चंडीगढ़ कोठी प्रकरणः आरोपित संजीव व मनीष को कोर्ट ने न्यायिक हिरासत में भेजा, सतपाल दो दिन के पुलिस रिमांड पर
चंडीगढ़ शहर में कोठी प्रकरण के मामले में आरोपित संजीव महाजन मनीष गुप्ता को कोर्ट ने न्यायिक हिरासत में भेज दिया। वहीं पुलिस ने तीसरे आरोपित सतपाल डागर को दो दिन के पुलिस रिमांड पर भेज दिया गया है।
चंडीगढ़, जेएनएन। चंडीगढ़ में कोठी प्रकरण के मामले में आरोपित संजीव महाजन, मनीष गुप्ता को कोर्ट ने न्यायिक हिरासत में भेज दिया। वहीं तीसरे आरोपित सतपाल डागर को दो दिन के पुलिस रिमांड में भेज दिया है। पुलिस ने रिमांड लेने के लिए संपत्ति के लिए कोठी के फर्जी मालिक को खड़ा करने वाले शख्स की शिनाख्त करने को आधार बनाया है।
सेक्टर 31 थाना पुलिस ने आरोपित संजीव महाजन, डीएसपी के भाई सतपाल डागर सहित मनीष गुप्ता को दोपहर के समय जिला अदालत में पेश किया। इसका कारण बताया जा रहा है कि यह दोनों पुलिस पूछताछ में सहयोग नहीं कर रहे है।
बता दें कि सेक्टर-37 के राहुल मेहता को किडनैप कर उसकी प्रॉपर्टी पर कब्जा करने के मामले में संजीव महाजन, प्रॉपर्टी डीलर मनीष गुप्ता और सतपाल डागर को पुलिस ने गिरफ्तार किया था।कोर्ट में हुई पिछली पेशी में जज के समक्ष आरोपित संजीव महाजन के वकील तरमिंदर सिंह ने कहा था कि पुलिस ने सभी नियमों को तोड़ संजीव को गिरफ्तार किया है। इस केस में अब दो एचसीएस अधिकारियों की संदिग्ध भूमिका सामने आई है। एसआइटी अब दोनों अधिकारियों को समन जारी कर पूछताछ करेगी। वहीं, मामले में डीएसपी रामगोपाल और सेक्टर-39 थाने के पूर्व प्रभारी इंस्पेक्टर राजदीप को पुलिस ने सोमवार को समन जारी किया। एसआइटी इन दोनों से भी पूछताछ करेगी।
चंडीगढ़ में तैनात रह चुके हैं हरियाणा के दोनों अफसर
मामले में रजिस्ट्री के समय जिन दो एचसीएस अधिकारियों की भूमिका को लेकर जांच की जा रही है वह चंडीगढ़ में डेपुटेशन पर तैनात रह चुके हैं। एक एस्टेट ऑफिस में असिस्टेंट स्टेट ऑफिसर तो दूसरे अधिकारी के पास तहसीलदार पद की जिम्मेदारी थी। चंडीगढ़ में तहसीलदार पद पर तैनात रहे अधिकारी यहां से वापस हरियाणा लौटने पर अब प्रमोट होकर एचसीएस बन चुके हैं। आरोप है कि इसी अधिकारी की यहां तैनाती के दौरान नकली कोठी मालिक को पेशकर फर्जी तरीके से रजिस्ट्री करवाई गई। मामले में दर्ज एफआइआर में तत्कालीन तहसीलदार पर महंगी शराब की पेटी के बदले रजिस्ट्री करने का आरोप है। आरोप यह भी है कि एस्टेट ऑफिस में तैनात तत्कालीन एचसीएस अधिकारी ने दस्तावेजों से छेड़छाड़ कर फर्जी रजिस्ट्री में मदद पहुंचाई।
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