जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : बिहार के पश्चिमी चंपारण के सिसवा बैरागी के रहने वाले 21 साल के कुंदन बैइठा ने दुनिया को अलविदा करने से पहले पांच लोगों की जिंदगी बचाई। कुंदन के परिवार के अंगदान के फैसले से पीजीआइ ने जिन चार लोगों को नया जीवन दिया, उसमें खास यह था कि जिस मरीज को मृत कुंदन की पैंक्रियाज डोनेट की गई थी, उस मरीज की बहन ने अपने भाई को जीवित रहते हुए किडनी दी, ताकि उसके भाई की जान बच सके।
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कुंदन के अंगदान से एक मरीज में हार्ट ट्रांसप्लांट किया गया और बाकी चार मरीजों को लिवर, पैंक्रियाज और दोनों किडनी ट्रांसप्लांट की गई। कुंदन के अंग ट्रांसप्लांट करने की प्रक्रिया में पीजीआइ के नेफरोलाजी विभाग के हेड प्रोफेसर एचएस कोहली, रीनल ट्रांसप्लांट सर्जरी विभाग के हेड प्रोफेसर अशीष शर्मा और उनकी टीम की अहम भूमिका रही।
30 मेडिकल स्टाफ की मौजूदगी में 12 घंटे चला आपरेशन
कुंदन के पैंक्रियाज जिस मरीज को ट्रांसप्लांट किए गए थे, उस मरीज की बहन से उसमें किडनी भी ट्रांसप्लांट किए गए थे, इस प्रक्रिया में 12 घंटे आपेरशन का समय लगा, जबकि इस पूरी प्रक्रिया में 12 घंटे तक 30 मेडिकल स्टाफ की जरूरत पड़ी, जिसमें वरिष्ठ डाक्टर और बाकी स्टाफ मौजूद था। बता दें पीजीआइ में किडनी और पैंक्रियाज ट्रांसप्लांट के लिए 60 लोगों की वेटिंग चल रही है, जबकि हर साल 10 से 20 लोगों को किडनी और पैंक्रियाज ट्रांसप्लांट के लिए नहीं मिल पाती है।
22 जनवरी को हुआ था सड़क हादसा
बीते 22 जनवरी को कुंदन अपनी बाइक पर जा रहा था, सड़क खराब होने के कारण उसकी मोटरसाइकिल फीसल गई, इस सड़क हादसे में कुंदन के सिर और शरीर के अन्य अंगों में गहरी चोट आई, कुंदन को इलाज के लिए फौरन ऊना के रीजनल हास्पिटल में ले जाया गया, जहां से कुंदन को 23 जनवरी को पीजीआइ चंडीगढ़ रेफर कर दिया गया।
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पीजीआइ में डाक्टरों के हर प्रयास के बाद भी कुंदन को नहीं बचाया जा सके, उसे 29 जनवरी को पीजीआइ की एक कमेटी ने ब्रेन डेड घोषित कर दिया। ब्रेड डेड घोषित किए जाने के बाद पीजीआइ की आर्गेन डोनेशन कमेटी ने मृत के परिजनों से जब अंगदान के लिए संपर्क किया, तो उन्होंने इसके लिए अपनी सहमति जाहिर की।