अपहरण मामले में बरी हो चुके युवक को ढूंढऩे के लिए 15 साल का डाटा खंगालेगी चंडीगढ़ पुलिस
बरी हुए चार युवकों में से एक जश्नदीप केस की सुनवाई के दौरान देश में था ही नहीं बल्कि वह तो विदेश में था उसकी जगह कोई और ही कोर्ट में पेश होता रहा।
चंडीगढ़ [राजन सैनी]। 12 साल पहले जिला अदालत ने दो महिलाओं के अपहरण मामले में चार युवकों को केस साबित नहीं होने पर बरी कर दिया था। लेकिन 2013 में शिकायतकर्ता के जानकार ने याचिका दायर कर बताया कि चार में से एक युवक जश्नदीप तो केस की सुनवाई के दौरान देश में था ही नहीं बल्कि वह तो विदेश में था, उसकी जगह कोई और ही कोर्ट में पेश होता रहा। इसके बाद केस की जांच शुरू हुई। अब अदालत के आदेशों के बाद चंडीगढ़ पुलिस 2001 से लेकर 2015 के बीच भारतीय नागरिक जो भारत से विदेश में गए और विदेश से आए उनका रिकॉर्ड खंगालेगी। पुलिस ने वीरवार को अदालत में जानकारी दी कि यूटी एडमिनिस्ट्रेशन को इसके बारे मे लिख दी गई है और गृह मंत्रालय से जानकारी आने के बाद जांच कर रिपोर्ट पेश की जाएगी। मामले की अगली सुनवाई अब 10 जनवरी, 2020 को होगी।
चंडीगढ़ पुलिस ने यूटी एडमिनिस्ट्रेशन को लिखी चिट्ठी
कोर्ट के आदेशों के बाद चंडीगढ पुलिस ने यूटी एडमिनिस्ट्रेशन को चिट्ठी लिखी है। अपनी चिट्ठी में लिखा है कि चंडीगढ़ एडमिनिस्ट्रेशन, गृह मंत्रलय, दिल्ली से इस बारे में बात करे और दिल्ली स्थित ब्रिटिश उच्चायोग और मिनिस्ट्री ऑफ एक्सटर्नल विभाग से 15 सालों में विदेश गए भारतीयों और वहां से आए भारतीय नागरिकों की जानकारी उन्हें मेल कर दी जाए। इसके अलावा 2001 से 2015 तक जिन भारतीय नागरिकों ने यूनाइटेड किंगडम की नागरिकता हासिल की है इसकी भी जानकारी दी जाए। वहीं मकान नंबर 1298, सेक्टर-37 बी निवासी जश्नदीप (आरोपित) द्वारा यूके एंबेसी को 2001 से 2018 के बीच 18 साल में विदेश जाने के लिए हासिल किए हुए वीजा की जानकारी भी देने के लिए कहा है।
पुलिस को जांच के बाद देनी थी मामले के संबंध में रिपोर्ट
एडीजे गगनगीत कौर की कोर्ट ने पुलिस को कुछ पहलूओं पर जांच कर 14 नवंबर 2019 तक रिपोर्ट दायर करने के लिए कहा था। 4 अक्टूबर 2018 को एडीजे संजीव जोशी की अदालत ने चंडीगढ़ पुलिस को सुझाव जारी कर आदेश दिया कि उक्त जानकारी मंत्रलयों से लेकर अदालत में रिपोर्ट पेश की जाए। इसके अलावा जश्नदीप के पिता की कॉल डिटेल भी लेने के लिए कहा था और यह भी पता करने के लिए कहा कि वर्ष 2001 से 2018 तक उसके पिता द्वारा यूके दूतावास से यूके जाने का वीजा हासिल करने के लिए कितनी बार दस्तावेज जमा करवाए गए थे। अभी तक मामलें में पुलिस ने जश्नदीप की हस्ताक्षर की सीएफएसएल रिपोर्ट ही कोर्ट में जमा करवाई थी। जिसमें जश्नदीप की 2001 से 2007 तक जिला अदालत में पेशी पर आकर हस्ताक्षर करने की रिपोर्ट थी।
महिला ने दी थी शिकायत, चार युवकों पर साबित नहीं हुए थे आरोप
दर्ज मामले के मुताबिक एक महिला की शिकायत पर जश्नदीप सिंह, हरकमल दीप सिंह, द¨वदर पाल सिंह और सुमित सिंह पर मामला दर्ज किया गया था। जिसमें आरोप लगाया गया था कि 10 और 11 अप्रैल 1999 की रात को आरोपित पहले उससे और बाद में उसकी सहेली से मिले और बाद में गन दिखाकर दोनों महिलाओं को दो कारों में जबरन अलग-अलग किडनैप कर लिया गया। दोनों महिलाएं किसी तरह भागने में सफल रही और एक पुलिस स्टेशन पहुंचे और इसकी शिकायत दी। शिकायत पर कार्रवाई करते हुए पुलिस टीम ने चार आरोपितों को गिरफ्तार कर उनके खिलाफ मामला दर्ज किया था। पुलिस मामले में धारा-323, 366 और आर्म्स एक्ट की धारा 25 के तहत आरोप साबित करने में विफल रही थी। जिसके बाद 2007 में चारों युवकों को बरी कर दिया था। हालांकि, 2013 में महिला के जानकार याचिकाकर्ता हीरापाल सिंह ने अपने वकील एडवोकेट कुलदीप सिंह अहलूवालिया के माध्यम से याचिका दायर की थी। जिसमें आरोप लगाया गया था कि जश्नदीप सिंह केस की सुनवाई के दौरान देश में नहीं था। इस दौरान वह देश से बाहर था। इसके बाद अदालत ने मामले की जांच करने के आदेश दिए थे।
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