अपना रियाज नहीं छोड़ता। चाहे कितना भी व्यस्त हूं। सुबह नहीं तो शाम ही सही। जब भी वक्त मिले, तो रियाज के लिए समय निकाल ही लेता हूं। मेरे लिए ये जरूरी है कि मेरी गायिकी भी चलती रहे। हां, ऑफिसर होने की वजह से आपको कई किरदार निभाने पड़ते हैं। मगर संगीत के साथ जुड़े रहने पर आप अपने अंदर एक खूबसूरत संतुलन बनाए रखते हैं, जो आपको हर स्थिति के लिए तैयार रखता है। संगीत ने शांत रहना सिखाया है

ऐसे कई मौके आते होंगे, जब आपको गुस्सा आता होगा, संगीत क्या इसमें मदद करता है? पर कशिश बोले, बिल्कुल। कई बार ऑर्डर देते हुए, कुछ प्रोजेक्ट का अधूरा रह जाना और ऐसी ही कई स्थिति उत्पन्न होती है, जब आप अपना आपा खो बैठते हैं, मुझे संगीत ने इस तरह तैयार किया है कि मैं गुस्से और ऊंची आवाज को संतुलित कर सकता हूं। संगीत से शांति मिलती है, जो आपको कभी गलत और बुरे व्यवहार करने से बचाता है। सीखते हुए कभी ये नहीं माना कि ऑफिसर हूं

कशिश ने गायिकी प्रोफेसर रविंद्र सिंह और यशपॉल से सीखी है। बोले कि मैंने वर्ष 2003 में गायिकी सीखी। पांच वर्ष सीखने के दौरान, मैंने पढ़ाई में भी अच्छा बैलेंस रखा। बीटेक पढ़ रहा था, तो भी अपनी गायिकी को जारी रखा। ऑफिसर बनने के बाद भी रियाज जारी रखा। कभी ये नहीं माना कि ऑफिसर हूं, बल्कि सीखते समय खुद को एक शिष्य के रूप में ही गुरु को समर्पित कर देता था।

अपने से बनना है बेहतर

कशिश ने कहा कि दिल्ली में नीति आयोग के साथ कार्य करते हुए मैंने सेटर में कई कलाकारों से भी मुलाकात की। मगर, मैंने कभी दूसरों से लड़ने के लिए या उनसे आगे बढ़ने के लिए गायिकी शुरू नहीं की थी, बल्कि मैं खुद हर रोज इसमें माहिर होना चाहता हूं, इसलिए कंपटीशन भी खुद से ही रखा है।


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