बूंद-बूंद की मोहताज होने लगी चंडीगढ़ की लाइफलाइन Sukhna Lake, 1154 फीट से नीचे आया जलस्तर
चंडीगढ़ की लाइफलाइन सुखना लेक बूंद-बूंद को मोहताज होने लगी है। लेक का जलस्तर लगातार कम हो रहा है। अब लेक में जल का स्त्रोत केवल बरसात ही है कोई दूसरी जगह से पानी नहीं मिलता। इन दिनों पाबंदियों के चलते लेक को बंद कर दिया गया है।
चंडीगढ़, जेएनएन। चंडीगढ़ की सुखना लेक में जलस्तर पूरी तरह से बरसात पर निर्भर है। बरसात अच्छी हुई तो ही लेक जल से लबालब होगी। बरसात औसत से कम हुई तो अगले साल लेक की हालत इससे भी खराब होगी। वर्ष 2020 में बरसात अच्छी हुई थी जिससे लेक का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गया था। फ्लड गेट खोलने के बाद पानी घग्गर नदी में छोड़ना पड़ा था। दो साल से ऐसा ही हो रहा है। इसके बावजूद लेक जून तक आते-आते सूखने लगी है।
चंडीगढ़ की लाइफलाइन सुखना लेक बूंद-बूंद को मोहताज होने लगी है। लेक का जलस्तर लगातार कम हो रहा है। अब लेक में जल का स्त्रोत केवल बरसात ही है कोई दूसरी जगह से पानी नहीं मिलता। चंडीगढ़ में प्री मॉनसून की बरसात जून के अंतिम सप्ताह से होनी शुरू होंगी। उसके बाद जुलाई में मॉनसून सक्रिय होगा। जून के आखिर तक एक महीने में लेक का जलस्तर तीन से चार फीट तक और नीचे आ जाएगा। अभी लेक का जलस्तर 1154 फीट के आस-पास है। नौबत यह आ गई है कि रेगुलेटरी एंड पर बड़ा हिस्सा सूख चुका है। सूखने के बाद निचली परत दिखने लगी है।
गाद नहीं निकालना बन रही सूखने की वजह
लेक अब हर साल भरने लगी है और पानी को छोड़ा भी जा रहा है। साथ ही हर साल सूख भी जा रही है। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण गाद निकालना बताया जा रहा है। गाद जमा होने से लेक में पानी सहेजने की क्षमता ही बहुत कम हो गई है। पर्यावरणविद भी लेक के हर साल सूखने की वजह यही मानते हैं। पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट ने भी प्रशासन को गाद निकालने के आदेश दिए थे। गाद निकालने का काम शुरू नहीं हो पाया। लेक को उसके हाल पर छोड़ दिया गया है।
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