गुरप्रीत को कोच ने स्ट्राइकर से बनाया गोलकीपर, अब बनेंगे अर्जुन अवॉर्डी Chandigarh News
फुटबॉल के प्रति गुरप्रीत इस कदर जनूनी थे कि वह 10वीं के पेपर भी ड्रॉप करना चाहते थे।अधिकारियों को जब पता चला तो उन्होंने स्पेशल परमिशन देकर उन्हें पेपर देने की अनुमति दी।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। ट्राईसिटी के फुटबॉलर गुरप्रीत सिंह संधू को भी इस साल खेल मंत्रालय की तरफ से अर्जुन अवॉर्ड दिया जा रहा है। जैसे हर अर्जुन के पीछे गुरु द्रोणाचार्य होते हैं, वैसे ही गुरप्रीत का भविष्य निखारने के पीछे सेंट स्टीफंस फुटबॉल एकेडमी के कोच सुरिंदर सिंह का है। सुरिंदर सिंह बताते हैं कि साल 2001 में गुरप्रीत मेरे पास फुटबॉल सीखने आया, शुरुआत में गुरप्रीत बतौर स्ट्राइकर खेलना चाहते थे, लेकिन उनकी लंबी हाइट को देखते हुए मैंने उन्हें गोलकीपर बनने की सलाह दी। शुरुआत में मेरा यह फैसला गुरप्रीत को अच्छा नहीं लगा, लेकिन जैसे-जैसे उसकी लय बनती गई, वैसे-वैसे गुरप्रीत निखरता गया। गुरप्रीत को अर्जुन अवॉर्ड मिलना उसकी सफलता की कहानी को बयां करता है।
अंडर-16 नेशनल गेम्स में पड़ी थी सेलेक्टर्स की नजर
कोच सुरिंदर सिंह बताते हैं कि ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन की तरफ से आयोजित नेशनल फुटबॉल गेम्स-2006 में गुरप्रीत चंडीगढ़ फुटबॉल टीम की तरफ से खेल रहे थे। इस बड़े टूर्नामेंट में फेडरेशन की तरफ से सेलेक्टर्स की भी कमेटी बैठी हुई थी। जिसमें टीम के तकनीकी कोच कॉलम सोल ने पहली नजर में गुरप्रीत की प्रतिभा को पहचान लिया था। उन्होंने गुरप्रीत सिंह का नाम नेशनल कैंप के लिए प्रस्तावित किया। इसी साल गुरप्रीत सिंह अंडर-16 नेशनल टीम में आ गए। इसके बाद वह टीम इंडिया की अंडर-16, अंडर-18, अंडर-19 टीम का हिस्सा रहे। इसके बाद वह सीनियर टीम में खेल रहे हैं। सुरिंदर सिंह ने बताया कि गुरप्रीत आज इंटरनेशनल स्तर का खिलाड़ी है, बावजूद इसके अभी भी वह जब शहर में होता है तो अकसर एकेडमी के युवा खिलाड़ियों के साथ फुटकॅल खेलने लग जाता है। युवा खिलाड़ियों को भविष्य के लिए टिप्स देता है।
फुटबॉल के लिए 10वीं के पेपर भी ड्राप करने को राजी हो गए थे गुरप्रीत
फुटबॉल के प्रति गुरप्रीत इस कदर जनूनी थे कि वह अपने 10वीं के पेपर भी ड्रॉप करना चाहते थे। दरअसल जिस समय में 10वीं की परीक्षा थी, उस समय वह नेशनल कैंप में थे। ऐसे में उनका खेल प्रभावित न हो इसके लिए वह अपनी 10वीं की परीक्षा ड्राप करने जा रहे थे। फेडरेशन के अधिकारियों को जब इसका पता चला तो उन्होंने स्पेशल परमिशन देकर उन्हें पेपर देने की अनुमति दी। हफ्तेभर पढ़ाई कर गुरप्रीत ने यह परीक्षा अच्छे अंकों से पास की थी।
कई नामी क्लब्स के साथ जुड़े रहे हैं गुरप्रीत
गुरप्रीत देश-विदेश के कई नामी क्लब्स के साथ जुड़े रहे हैं। वह साल 2009-14 तक ईस्ट बंगाल कोलकाता फुटबॉल क्लब से जुड़े रहे। इसी दौरान उन्हें इंग्लैंड के वीगल क्लब से जुड़ने का ऑफर आया, लेकिन वह अपने प्रोफेशनल कांट्रेक्ट की वजह से इस क्लब से नहीं जुड़ पाए। इसके बाद वह नार्वे के क्लब स्टाबीक की तरफ से साल 2014-17 तक खेले। इस दौरान उन्होंने साल 2016 में यूरोप लीग भी खेली। इस प्रतिष्ठित टूर्नामेंट में खेलने वाले वह पहले खिलाड़ी थे, जोकि अपने आप में एक रिकॉर्ड है। साल-2017 में गुरप्रीत ने बेंगलुरु फुटबॉल क्लब ज्वाइन किया और अभी वह इसी क्लब में खेल रहे हैं।
परिजन बोले- नाम के साथ अर्जुन अवॉर्डी जुड़ना ही बड़ा सम्मान
गुरप्रीत सिंह संधू की मां हरजीत कौर और पिता तेजिंदर सिंह ने बताया कि उन्हें अपने बेटे की उपलब्धियों पर नाज है। यह पूरे संधू परिवार के लिए गर्व की बात है कि परिवार के बेटे को अर्जुन अवॉर्ड मिलने जा रहा है। हम बेसब्री से उस पल का इंतजार कर रहे हैं, जब राष्ट्रपति गुरप्रीत के गले में अर्जुन अवॉर्ड सौंपेंगे।
गुरप्रीत सिंह का प्रोफाइल -
नाम - गुरप्रीत सिंह
जन्म - 3 फरवरी, 1992 चमकौर साहिब, पंजाब
हाइट - 6.6 फीट
प्लेइंग पोजीशन - गोलकीपर
हरियाणा की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें