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फाइनेंस पर कंपनी पर आयोग ने लगाया 20 हजार रुपये हर्जाना

एलएंडटी हाउसिग फाइनेंस कंपनी को उपभोक्ता से प्री पेमेंट के नाम पर तीन लाख रुपये अतिरिक्त चार्ज वसूलना महंगा पड़ गया। सुनवाई करते हुए उपभोक्ता आयोग ने कंपनी पर 20 हजार रुपये हर्जाना साथ ही नौ फीसद प्रति वर्ष ब्याज के साथ तीन लाख 18 हजार 086 रुपये वापस करने का भी आदेश दिया। वहीं कंपनी को 10 हजार रुपये मुकदमें पर हुए खर्च के रूप में जमा कराने को भी कहा गया।

By JagranEdited By: Published: Mon, 18 Oct 2021 06:08 AM (IST)Updated: Mon, 18 Oct 2021 06:08 AM (IST)
फाइनेंस पर कंपनी पर आयोग ने लगाया 20 हजार रुपये हर्जाना

-प्री पेमेंट के नाम पर फाइनेंस कंपनी ने शिकायतकर्ता से लिए तीन लाख रुपये से ज्यादा की राशि

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-एलएंडटी कंपनी के खिलाफ उपभोक्ता आयोग ने सुनाया फैसला

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जासं, चंडीगढ़ : एलएंडटी हाउसिग फाइनेंस कंपनी को उपभोक्ता से प्री पेमेंट के नाम पर तीन लाख रुपये अतिरिक्त चार्ज वसूलना महंगा पड़ गया। सुनवाई करते हुए उपभोक्ता आयोग ने कंपनी पर 20 हजार रुपये हर्जाना, साथ ही नौ फीसद प्रति वर्ष ब्याज के साथ तीन लाख 18 हजार 086 रुपये वापस करने का भी आदेश दिया। वहीं कंपनी को 10 हजार रुपये मुकदमें पर हुए खर्च के रूप में जमा कराने को भी कहा गया।

जानकारी के अनुसार सेक्टर-8 पंचकूला निवासी अनिल मित्तल ने एलएंडटी के खिलाफ वर्ष 2018 में जिला उपभोक्ता आयोग में शिकायत दी थी। अनिल मित्तल ने आरोप लगाया था कि एलएंडटी कंपनी ने उनसे प्री पेमेंट के नाम पर तीन लाख 18 हजार 086 रुपये ज्यादा लिए। अनिल ने उक्त कंपनी से एक करोड़ 10 लाख रुपये का का लोन लिया था और उन्होंने 180 महीने में यह लोन चुकता करने के लिए एक लाख 28 हजार 501 रुपये मासिक किश्त बनाई हुई थी। उन्होंने कहा कि किश्त फरवरी 2016 से फरवरी 2031 तक थी। उन्होंने ऋण की नियमित मासिक किश्तों का भुगतान करने के बाद 20 जून 2017 को शेष ऋण राशि का पूरा भुगतान किश्त बंद कर दी। कंपनी की ओर से 29 जून 2017 को नो ड्यूज सर्टिफिकेट भी जारी किया गया। ऋण प्रस्ताव पत्र के अनुसार शिकायतकर्ता के लिए फ्लोटिग ब्याज दर था और पूर्व भुगतान के मामले में फ्लोटिग ब्याज दर पर कोई शुल्क लागू नहीं था। इन सबके बावजूद कंपनी ने शिकायतकर्ता से मूल बकाया पर तीन फीसद की दर से पूर्व भुगतान शुल्क के लिए तीन लाख 18 हजार 086 रुपये की राशि वसूल की।

आयोग ने खारिज की कंपनी की दलील

आयोग में कंपनी दलील दी कि शिकायतकर्ता ने व्यक्तिगत क्षमता में ऋण सुविधा के लिए आवेदन किया था, जबकि उक्त ऋण शिकायतकर्ता ने अपने पार्टनर सुनीता मित्तल और मनोहर लाल सतपाल के साथ लिया था। जोकि पार्टनरशिप फर्म है और गैर-व्यक्तिगत ऋण सुविधा के अंतर्गत आता है। कंपनी ने कहा कि उन्होंने शिकायतकर्ता से गैर-कानूनी या फिर किसी भी नियम के खिलाफ राशि नहीं ली है। लेकिन आयोग की ओर से कंपनी की दलील को खारिज करते हुए उस पर 20 हजार रुपये का हर्जाना लगाया।


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