सड़कों की सफाई करने वाली कंपनी का अनुबंध बढ़ाने पर आपत्ति, AAP चंडीगढ़ ने कहा- पहले शहरवासियों से लें फीडबैक
आप संयोजक प्रेम गर्ग ने यह जानने के लिए कंपनी की पर्फार्मेंस ऑडिट की मांग की है। यह पता लगाया जाए कि कंपनी ने कितने संसाधन लगाए गए थे। अगर सड़कों को धोया जाना था तो क्या वास्तव में कंपनी ने ये काम समय-समय पर किया था।
चंडीगढ़, जेएनएन। आम आदमी पार्टी ने मांग की है कि नगर निगम को शहर की सड़कों की सफाई के लिए, बिना नए टेंडर मांगे, लायंस कंपनी का अनुबंध नहीं बढ़ाना चाहिए। पार्टी के अनुसार कंपनी को भुगतान की जा रही साढ़े चार करोड़ रुपये प्रति माह की राशि काफी ज्यादा है। कंपनी के काम के बारे में जनता का फीडबैक लिया जाना चाहिए था। आप संयोजक प्रेम गर्ग ने यह जानने के लिए कंपनी की पर्फार्मेंस ऑडिट की मांग की है। यह पता लगाया जाए कि कंपनी ने कितने संसाधन लगाए गए थे। अगर सड़कों को धोया जाना था तो क्या वास्तव में कंपनी ने ये काम समय-समय पर किया था। यदि हां, तो कहां से और कितना जल प्राप्त किया गया।
गर्ग का कहना है की नया टेंडर निकालने से प्रतिस्पर्धा और पर्दिशता बढ़ेगी और पैसे की बचत होगी।आप ने यह भी मांग की है कि निजी ठेकेदारों के साथ ऐसे सभी अनुबंधों के सभी नियमों और शर्तों को सार्वजनिक किया जाना चाहिए, ताकि जागरूक नागरिक ऐसे ठेकेदारों के काम के बारे में अधिकारियों को अपनी फीडबैक दे सकें।
छाबड़ा ने भी लगाया आरोप
पूर्व मेयर प्रदीप छाबड़ा का आरोप है कि स्वच्छता रैकिंग के पिछड़ने और लायंस कंपनी के लिए चंडीगढ़ भाजपा इसके लिए जिम्मेदार है। साल 2016 से आज तक के भाजपा मेयर चंडीगढ़ के लोगों के प्रति इस बात के जवाबदेह हैं। कंपनी को ठेका देने से लगभग 400 से ज्यादा लोगों का रोजगार चला गया। इस कंपनी को ठेका देने से पहले आधे खर्च पर एरिया साफ होता था। 1100 के लगभग सफाई कर्मचारी काम करते थे। कंपनी के आने के बाद लगभग 400 लोगों का रोजगार गया। इस बात की जांच होनी चाहिए कि जिस दिन कंपनी को ठेका दिया, उस दिन कंपनी के पास क्या इंफ्रास्ट्रक्चर था। कितनी सफाई मशीनें व गाड़िया, अन्य मशीनरी थी। जहां हर महीने ढाई करोड़ में काम होता था वहीं साढ़े चार करोड़ महीने के क्यों दिए जा रहे हैं। छाबड़ा ने कहा कि शहर की सफाई के लिए नया टेंडर होना चाहिये और लायंस कंपनी के खिलाफ सीबीआइ जांच करवाई जाए।उनका कहना है कि सोमवार को होने वाली सदन की बैठक में अनुबंध बढ़ाने का प्रस्ताव ही नहीं आना चाहिए।