सुबह सुरेश कुमार ने 'गुडबाय' कर सभी सरकारी whatsapp group छोड़े, शाम को सरकार का इस्तीफे से इन्कार
चीफ प्रिंसिपल सेक्रेटरी के इस्तीफे को लेकर शनिवार को दिनभर सियासी ड्रामा चला। शाम को सीएम के साथ एक घंटे तक चली बैठक के बाद मसला सुलझा।
चंडीगढ़ [इन्द्रप्रीत सिंह]। मुख्यमंत्री के चीफ प्रिंसिपल सेक्रेटरी सुरेश कुमार के इस्तीफे को लेकर 72 घंटे से चल रही अटकलों में शनिवार को नया मोड़ आ गया। दिन भर की गहमागहमी के बाद इस सवाल का जवाब शनिवार को भी नहीं मिल सका कि क्या वे सोमवार को अपने पद पर ज्वाइन करेंगे या नहीं? हालांकि, सरकार ने उनके इस्तीफे से इन्कार किया है और दावा किया है कि मामला सुलझ गया है।
सुबह से ही उनके इस्तीफे को लेकर अटकलबाजी जारी रही। सुरेश कुमार ने सभी विभागों के वॉट्सएप ग्रुप अधिकारियों को 'गुडबाय' मैसेज देते हुए छोड़ दिए। इसके बाद उनके इस्तीफे के मंजूर होने की चर्चा शुरू हो गई। दोपहर होते-होते एक ही बात की चर्चा थी कि क्या सचमुच सुरेश कुमार का इस्तीफा मुख्यमंत्री ने स्वीकार कर लिया है। सभी लोग यह जानने को उत्सुक थे कि उनके इस्तीफे का क्या हुआ?, लेकिन सरकार ने इससे इन्कार कर दिया।
शाम को उनकी मुख्यमंत्री के साथ मीटिंग थी, जिसमें उन्हें अपना इस्तीफा सौंपना था। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और उनके एडवोकेट जनरल अतुल नंदा किसी अज्ञात जगह पर मिले। मुख्यमंत्री के साथ उनका कोई भी सुरक्षाकर्मी नहीं गया। मुख्यमंत्री के प्रिंसिपल सेक्रेटरी तेजवीर सिंह अपनी गाड़ी में सुरेश कुमार को मीटिंग स्थल पर ले गए। यह बात बेहद गोपनीय रखी गई। मीटिंग लगभग एक घंटे से ज्यादा चली और 7.30 बजे सुरेश कुमार अपने घर लौट आए। सूत्रों का कहना है कि मीटिंग में सभी मसलों को सुलझा लिया है।
इस मीटिंग के तुरंत बाद पंजाब सरकार ने आधिकारिक तौर पर कहा कि सुरेश कुमार ने कोई इस्तीफा नहीं दिया है। ऐसे में उनके इस्तीफे को मंजूर न किए जाने संबंधी अटकलें लगनी शुरू हो गईं। पंजाब सरकार के आधिकारिक रूप से प्रेस नोट जारी किए जाने से एक बात साफ हो गई है कि सुरेश कुमार इस्तीफा देने पर पुनर्विचार कर रहे हैं। अब उनके सोमवार को अपने पद पर फिर से ज्वाइन करने के बाद ही वास्तविक स्थिति सामने आएगी।
सब कुछ जल्दी ही सामने आ जाएगा: सुरेश कुमार
जब सुरेश कुमार से बात की गई तो उन्होंने केवल इतना कहा कि 'वेट एंड वॉच, सब कुछ जल्दी ही सामने आ जाएगा।' इससे ज्यादा वह कुछ नहीं बोले। गौरतलब है कि पांच अगस्त को सुरेश कुमार ने अपनी सभी फाइलें अपने अधीनस्थ अधिकारियों को सौंप दी थीं। दोपहर बाद वह न तो दफ्तर आए और न ही उसके अगले दिन दफ्तर में आए। शुक्रवार को उन्होंने लुधियाना में एक सेमिनार जरूर अटेंड किया, लेकिन मीडिया से उन्होंने अपने स्वभाव के विपरीत दूरी बनाए रखी। इस सेमिनार में भी मीडिया को नहीं बुलाया गया।
केस को लेकर नाराज थे
सुरेश कुमार की कैप्टन सरकार की ओर से की गई नियुक्ति को मोहाली के वकील ने चुनौती दी थी, जिस पर उनका बचाव सरकारी तौर पर किया जा रहा था। पी. चिदंबरम जैसे वकील की सेवाएं लेकर उनके केस को हाईकोर्ट में लड़ा जा रहा था। इसकी अगली सुनवाई नवंबर में होनी थी। हालांकि, केस के लटकने को लेकर वह नाराज थे। उन्हें लग रहा है कि केस की तलवार उन पर जान बूझ कर लटकाई हुई है। यही नहीं, श्री गुरु ग्रंथ साहिब के मामले में सीबीआइ मामले में भी वह कुछ मंत्रियों के सीधे निशाने पर थे।
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