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चंडीगढ़ में नॉमिनेटेड काउंसलर की दौड़ में कई नेता, व्यापारी और समाजसेवी भी शामिल, अगले हफ्ते होगी नियुक्ति

साल 1996 से लेकर अब तक हर नगर निगम में प्रशासन की ओर से नव मनोनीत पार्षद नियुक्त किए जाते हैं। साल 2011 तक 11 राजनीतिक लोगों को मनोनीत पार्षद नियुक्त किया जाता था लेकिन साल 2016 में भाजपा के पदाधिकारियों को भी यह जिम्मेदारी दी गई।

By Ankesh ThakurEdited By: Published: Sat, 15 Jan 2022 12:46 PM (IST)Updated: Sat, 15 Jan 2022 12:46 PM (IST)
चंडीगढ़ में नॉमिनेटेड काउंसलर की दौड़ में कई नेता, व्यापारी और समाजसेवी भी शामिल, अगले हफ्ते होगी नियुक्ति
अगले सप्ताह प्रशासन की ओर से नए मनोनीत पार्षद की सूची जारी कर दी जाएगी।

राजेश ढल्ल, चंडीगढ़। मेयर चुनाव के बाद अब नॉमिनेटेड काउंसलर बनने के लिए दौड़ शुरू हो गई है। इस समय 600 से ज्यादा लोग ऐसे हैं जो कि नॉमिनेटेड काउंसलर बनना चाहते हैं। ऐसा पहली बार हुआ है जब मेयर चुनाव के बाद मनोनीत पार्षद नियुक्त होने की प्रक्रिया शुरू हुई है, जबकि इससे पहले मेयर चुनाव से पहले ही प्रशासन की ओर से मनोनीत पार्षद नियुक्त कर दिए जाते थे। प्रशासन की तरफ से नौ मनोनित पार्षद बनाए जाते हैं। 

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मेयर चुनाव के लिए डीसी द्वारा किसी मनोनीत पार्षद को ही पीठासीन अधिकारी बनाया जाता था, लेकिन इस बार ऐसा नहीं किया गया। प्रशासन की ओर से भाजपा के पार्षद महेश इंद्र सिद्धू को पीठासीन अधिकारी बनाया गया था। इस समय मनोनीत पार्षद बनने के लिए जहां प्रशासन को शहर के प्रतिष्ठित लोग आवेदन कर रहे हैं, वहीं भाजपा अध्यक्ष अरुण सूद को भी दावेदार अपना बायोडाटा भेज रहे हैं। अगले सप्ताह प्रशासन की ओर से नए मनोनीत पार्षद की सूची जारी कर दी जाएगी।

साल 1996 से लेकर अब तक हर नगर निगम में प्रशासन की ओर से नव मनोनीत पार्षद नियुक्त किए जाते हैं। साल 2011 तक 11 राजनीतिक लोगों को मनोनीत पार्षद नियुक्त किया जाता था, लेकिन साल 2016 में भाजपा के पदाधिकारियों को भी यह जिम्मेदारी दी गई।

इस बार नगर निगम चुनाव में भाजपा को 12 सीटों पर जीत मिली। पार्टी के कई दिग्गज भी चुनाव हार गए। ऐसे में अब हारे हुए उम्मीदवार भी मनोनीत पार्षद बनना चाहते हैं। भाजपा अध्यक्ष अरुण सूद खुद मनोनीत पार्षद बनना चाहते हैं। इसके अलावा कई व्यापारी, एक्स सर्विसमैन, डॉक्टर, आर्किटेक्ट और समाजसेवी मनोनीत पार्षद की दौड़ में शामिल हैं। मनोनीत पार्षदों के पास वोटिंग राइट नहीं होता।

साल 2016 में पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट के आदेश पर मनोनीत पार्षदों से मत का अधिकार वापस ले लिया गया था। इस फैसले को प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी हुई है। यह मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। इस मामले की सुनवाई जल्द ही सुप्रीम कोर्ट में होने वाली है। भाजपा चाहती है कि वह अपने ज्यादा से ज्यादा नेताओं को मनोनीत पार्षद नियुक्त करवाएं, ताकि सदन में उनका बोलबाला रहे। भाजपा के जो 12 पार्षद जीते हैं उनमें अधिकतर नए हैं। भाजपा की तरफ से संभावित उम्मीदवारों के नाम पार्टी हाईकमान को भेजे गए हैं। हालांकि अंतिम मुहर प्रशासक बनवारीलाल पुरोहित लगाएंगे। प्रशासन की ओर से संभावित उम्मीदवारों के नामों पर मंथन करने के लिए एक कमेटी का भी गठन किया गया है।

वहीं, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी भी चाहती है कि उनके कम से कम 2 नेताओं को मनोनीत पार्षद बनाया जाए। इस संबंध में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के अध्यक्ष ने प्रशासन को पत्र भी लिखा है। इन दलों का मानना है कि नगर निगम चुनाव में उनके वोटिंग शेयर के हिसाब से उनके दल को भी प्रतिनिधि दिया जाना चाहिए। व्यापार मंडल की ओर से महासचिव संजीव चड्ढा का नाम मनोनीत पार्षद के लिए भेजा गया है। इसके साथ साथ व्यापारियों में अमित जिंदल, कमलजीत पंछी और व्यापार मंडल के अध्यक्ष चिरंजीव का नाम भी दावेदारों में शामिल है। भाजपा निगम में अपना दबदबा बनाने के लिए अपने खास लोगों को नॉमिनेटेड काउंसलर बनाना चाहती है। इस समय में आम आदमी पार्टी के नगर निगम में 14 और भाजपा के 13 पार्षद हैं। भाजपा की नजर सुप्रीम कोर्ट में 18 जनवरी को होने वाली सुनवाई पर भी है। सर्वोच न्यायलय में इस दिन नॉमिनेटेड काउंसलर को वोटिंग राइट के मामले में सुनवाई होगी।


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