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Chandigarh: कनाडा का वर्क परमिट दिलाने के नाम पर इमीग्रेशन कंपनी ने चार युवकों से ठगे 47 लाख रुपये

Chandigarh कनाडा का वर्क परमिट दिलाने के नाम पर एक इमीग्रेशन कंपनी ने चार युवकों से 47.25 लाख रुपये ठग लिए और उन्हें जाली वीजा थमा दिया। पुलिस ने इस मामले में आरोपित कंपनी व उसके प्रबंधकों के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया है।

By Sandeep KumarEdited By: MOHAMMAD AQIB KHANPublished: Mon, 28 Nov 2022 07:59 PM (IST)Updated: Mon, 28 Nov 2022 08:00 PM (IST)
Chandigarh: कनाडा का वर्क परमिट दिलाने के नाम पर इमीग्रेशन कंपनी ने चार युवकों से ठगे 47 लाख रुपये
Chandigarh: कनाडा का वर्क परमिट दिलाने के नाम पर इमीग्रेशन कंपनी ने ठगा : जागरण

मोहाली, जागरण संवाददाता: कनाडा का वर्क परमिट दिलाने के नाम पर एक इमीग्रेशन कंपनी ने चार युवकों से 47.25 लाख रुपये ठग लिए और उन्हें जाली वीजा थमा दिया। पुलिस ने इस मामले में आरोपित कंपनी व उसके प्रबंधकों के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया है।

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सेक्टर-67 निवासी प्रताप रंधावा ने पुलिस को शिकायत में बताया कि उसने एक विज्ञापन देखकर फेज-8 इंडस्ट्रियल एरिया में केबी टावर इमीग्रेशन कंपनी से संपर्क किया। यह कंपनी स्पेशल तौर पर कनाडा व यूएसए का वीजा दिलाने का भरोसा देते थे। जब उसने कंपनी में संपर्क किया तो उसकी मुलाकात जयदीप सिंह उर्फ दीपक अरोड़ा, ज्योति उर्फ डोली अरोड़ा व कर्णबीर सिंह के साथ हुई।

उन्होंने खुद को कंपनी प्रबंधक बताया और कहा कि वह वीजा लगवाने की गारंटी देते हैं। अगर कोई और इच्छुक उनके साथ जाना चाहता है तो एक साथ सभी का वीजा लगवा देंगे। उसने अपने तीन अन्य दोस्तों का भी वीजा अप्लाई कर दिया।

कंपनी ने उन सभी से कनाडा का वर्क परमिट दिलाने के नाम पर 47 लाख 25 हजार रुपये ले लिए, लेकिन उन्होंने न तो वीजा लगवाया और न ही रकम लौटाई। मामला थाने पहुंचने पर पुलिस ने इमीग्रेशन कंपनी प्रबंधकों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया।

युवकों ने बताया कि कंपनी प्रबंधकों ने उन्हें कनाडा का फर्जी वीजा दे दिया। नाम बदल कर चला रहे थे नई कंपनी, पहले भी दर्ज हैं मामले सोहाना थाना पुलिस ने जिन आरोपितों जयदीप उर्फ दीपक अरोड़ा और ज्योति उर्फ डोली अरोड़ा के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज किया है उन पर पहले भी कई धोखाधड़ी के मामले दर्ज हैं। अब यह लोग नई कंपनी बनाकर और नया दफ्तर खोल कर अपनी कंपनी चला रहे थे।

यह लोग नए लोगों को अपनी ठगी का शिकार बना रहे थे, लेकिन यहां पर जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन की कार्रवाई के ऊपर यह सवाल खड़े होते हैं कि जो लोग पहले ही धोखाधड़ी के मामलों में नामजद हैं वो दोबारा से अपनी ठगी की दुकानें खोल कर शहर में बैठ जाते हैं और जिला प्रशासन को इसकी भनक तक नहीं लगती।


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