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चंडीगढ़ की ट्रैवल कंपनी ने व्यक्ति से टूर पैकेज के लिए 67 हजार रुपये, न वीजा दिया न राशि की वापस, आयोग ने लगाया हर्जाना

सेक्टर-47सी स्थित ट्रैवल कंपनी हॉलाडेज बाजार के खिलाफ शिकायत की सुनवाई के दौरान आयोग ने कंपनी पर हर्जाना लगाया है। शिकायतकर्ता का आरोप है कि उन्होंने कंपनी को 67 हजार रूप टूर बुकिंग के लिए दिए थे लेकिन कंपनी ने न वीजा दिलाया और न ही राशि वापस की।

By Ankesh ThakurEdited By: Published: Mon, 26 Jul 2021 01:35 PM (IST)Updated: Mon, 26 Jul 2021 01:35 PM (IST)
चंडीगढ़ की ट्रैवल कंपनी ने व्यक्ति से टूर पैकेज के लिए 67 हजार रुपये, न वीजा दिया न राशि की वापस, आयोग ने लगाया हर्जाना
आयोग ने हॉलाडेज बाजार कंपनी पर हर्जाना लगाया है।

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। ट्रैवल कंपनियां पहले लोगों को लुभावने आवश्वासन देती हैं लेकिन वादे अनुसार उन्हें सुविधाएं नहीं मिलती। कंपनियां ग्राहकों को झूठे आवश्वासन देना बंद करें और जो वायदा बुकिंग के समय करते है, उन्हें पूरा भी करें। चंडीगढ़ जिला उपभोक्ता आयोग ने ऐसे ही एक मामले में सुनवाई करते हुए यह आदेश दिए हैं। 

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सेक्टर-47सी स्थित हॉलाडेज बाजार के खिलाफ शिकायत की सुनवाई के दौरान आयोग ने कहा कि लोग कंपनियों पर भरोसा करके बुकिंग करवाते हैं लेकिन कंपनियों की ओर से ग्राहकों को वैसे सुविधा नहीं मिलती है। हॉलाडेज बाजार के खिलाफ जीरकपुर के ढकोली के रहने वाले सुधीर कुमार ने साल 2020 में शिकायत दी थी। शिकायत में सुधीर ने बताया कि उन्होंने 16 सिंतबर 2019 को उक्त कंपनी से पत्नी के लिए एक टूर पैकेज बुक किया था, जिसके उन्हें टूर पैकेज की कीमत 67,000 रुपये बताई गई। उन्होंने दो किस्तों में पूरी राशि का भुगतान किया। पहले उन्होंने एचडीएफसी क्रेडिट कार्ड के माध्यम से 47,500 रुपये दिए और बाद में पीएनबी एटीएम स्वाइप कर 19,500 रुपये की पेमेंट की गई। कंपनी की ओर से बुकिंग के समय उन्हें आश्वासन दिया गया कि 11 दिसंबर 2019 तक उन्हें वीजा, होटल बुकिंग और फ्लाइट टिकट मिल जाएगा। नौ दिसंबर को उन्हें एक ई-मेल मिला, जिसमें बताया कि शिकायतकर्ता की पत्नी के वीजा को मलेशियाई दूतावास द्वारा स्वीकार नहीं किया गया। इसके बाद 10 दिसंबर 2019 को शिकायतकर्ता ने कंपनी से बुकिंग की पूरी राशि वापस करने के लिए उन्हें ई-मेल किया, लेकिन कंपनी की ओर से न तो ई-मेल का जवाब दिया गया और न ही उनकी कॉल उठाई गई।

18 दिसंबर को कंपनी की ओर से 67,000 रुपये का एक चेक शिकायतकर्ता को दिया गया, लेकिन जब बैंक में चेक लगाया था ताे वह बाउंस हो गया। 27 दिसंबर को कंपनी की ओर से शिकायतकर्ता को 17 हजार रुपये की राशि कैश दी गई और 50 हजार रुपये जल्द वापस करने का आश्वासन दिया। इसके बाद बार-बार अनुरोध करने के बावजूद कंपनी ने राशि वापस नहीं दी। शिकायत की सुनवाई करते हुए आयोग ने आदेश दिया कि कंपनी शिकायतकर्ता को नौ फीसद प्रति वर्ष ब्याज के साथ 50 हजार रुपये वापस करेगी। इसके साथ ही आयोग ने शिकायकर्ता को मानसिक परेशान करने के लिए कंपनी का सात हजार रुपये हर्जाना और केस खर्च के रूप में पांच हजार रुपये देने के भी आदेश दिए हैं।


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