मेरा रंग दे बसंती चोला..
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : एक घटना, जिसने एक शख्स को वीर बनाया, जिसने फंदा चूम कर युवाओं में एक नया
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : एक घटना, जिसने एक शख्स को वीर बनाया, जिसने फंदा चूम कर युवाओं में एक नया जोश भरा। शहीद-ए-आजम भगत ¨सह के जीवन की इसी घटना को नाटक भगत ¨सह की कहानी, दुर्गा भाभी की जुबानी में दिखाया गया। टैगोर थिएटर-18 में चल रहे ट्राईसिटी थिएटर फेस्टिवल के चौथे दिन इस नाटक का मंचन राजीव मेहता के निर्देशन में हुआ। नाटक की शुरुआत एक सूत्रधार से होती है, जो अपना परिचय देश की स्वतंत्रता के लिए लड़ी चंद महिलाओं में से एक दुर्गावती देवी के रूप में बताती है। देश के हालिया हालत को देखते हुए वो युवाओं को एक ऐसे वीर के बारे में बताती है, जिसने आजादी के लिए युवा उम्र में ही फांसी का फंदा चूम लिया था। इसके बाद मंच पर जन्म होता है भगत ¨सह का। घर में खुशियां है, चारों और नृत्य और संगीत बज रहा है। धीरे-धीरे भगत बड़े होते हैं और देश में अंग्रेजों के जुल्म की कहानी को सुनते हैं। उनके अंदर एक अलग सा जोश पनपता है। जलियांवाला कांड के बाद वो भारत को स्वतंत्र करने की प्रतिज्ञा लेते हैं। सांडर्स को मारने के बाद मिलते हैं क्रांतिकारियों से
इसके बाद सांडर्स को मारने के बाद, भगत ¨सह विभिन्न क्रांतिकारियों से मिलते हैं, जहां से होते हुए वे अपनी बात रखने को असेंबली में बम ब्लास्ट करने की साजिश रचते हैं, वर्षों तक चले कोर्ट ट्रायल के दौरान, भगत सिंह ने जेल में रहते हुई भी कई बदलाव किए। 23 मार्च 1931 को भगत ¨सह को साथियों राजगुरु और सुखदेव समेत फांसी पर चढ़ा दिया जाता है। नाटक में भगत ¨सह के जीवन को बेहतर रूप से प्रदर्शित किया गया। नाटक के पियूष मिश्रा, सागर सरहदी और द¨वदर दमन द्वारा लिखित नाटकों को जोड़कर बनाया गया।