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कोविड वार्ड में ड्यूटी देते हुए संक्रमित, स्वस्थ होने के बाद फिर वहीं सेवाएं दे रहे चंडीगढ़ के मृदुला व मनीष

चंडीगढ़ गवर्नमेंट मल्टीस्पेशलिस्ट हॉस्पिटल सेक्टर-16 में कार्यरत मृदुला और मनीष पिछले एक साल से कोरोना मरीजों को सेवाएं दे रहे है। काम करने के दाैरान एक बार दोनों संक्रमित भी हुए लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। वे कोरोना को हराकर वापस काम पर लौट चुके हैं।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Mon, 24 May 2021 01:59 PM (IST)Updated: Mon, 24 May 2021 01:59 PM (IST)
कोविड वार्ड में ड्यूटी देते हुए संक्रमित, स्वस्थ होने के बाद फिर वहीं सेवाएं दे रहे चंडीगढ़ के मृदुला व मनीष
चंडीगढ़ गवर्नमेंट मल्टीस्पेशलिस्ट हॉस्पिटल सेक्टर-16 में कार्यरत दंपती मृदुला और मनीष। फाइल फोटो

चंडीगढ़, [सुमेश ठाकुर]। कोरोना महामारी से हर कोई परेशान है लेकिन उससे मुकाबला करने के लिए देश का मेडिकल स्टाफ आज भी उसी मजबूती के साथ डटा हुआ है। ऐसा ही उदाहरण है गवर्नमेंट मल्टीस्पेशलिस्ट हॉस्पिटल सेक्टर-16 में कार्यरत दंपती मृदुला और मनीष ने दिया है। दोनों सात वर्षों से अस्पताल में ड्यूटी दे रहे है। मार्च, 2020 में जैसे ही कोरोना ने देश में दस्तक दी, पति-पत्नी ने कोरोना वार्ड की कमान संभाल ली। वे बीते एक साल से कोरोना मरीजों को सेवाएं दे रहे है। काम करने के दाैरान एक बार दोनों कोरोना संक्रमित भी हुए लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। कोरोना को हराकर वापस काम पर लौट चुके हैं। 

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सेवा है कर्म, डर हमारे लिए नहीं बना

मृदुला ने कहा कि जब कोरोना हुआ तो हर तरफ डर था लेकिन मरीजों की सेवा करना हमारा कर्म है। धार्मिक ग्रंथों में भी अंकित है कि कर्म ही सबसे बड़ा धर्म है। उसी को दिल में रखकर हमने काम करना शुरू कर दिया। एक समय ऐसा आया जब हम दोनों ही संक्रमित हुए। हमें डर लगा लेकिन भगवान पर पूरा विश्वास था। जब ईश्वर इतने लोगों को ठीक करके भेज रहा है तो हम भी ठीक होंगे। मैंने और मेरे पति मनीष ने हिम्मत से काम लिया और एक महीने में पूरी तरह से ठीक होकर अस्पताल में आकर पहले की तरह काम करना शुरू कर दिया। 

कोरोना का डर लेकिन कर्म जरूरीः मनीष

मनीष ने कहा कि कोरोना का डर हर किसी को है। जब कोरोना संक्रमण होता है तो उसके बाद इंसान का शरीर टूट जाता है। अपनों से दूरी और अकेलापन परेशान करता है। फिर भी, डर से पहले हमारा कर्म है। हमारे काम करने से सैकड़ों मरीज ठीक होकर वापस अपने घरवालों के पास जाते हैं। जब हम काेरोना मरीज को ठीक होने के बाद छुट्टी देते है तो मरीज से ज्यादा उसके परिजनों की दुआएं और प्यार हमें देखने को मिलता है। यह एक अलग अनुभूति होती है, जिसके लिए मैं और मेरी पत्नी पूरी मेहनत और लगन के साथ ड्यूटी निभा रहे हैं।


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