Chandigarh: जजों के खिलाफ मनमाने तरीके से दाखिल हो रही अवमानना याचिकाएं, उत्पीड़न से बचाना जरूरी : हाई कोर्ट
न्याय अधिकारियों के खिलाफ मनमाने तरीके से दाखिल होती अवमानना याचिकाओं की बढ़ती संख्या पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि उन्हें उत्पीड़न से बचाना जरूरी है। हाई कोर्ट ने आदेश दिया है कि ऐसी याचिका दाखिल करने से पहले वकीलों को हलफनामा दाखिल करना होगा।
चंडीगढ़, राज्य ब्यूरो । न्याय अधिकारियों के खिलाफ मनमाने तरीके से दाखिल होती अवमानना याचिकाओं की बढ़ती संख्या पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि उन्हें उत्पीड़न से बचाना जरूरी है।
हाई कोर्ट ने आदेश दिया है कि ऐसी याचिका दाखिल करने से पहले वकीलों को हलफनामा दाखिल करना होगा कि जज द्वारा की गई कार्रवाई जज प्रोटेक्शन एक्ट के तहत संरक्षित नहीं है। हाई कोर्ट में एक न्याय अधिकारी के खिलाफ अवमानना याचिका दाखिल करते हुए कार्रवाई की मांग की गई थी।
अनावश्यक याचिकाओं को रोकने के लिए कदम उठाना जरूरी
जज पर आरोप लगाया गया कि हाई कोर्ट के आदेश के बावजूद उसकी याचिका पर एक माह में फैसला नहीं लिया गया था। हाई कोर्ट ने पाया कि इस मामले में जज की गलती नहीं थी बावजूद इसके यह याचिका दाखिल की गई। कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर पांच हजार रुपये का जुर्माना लगाते हुए याचिका को खारिज कर दिया।
कोर्ट ने कहा कि इस प्रकार की अनावश्यक याचिकाओं को रोकने के लिए कदम उठाना जरूरी हो गया है।
मांगा जाएगा हलफनामा
इस प्रकार की याचिकाओं से जजों का उत्पीड़न होने से बचाने के लिए अब रजिस्ट्री का आदेश दिया गया है कि जजों के खिलाफ अवमानना याचिका दाखिल होने की स्थिति में वकीलों से हलफनामा मांगा जाए।
हलफनामे में वकीलों को बताना होगा कि जिस कार्रवाई के खिलाफ अवमानना याचिका दाखिल की जा रही है वह न्याय अधिकारी उस कार्य के लिए जज प्रोटेक्शन एक्ट के तहत संरक्षित नहीं है। कोर्ट ने कहा कि इस आदेश से अनावश्यक याचिकाएं रुकेंगी और कोर्ट पर भी बोझ कम होगा।