कांग्रेस ने प्रशासक को पत्र लिख स्कूल फीस, बिजली-पानी बिल माफ की उठाई मांग
चंडीगढ़ कांग्रेस ने प्रशासन को चंडीगढ़ के निवासियों द्वारा सामना की जा रही कठिनाइयों का मुकाबला करने के लिए अपनी सिफारिशें भेजी है।
चंडीगढ़, जेएनएन। कांग्रेस के अध्यक्ष प्रदीप छाबड़ा ने बुधवार को यूटी प्रशासक वीपी सिंह बदनोर जी को एक ज्ञापन भेज कहा है कि लॉकडाउन के कारण शहरवासियों को बड़े पैमाने पर आर्थिक बोझ का सामना कर रहा है। चंडीगढ़ कांग्रेस ने प्रशासन को चंडीगढ़ के निवासियों द्वारा सामना की जा रही कठिनाइयों का मुकाबला करने के लिए अपनी सिफारिशें भेजी है, जिसमें कहा गया है कि पहला सुझाव यह है कि अप्रैल और मई के लॉकडाउन अवधि तक के लिए छात्रों से कोई स्कूल फीस नहीं ली जानी चाहिए।
छाबड़ा ने कहा कि पंजाब और राजस्थान की राज्य सरकारों ने पहले ही लॉकडाउन अवधि के दौरान पूरी स्कूल फीस माफी का आदेश दिया है और हम मांग करते हैं कि चंडीगढ़ में भी माता-पिता पर आर्थिक बोझ को कम करने के लिए इसी तरह के निर्देशों को अपनाया जाना चाहिए। साथ ही प्रशासन को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि स्कूल कर्मचारियों को वेतन का भुगतान भी अवश्य होना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम समझ सकते हैं कि इस कदम से स्कूल प्रबंधन को भारी वित्तीय नुकसान होगा, लेकिन उन्हें यह महसूस करने की जरूरत है कि देश संकट की स्थिति से गुजर रहा है। यह स्थिति पहले की तरह सामान्य नहीं है, और इसलिए दुनिया भर में लगभग हर संगठन को इसके कारण भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। स्कूलों को राष्ट्रीय हित में कार्य करना चाहिए जिसका सुझाव भी दिया गया है।
छाबड़ा ने कहा कि लॉकडाउन के कारण रोजगार व कामधंधा बंद से कमाई ना होने के कारण बिजली व पानी के बिलों को को भी प्रशासन को माफ कर देना चाहिए। कांग्रेस द्वारा उठाया गया तीसरे मुद्दे पर जिन्हें अपनी दुकानों या रेजिडेंशियल व कमर्शियल किराएदारों पर उठाते हुए कहा कि लॉकडाउन के कारण इन्हें भी अत्यधिक नुकसान का सामना करना पड़ रहा है।
इस मामले में कांग्रेस ने सुझाव देते हुए कहा कि नुकसान का बोझ किसी एक व्यक्ति द्वारा वहन नहीं किया जाना चाहिए। मानवीय आधार पर बोझ को किराएदार और उस विशेष संपत्ति के मालिक द्वारा समान रूप से साझा किया जाना चाहिए। पीजी में रहने वाले जो लॉकडाउन के दौरान वहां नहीं रह रहे थे, उन्हें लॉकडाउन की उस अवधि के लिए किराया माफ होना चाहिए। उन्हें भुगतान करने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए। छाबड़ा ने यूटी प्रशासक से इन सिफारिशों पर पूरी तरह से विचार करने और उन पर विचार-विमर्श करने का अनुरोध किया है।