मच्छरों को खा जाएगी गैंबूजिया फिश; सुखना लेक, रोज गार्डन और बटरफ्लाई पार्क में छोड़ी गई मछली
फिशरीज डिपार्टमेंट ने मच्छरों को मारने वाली फिश गंबूजिया को सेक्टर-26 बटरफ्लाई पार्क बॉटेनिकल गार्डन धनास सेक्टर-16 रोज गार्डन में मंगलवार को छोड़ा। डेंगू और मलेरिया की रोकथाम के साथ यह फिश इकोलॉजिकल बैलेंस का काम भी करेगी।
चंडीगढ़, जेएनएन। मच्छरों से पैदा होने वाली बीमारियां रोकने के लिए सभी वॉटर बॉडी में गंबूजिया फिश छोड़ी जा रही है। यह मछली मच्छरों का लारवा खा जाती है। इस कारण मच्छर नहीं पनप पाते हैं। एनिमल हस्बेंड्री एंड फिशरीज डिपार्टमेंट, फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के कोऑर्डिनेशन से मच्छरों से पैदा होने वाली बीमारी के खिलाफ यह पहल कर रहा है।
फिशरीज डिपार्टमेंट ने मच्छरों को मारने वाली फिश गंबूजिया को सेक्टर-26 बटरफ्लाई पार्क, बॉटेनिकल गार्डन धनास, सेक्टर-16 रोज गार्डन में मंगलवार को छोड़ा। डेंगू और मलेरिया की रोकथाम के साथ यह फिश इकोलॉजिकल बैलेंस का काम भी करेगी। यह फिश जल्द ही अन्य वॉटर बॉडीज में भी छोड़ी जाएगी।
एनिमल हस्बेंड्री एंड फिशरीज डिपार्टमेंट के डायरेक्टर तेजदीप सिंह सैनी ने कहा कि सुखना रेगुलेटर एंड पर फिश सीड फार्म से गंबूजिया तैयार की गई है। इस मछली को दिसंबर तक सब जगह छोड़ दिया जाएगा। एनिमल हस्बेंड्री के ज्वाइंट डायरेक्टर डा. कंवरजीत सिंह ने बताया कि एक एडल्ट गंबूजिया मछली आठ घंटे में 150 मच्छरों का लारवा खा जाती है। यह लारवा के समय ही इन्हें खाकर खत्म कर देती है जिससे मच्छर पैदा ही नहीं हो पाते।
आर्टिफिशियल फाउंटेन और पॉन्ड में छोड़िए गंबूजिया फिश
एनिमल हस्बेंड्री डिपार्टमेंट ने फिश सीड फार्म को आम लोगों के लिए भी खोल दिया है। इस फार्म से कोई भी गंबूजिया फिश ले सकता है। जिसे वह मच्छरों को नियंत्रित करने के लिए अपने आस-पास वॉटर बॉडी में छोड़ सकते हैं। घरों के अंदर आर्टिफिशियल फाउंटेन और पॉन्ड में इसे छोड़कर मच्छरों को कंट्रोल कर सकते हैं।
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