Chandigarh Politics: नवजोत सिंह सिद्धू की रिहाई के बाद पंजाब कांग्रेस की राजनीति लेगी नई करवट
एक तरफ जालंधर लोक सभा उप चुनाव की घोषणा हो चुकी है और दूसरी तरफ दो बार के मुख्यमंत्री रहे कैप्टन अमरिंदर सिंह की जड़ों को खोदने वाले नवजोत सिंह सिद्धू रोड रेज मामले में एक साल की सजा को पूरा करके शनिवार को जेल से बाहर आने वाले हैं।
चंडीगढ़, जागरण संवाददाता । पंजाब कांग्रेस की राजनीति नई करवट लेने जा रही हैं। एक तरफ जालंधर लोक सभा उप चुनाव की घोषणा हो चुकी है और दूसरी तरफ कांग्रेस के कद्दावर नेता व दो बार के मुख्यमंत्री रहे कैप्टन अमरिंदर सिंह की जड़ों को खोदने वाले नवजोत सिंह सिद्धू रोड रेज मामले में एक साल की सजा को पूरा करके शनिवार को जेल से बाहर आने वाले हैं।
कांग्रेस की राजनीति ने ली करवटें
सिद्धू की रिहाई से पहले ही कांग्रेस की राजनीति ने नई करवट लेना शुरू कर दिया है। रिहाई से एक दिन पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शमशेर सिंह दूलो, लाल सिंह, मोहिंदर केपी और नेता प्रतिपक्ष प्रताप सिंह बाजवा सिद्धू से मिलने पटियाला जेल पहुंचे। वहीं, सिद्धू की जेल से रिहाई को लेकर उनके समर्थक नेताओं ने जोर-शोर से स्वागत की तैयारी कर ली हैं।
जेल से लौटने के बाद कैसा होगा सिद्धू का रुख
कांग्रेस का एक वर्ग जहां सिद्धू के जेल से आने का इंतजार कर रहा हैं तो एक वर्ग में खलबली हैं कि आखिर जेल से बाहर आने के बाद सिद्धू का क्या रुख रहेगा। क्योंकि कांग्रेस में आने के बाद सिद्धू ने सबसे ज्यादा टक्कर अपनी ही पार्टी से ली है। सिद्धू पहले कैप्टन के खिलाफ लड़े और बाद में वह पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के खिलाफ लड़ते रहे। जिसका सीधा फायदा आम आदमी पार्टी को मिला।
अत: एक बड़े वर्ग की नजर इस बात पर हैं कि अब सिद्धू का क्या रुख रहेगा। क्योंकि जब सोनिया गांधी ने सिद्धू से प्रदेश प्रधान पद से इस्तीफा ले लिया था तब भी सिद्धू इस प्रकार से खुद को प्रस्तुत करते रहे जैसे पार्टी की कमान उन्हीं के पास हो।
खुद की पार्टी से लड़ते रहे हैं सिद्धू
वहीं सिद्धू से मुलाकात के उपरांत प्रताप सिंह बाजवा का कहना है, “सब कुछ अच्छा ही होगा। सिद्धू ने भरोसा दिलाया है कि वह कांग्रेस को मजबूत करने की दिशा में काम करेंगे।” बाजवा भले ही सिद्धू के बाहर आने के बाद कांग्रेस के लिए अच्छा रहने की बात कर रहे हो लेकिन एक वर्ग ऐसा है जो इस बात को लेकर चिंतित हैं कि उनके स्वभाव में क्या बदलाव आता है। क्योंकि सिद्धू के जेल जाने से पहले तक का व्यवहार हमेशा ही दूसरी पार्टी से ज्यादा खुद की पार्टी से लड़ने का रहा।
सिद्धू को कद्दावर नेताओं का समर्थन मिलना शुरू
अब देखना होगा कि क्या वह उस स्वभाव में कोई बदलाव आया है या नहीं। वहीं, अहम बात यह है कि सिद्धू के जेल से बाहर आने से पहले ही उन्हें वरिष्ठ नेताओं का समर्थन मिलना शुरू हो गया है। जबकि यह वरिष्ठ नेता कांग्रेस के प्रदेश प्रधान अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग के साथ नहीं चलते हैं। बाजवा और वड़िंग भले ही विधान सभा से लेकर कांग्रेस भवन तक एक साथ बैठते व पत्रकारों के साथ बातचीत करते नजर आते हो लेकिन दोनों के बीच मतभेद बहुत ज्यादा है।
क्या होगी सिद्धू की जिम्मेदारी
वहीं देखने वाली बात यह होगी कि जालंधर चुनाव में पार्टी सिद्धू की क्या जिम्मेदारी लगाती हैं। क्योंकि पार्टी ने चुनाव कैंपेन की कमान राणा गुरजीत सिंह को सौंपी हुई हैं और कांग्रेस की प्रत्याशी करमजीत कौर के बेटे चौधरी विक्रम सिंह प्रताप सिंह बजावा के करीब हैं। ऐसे में जालंधर उप चुनाव में सिद्धू क्या भूमिका निभाएंगे यह देखना अनिवार्य होगा।